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कुर्सी पर बैठने से भी छूट सकता है बायो फुटप्रिंट, क्यों चीन यात्रा पर किम की टीम करती रही फॉरेंसिक सफाई? – biological footprint DNA north korea kim jong un china visit forensic cleaning ntcpmj


उत्तर कोरिया के लीडर किम जोंग उन ने हाल में चीन और रूस के नेताओं से मिलने के लिए बीजिंग की यात्रा की. मुलाकात के तुरंत बाद किम के साथ आया स्टाफ कुर्सी-टेबल और हर उस चीज को झाड़ता-पोंछता दिखा, जिसका उनके नेता ने इस्तेमाल किया हो. गिलास उठा लिया गया, टेबल पोंछ दी गई, कुर्सी के बैकरेस्ट और आर्मरेस्ट तक को साफ किया गया ताकि किम का कोई निशान वहां न छूट जाए. 

किम अव्वल तो बाहर की यात्रा ही नहीं करते. और करते भी हैं तो अपनी ट्रेन से जाते हैं और साथ में छोटी से लेकर बड़ी चीजें ले जाते हैं. इसके पीछे कारण है कि कहीं दिए गए पेन पर उनकी ऊंगली का निशान, डीएनए, या कोई बायो डेटा न रह जाए . रिपोर्ट्स बताती हैं कि यात्राओं के दौरान उनके बायो वेस्ट से लेकर माचिस और सिगरेट का डिब्बा तक वापस रख लिया गया. 

बायो डेटा या बायो प्रिंट को लेकर किम के अलावा दुनिया के बाकी देशों के लीडर भी काफी सतर्क रहे. लेकिन ये जैविक डेटा आखिर है क्या?

आप किसी कुर्सी पर बैठे और उठकर चले गए. आपने अपनी कोई निशानी वहां नहीं छोड़ी. लेकिन ये आप सोचते हैं. असल में उस चेयर पर आपके बाल का कोई टुकड़ा, पसीने की बूंद, या आपकी स्किन का बेहद महीन कण रह जाता है. यही बायोलॉजिकल फुटप्रिंट है. कोई भी शख्स जहां भी जाता है, अपने डीएनए छोड़ता चला जाता है.

ये एक तरह का पासवर्ड है, जिसमें किसी की सेहत, बीमारियां, यहां तक कि जेनेटिक कमजोरियां तक छुपी होती हैं. ये बायो डेटा लंबे समय तक टिका रह सकता है, या फिर गर्म या नम माहौल में तुरंत नष्ट भी हो सकता है. बायो डेटा ही वो चीज है, जिसकी जांच से फॉरेंसिक साइंस में बड़े-बड़े अपराधी पकड़ाई में आते रहे. 

kin jong un during china visit (Photo- Reuters)
उत्तर कोरिया प्रमुख की सेहत से जुड़ी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं. (Photo- Reuters)

क्या खतरा है बायो फुटप्रिंट से

अगर किसी नेता के बायोलॉजिकल डेटा से पता लग जाए कि उसे दिल की बीमारी या कैंसर है, तो दुश्मन देश उस जानकारी का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक दबाव बना सकते हैं. जैसे विरोधियों को बता दिया जाएगा कि उनका नेता फलां बीमारी से जूझ रहा है और बड़े फैसले नहीं ले सकता. बस, फिर क्या है, राजनीतिक उठापटक शुरू हो जाती है. 

दूसरा जोखिम है बायो वेपन्स का. वैज्ञानिक अब ऐसे जीनोम-बेस्ड हथियारों पर रिसर्च कर रहे हैं जो खास डीएनए वाले लोगों पर ज्यादा असर डाल सकते हैं. साल 2018 में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि चीन अमेरिकी सैनिकों के डीएनए इकट्ठा कर रहा है, ताकि आगे चलकर टारगेटेड बायो-वेपन्स बनाए जा सकें और सैनिकों को चुन-चुनकर खत्म किया जा सके. 

किसी की पहले से चली आ रही बीमारी को टारगेट कर उसे तेजी से मौत की ओर धकेला जा सकता है. ये सबसे बड़ा खतरा है. यही वजह है कि दूसरे देशों की यात्रा के समय ही नहीं, घरेलू यात्राओं में भी लीडर्स अपने बायो प्रिंट को लेकर काफी सतर्क रहते हैं. 

क्या-क्या शामिल है बायोलॉजिकल प्रिंट में

इसमें डीएनए, फिंगर प्रिंट और हाथों की रेखाएं, आयरिस और रेटिना पैटर्न, खून-पसीना-लार और मेटाबॉलिक डेटा भी आता है. अगर किसी के बाल, त्वचा, नाखून, पसीने का नमूना या खून मिल जाए, तो उसके सेहत की गोपनीय जानकारी भी निकाली जा सकती है.

 

DNA test lab (Photo- Pixabay)
जैविक डेटा पर दुनिया भर की सीक्रेट लैब्स में काम हो रहा है. (Photo- Pixabay)

बायोलॉजिकल फुटप्रिंट चोरी न हो जाए, इसलिए नेता ही नहीं, तमाम हाई-प्रोफाइल लोग सावधान रहते हैं. प्रोटोकॉल होता है, जिसके तहत तय होता है कि वे कहीं भी जाएं-आएं, उनका जैविक डेटा कहीं छूट न जाए. अमेरिका को देखें तो यहां सीक्रेट सर्विस के पास ये जिम्मा है. किसी भी तरह का बायो सैंपल लीक न हो, इसके लिए कई परतों वाली सुरक्षा रहती है. 

सुपरपावर अमेरिका कैसे समेटता है अपने सुराग

– सीक्रेट सर्विस के साथ एक मेडिकल और बायोसिक्योरिटी टीम रहती है. इनका काम यह तय करना है कि जिस भी जगह राष्ट्रपति ठहरें, वहा किसी तरह का सैंपल पानी, बर्तन, टिश्यू, बाल, यहां तक कि बेडशीट भी किसी के हाथ न लगे.

– खाना बनाने से लेकर सर्व करने तक पूरा कंट्रोल अमेरिकी टीम करती है. टेस्टिंग प्रोटोकॉल रखे जाते हैं. थाली का पूरा खाना ठीक से नष्ट किया जाता है. 

– नेता जहां रुकते हैं, वहां वॉशरूम की भी सफाई और मॉनिटरिंग अमेरिकी टीम करती है.

– राष्ट्रपति की इस्तेमाल की हुई हर चीज सील करके वापस देश ले जाई जाती है, और उन्हें वहीं नष्ट किया जाता है. 

रूस और चीन के नेताओं के लिए तगड़ा प्रोटोकॉल है. दोनों ही देशों के नेताओं का बायो वेस्ट यानी यूरिन और स्टूल भी सीलबंद कंटनरों में वापस ले जाया जाता है. 

अब एक खतरा डिजिटल हेल्थ प्रिंट भी 

आजकल कई सारी फिटनेस डिवाइस आ चुकी हैं, जो हार्टबीट, बीपी, नींद का पैटर्न, ऑक्सीजन स्तर और यहां तक कि स्ट्रेस का स्तर भी बताती हैं. यह भी काफी हद तक बायो डेटा जैसा ही है. फर्क बस इतना है कि बायोलॉजिकल प्रिंट किसी के शरीर से सीधे निकला हुआ सबूत है, जैसे खून, पसीना, बाल या नाखून. वहीं डिजिटल हेल्थ प्रिंट मशीन के जरिए रिकॉर्ड किया गया डेटा है. अगर ये गलत हाथों में चला जाए तो इसके भी वही नुकसान हैं. यही वजह है कि लीडर्स स्मार्टवॉच या फिटनेस बैंड जैसी चीजों से परहेज करते हैं. 

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