यूपी के वाराणसी में लोडर पर लदा ऐसा खजाना पकड़ा गया, जिसने पुलिस से लेकर आयकर विभाग तक सबको हैरान कर दिया. सोचिए, 6 करोड़ की 467 किलो चांदी, और उसके साथ 662 किलो गिलट (नकली सफेद धातु)… ये सब एक ओवरलोडेड पिकअप वाहन में लहरतारा इलाके से बरामद हुआ. पुलिस को भी अंदाजा नहीं था कि नियमित चेकिंग के दौरान इतनी बड़ी तस्करी का जाल खुल जाएगा.
दरअसल, ऑपरेशन चक्रव्यूह के तहत चल रही चेकिंग में वाराणसी पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया, जो चांदी के इस अवैध कारोबार से जुड़े बताए जा रहे हैं. सिगरा थाना क्षेत्र की पुलिस टीम ऑपरेशन चक्रव्यूह के तहत वाहनों की जांच कर रही थी.
लहरतारा चौराहे के पास एक ओवरलोड पिकअप वाहन पुलिस की नजर में आया. गाड़ी की हालत देखकर शक तो हुआ, लेकिन जब पुलिस ने ड्राइवर से माल की जानकारी मांगी, तो जवाब गोलमोल था. संदेह बढ़ा, और जैसे ही गाड़ी की तलाशी शुरू हुई, सफेद धातु से भरे पैकेट एक-एक कर बाहर आने लगे.
पहले तो लगा ये गिलट (नकली धातु) है, लेकिन जब जांच गहराई में गई, तो कुछ पैकेटों में असली चांदी के ब्लॉक, सिक्के और पायलें निकलीं. पुलिस ने तुरंत आयकर विभाग को सूचित किया.
467 किलो चांदी और 662 किलो गिलट
जब पूरी गिनती और तौल हुई, तो सभी दंग रह गए. वाहन में कुल 1129 किलो सफेद धातु थी, जिसमें से 467 किलो असली चांदी और 662 किलो गिलट पाई गई. आयकर विभाग ने तत्काल जांच शुरू की और पाया कि बरामद की गई चांदी की कीमत बाजार में लगभग 6 करोड़ है.
ADCP सरवण टी. ने बताया कि यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्रव्यूह के तहत की गई है. उन्होंने कहा कि हमने जब गाड़ी रोकी और जांच की, तो ड्राइवर और साथियों के पास कोई संतोषजनक दस्तावेज नहीं था. इसके बाद जब वाहन की तलाशी ली गई, तो सफेद धातु के इतने बड़े जखीरे का पता चला. प्रारंभिक जांच में यह माल आगरा और मथुरा से वाराणसी लाया गया बताया गया है.
कैसे चल रहा था पूरा नेटवर्क
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क महीनों से सक्रिय था. तस्कर आगरा और मथुरा से चांदी को छोटे-छोटे पार्सल में प्राइवेट बसों से भेजते थे. फिर ये पार्सल वाराणसी पहुंचने के बाद स्थानीय ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के जरिए आगे सप्लाई किए जाते थे.
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पकड़े गए चारों आरोपी वाराणसी के ही रहने वाले हैं और ट्रांसपोर्ट बिजनेस से जुड़े हैं. इनका काम दिखाने के लिए सामान्य था, लेकिन इसके पीछे चलता था चांदी की अवैध सप्लाई का खेल.
सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क के जरिए दिवाली से पहले काले धन को सफेद करने की कोशिश की जा रही थी. त्योहार के समय चांदी के गहनों और सिक्कों की मांग अचानक बढ़ जाती है, और इसी मौके का फायदा उठाकर तस्कर बड़ी खेप वाराणसी और आसपास के जिलों में भेजने की तैयारी में थे.
पुलिस और आयकर विभाग की संयुक्त जांच
जैसे ही बरामदगी की खबर फैली, आयकर विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने पूछताछ शुरू कर दी. अब जांच इस बात पर केंद्रित है कि चांदी का सोर्स कौन है, और वाराणसी में इसका डेस्टिनेशन कौन था. बरामद चांदी की सटीक जानकारी और दस्तावेज अभी तक नहीं मिले हैं. आयकर विभाग माल के स्रोत और खरीदारों की तलाश कर रहा है. यह भी जांच की जा रही है कि क्या इसके पीछे किसी बड़े कारोबारी या ज्वेलर का नेटवर्क शामिल है.
त्योहार के पहले बड़ी कामयाबी
दिवाली से ठीक पहले वाराणसी पुलिस की इस कार्रवाई से चांदी तस्करों में खलबली मच गई. पुलिस अब इन चारों आरोपियों के कॉल डिटेल्स, वित्तीय लेन-देन और संपर्कों की जांच कर रही है. सवाल यह है कि आखिर 6 करोड़ की चांदी का असली मालिक कौन है – और ये धातु किसकी तिजोरी तक पहुंचनी थी? लहरतारा से पकड़ी गई वो चांदी, किसके पास जा रही थी?
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