बर्नआउट का मतलब किसी काम को बिना ब्रेक या संतुलन के करने से होने वाली शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकावट है. बर्नआउट किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लोग किसी भी काम को बहुत अधिक या बहुत लंबे समय तक करने से बर्नआउट का शिकार हो सकते हैं, जैसे किसी की लंबे समय तक देखभाल करना या किसी की परवरिश करना हमें बर्नआउट का फील करा सकता है.
डिजिटल बर्नआउट की समस्या डिजिटल उपकरणों पर बहुत अधिक समय बिताने से हो सकती है. इसके शारीरिक लक्षणों में नींद से जुड़ी समस्याएं, ऊर्जा में कमी जैसी कई समस्याएं भी हो सकती हैं. डिजिटल बर्नआउट का पता लगाना मुश्किल माना जाता है. कहा जाता है कि यह समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है और लोग इस समस्या का पता तब कर पाते हैं जब वे इसका शिकार हो चुके होते हैं.
क्या हो सकते है इस समस्या के कारण?
डिजिटल बर्नआउट की समस्या आज के समय में लोगों की नौकरी से जुड़ी हो सकती है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य और डिजिटल उपकरणों के बीच और भी कई संबंध हो सकते हैं. जानकारों के अनुसार, बहुत ज्यादा टीवी देखना या सोशल मीडिया का असीमित इस्तेमाल भी समस्या बन सकता है. सोने से पहले स्क्रीन टाइम नींद से जुड़ी परेशानियों का कारण बन सकता है, जिससे हम चिंता, उदासी और चिड़चिड़ेपन के शिकार हो सकते हैं.
डिजिटल बर्नआउट से बचाव के लिए क्या करें?
जल्दी जवाब देने की आदत से बचें
बहुत से लोग जैसे ही कोई मैसेज आता है, तुरंत जवाब देने की कोशिश करते हैं. यह करना आपके तनाव और बेचैनी को बढ़ा सकती है. इससे बचने के लिए दिन में कुछ तय समय रखें जब आप टेक्स्ट और ईमेल का जवाब देना हो, आपको यह चीज समझनी होगी कि हर मैसेज का रिप्लाई देना जरूरी नहीं है, कई चीजें इंतजार कर सकती हैं.
काम को काम तक सीमित रखें
आपका फोन और कंप्यूटर आपको 24 घंटे सहकर्मियों से जोड़े रखते हैं, लेकिन क्या वाकई आपको ऑफिस टाइम के बाद भी जुड़े रहना जरूरी है? जब आप परिवार के साथ खाना खा रहे हों, टहलने निकले हों या कोई फिल्म देख रहे हों, तो फोन से दूरी बनाने रखना आपके लिए लाभदायक हो सकता है.
स्क्रीन पर नहीं सामने पर मिलें
कई लोग ज्यादातर सिर्फ टेक्स्ट, सोशल मीडिया या ईमेल के जरिए बात करते हैं. डिजिटल रूप से जुड़ना, खासकर उन दोस्तों और परिवार वालों से जिन्हें आप आमने-सामने नहीं मिल सकते, मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है. लेकिन यह आमने-सामने मिलने जैसा नहीं होता है. जब भी संभव हो, दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों से आमने-सामने मिलने की कोशिश करें. आप साथ में कॉफी पीना या टहलने जाने का फैसला कर सकते हैं.
बिना बात का डिजिटल होने से बचें
आपके पास कितने ऑनलाइन अकाउंट हैं, आप कितने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैं या क्या आपको सभी की जरूरत है और क्या आप सभी का इस्तेमाल करते हैं? शायद इन सब का जवाब ना ही हो. अपने फोन और कंप्यूटर को एक बार अच्छे से देखें और जो चीजें बेकार लगे उन्हें तुरंत डिलीट कर दें. इससे मैसेज और डिस्ट्रैक्शन कम करने में मदद मिल सकती है. आप डिजिटल डिटॉक्स अपना सकते हैं.
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