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पवन सिंह बिहार चुनाव में बीजेपी को कितना पावर देंगे, उनसे जुड़े विवादों का क्या? – pawan singh bjp return upendra kushwaha bihar election opnm1


पवन सिंह बिहार में पावर स्टार कहे जाते हैं. भोजपुरी संगीत और सिनेमा के. मनोरंजन की दुनिया में पवन सिंह अपनी धाक जमा चुके हैं. राजनीतिक पारी अभी शुरू हुई है, और साबित करना है. अपेक्षाओं पर खरा उतरना है. बीजेपी की अपेक्षाओं पर खरा उतर पाना भी आसान नहीं होता. 

भोजपुरी की दुनिया के कई कलाकार पहले से ही बीजेपी में हैं. मनोज तिवारी और रवि किशन तो करीब करीब जम चुके हैं, लेकिन दिनेश लाल यादव निरहुआ का संघर्ष जारी है. एक उपचुनाव के जरिए वो संसद पहुंच तो गए थे, लेकिन अगले ही चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा – पवन सिंह को मौका तो मिला है, लेकिन सफर थोड़ा लंबा है. 

उपेंद्र कुशवाहा ने भले ही पवन सिंह को राजनीतिक माफी दे दी हो, लेकिन ये गारंटी कौन ले पाएगा कि जिन कारणों से वो विवादों में घिरे रहते हैं, वैसी हरकत फिर से नहीं करेंगे – हो सकता है, बीजेपी को बिहार चुनाव में, कुछ इलाकों में पवन सिंह के साथ होने का फायदा भी मिले, लेकिन जोखिम भी उतना ही है. लेने के देने भी पड़ सकते हैं.  

पवन सिंह लौटकर बीजेपी में ही आए

पवन सिंह हमेशा ही विवादों का हिस्सा रहे हैं. महिलाओं के सम्मान के मामले में अक्सर ही वो गच्चा खा जाते हैं. 2024 के आम चुनाव में पवन सिंह को आसनसोल का मैदान छोड़कर भागना पड़ा था – और ज्यादा दिन नहीं हुए जब स्टेज पर हरियाणा की एक एक्टर को टच करने के लिए चौतरफा ट्रोल हो रहे थे. 

बीजेपी में पवन सिंह की वापसी हुई तो है, लेकिन वाया बायपास. और, बायपास बने हैं राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा. ये पवन सिंह ही हैं जो पिछले आम चुनाव में  उपेंद्र कुशवाहा की हार की वजह बने थे. कहते हैं सारे गिले शिकवे दूर हो चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा के आगे नतमस्तक होने की तस्वीरें सामने आई हैं. अमित शाह और नड्डा तक पहुंचने के लिए पवन सिंह को उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी पर NOC लेना पड़ा है. 

कुछ दिन पहले पवन सिंह को प्रशांत किशोर के साथ समझा जा रहा था, लेकिन बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने दिल्ली में मीडिया से बताचीत में कहा, पवन सिंह बीजेपी में हैं, और बीजेपी में ही रहेंगे… उपेंद्र कुशवाहा ने आशीर्वाद दिया है… बिहार चुनाव में पवन सिंह भाजपा कार्यकर्ता के रूप में एनडीए के लिए सक्रियता से काम करेंगे.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘जातिवादी राजनीति के पोषकों के दिल पे, आज ई फोटो देख के सांप लोट रहा होगा… लेकिन जिनके दिल में विकसित बिहार का सपना बसता है, वो कब तक एक-दूसरे से दूर रह सकते हैं.

पवन सिंह ने आगे लिखा है, ‘उपेंद्र कुशवाहा जी से मुलाकात हुई और उन्होंने दिल से आशीर्वाद दिया… मोदी जी और नीतीश जी के सपनों का बिहार बनाने में आपका बेटा पवन पूरा पावर लगाएगा… पावर यहीं से शुरू हो रही है.’

राजनीतिक पारी शुरू तो हो गई है. बल्कि जोरदार तरीके से शुरू हुई है, लेकिन पुराने विवाद पवन सिंह का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं, और सोशल मीडिया पर लोग पवन सिंह के बहाने बीजेपी को उसके टैगलाइन ‘चाल चरित्र और चेहरा’ की याद दिलाने लगे हैं. 

पवन सिंह को लेकर विवाद खत्म होंगे क्या?

कुछ वक्त पहले लखनऊ के एक स्टेज शो में हरियाणवी एक्टर अंजलि राघव की कमर छूने को लेकर पवन सिंह विवादों में घिर गए थे. शो का वीडियो वायरल होने के बाद पवन सिंह को माफी मांगनी पड़ी थी. तब पवन सिंह ने लिखा था, अंजलि जी, मेरा कोई गलत इरादा नहीं था… अगर मेरे व्यवहार से आपको तकलीफ हुई हो तो मैं माफी मांगता हूं.

वैसे पवन सिंह ने वैसा ही एक्ट किया था, जैसा उनके एल्बम में देखने को मिलता है. भोजपुरी गानों और फिल्मों में एक्टिंग के नाम पर ये सब खूब चल रहा है, लेकिन पवन सिंह स्टेज शो में भी एक्टिंग मोड में ही आ जाते हैं. बीजेपी में लौटने के बाद पवन सिंह की दो तस्वीरें एक साथ सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं. एक तस्वीर स्टेज शो की है, और दूसरी अमित शाह के साथ की. 

भोजपुरी सिंगर नेहा सिंह राठौर ने भी पवन सिंह की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है, ‘भाजपा की सदस्यता यूं ही नहीं मिल जाती… अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है.’ सोशल मीडिया पर पवन सिंह की नई पारी पर ज्यादातर ऐसी ही प्रतिक्रिया है.

2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट दिया था. चुनाव मैदान में शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी के उम्मीदवार थे, फिलहाल सांसद हैं. पहले तो पवन सिंह ने टिकट मिलने पर धन्यवाद और आभार प्रकट किया था, लेकिन जब टीएमसी की तरफ से उनके खिलाफ मुहिम शुरू हुई तो, खुद ही उम्मीदवारी वापस ले ली. निजी कारणों से. पवन सिंह पर आरोप लग रहे थे कि अपने भोजपुरी गाने में वो बंगाल की महिलाओं का अपमान करते हैं.

पवन सिंह से बीजेपी को क्या फायदा

पवन सिंह के टिकट वापस लेने की वजह भले ही विरोध रहा हो, लेकिन तब चर्चा ये भी रही कि वो बिहार की आरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. आरा सीट से बीजेपी के आरके सिंह चुनाव लड़ते रहे हैं. 2024 में वो चुनाव हार गए थे. हो सकता है, आरके सिंह की हार में भी पवन सिंह का असर रहा हो. क्योंकि, माना ये गया था कि पवन सिंह के एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ काराकट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का असर ये हुआ कि आस पास के इलाकों में महागठबंधन के उम्मीदवार चुनाव जीत गए. काराकट से लेकर बक्सर और सासाराम तक. 

अब बीजेपी ने पवन सिंह को साथ लेकर उसी की भरपाई की कोशिश की है. दक्षिण बिहार की कई सीटों पर पवन सिंह के चलते बीजेपी को फायदा होने की संभावना जताई जा रही है. 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के साथ आ जाने से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. 

बिहार की जातीय राजनीति के हिसाब से देखें तो पवन सिंह बीजेपी में पनप रही ठाकुर लॉबी को जरूर काउंटर कर सकते हैं. हाल ही में बीजेपी के दो नेताओं राजीव प्रताप रूडी और आरके सिंह को इस मामले में खासा सक्रिय देखा गया था. पवन सिंह की वापसी में बीजेपी नेताओं की सक्रियता भी एक बड़ा कारण हो सकती है.  

लोकसभा न सही, पवन सिंह के आरा से ही विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना भी जताई जा रही है – बेशक बीजेपी को पवन सिंह फायदा दिला सकते हैं, बशर्ते वो फिर कोई ऐसी वैसी हरकत न कर बैठें.

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