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Patal Lok: कहां है पाताल लोक जाने का रास्ता? जानें क्या है धरती के नीचे का सच – Patal lok mystery places in india where patal lok exist under earth tvisu


पाताल लोक की कहानियां तो आपने खूब सुनी होगी कि धरती के नीचे ऐसी एक जगह है, जहां नाग और राक्षस रहते हैं. इसकी सटीक लोकेशन को लेकर आज भी भ्रम की स्थिति है. कहते हैं कि पृथ्वी (भारत) के ठीक 70 हजार योजन नीचे जाकर आप पाताल में पहुंच सकते हैं. इसका मतलब है पाताल लोक विश्व के दूसरी ओर (दक्षिण अमेरिका) में हो सकता है. लेकिन, क्या वास्तव में पाताल लोक है. क्या सही में इस नाम की कोई जगह है. आध्यात्म के अलावा, साइंस के नजरिए से भी पाताल लोक को समझना जरूरी है. आइए जानते हैं कि पाताल लोक को लेकर लोक मान्यताएं क्या हैं, अभी तक क्या रिसर्च हुई है और इसकी कहानी क्या है…

क्या धरती के नीचे है पाताल लोक?

फिजिक्स ऑफ द अर्थ एंड प्लानेट्री इंटीरियर्स जर्नल में प्रकाशित हुई एक स्टडी के मुताबिक पृथ्वी का कोर मोल्टन और सेमी सॉफ्ट पदार्थ से बना है. ज्यादा तापमान और प्रेशर होने के कारण वहां फिलहाल कोई डिवाइस या इंसान नहीं पहुंच सकता है. इसलिए उसका विस्तृत अध्ययन करना संभव नहीं है. ऐसे में क्लीयर नहीं कहा जा सकता कि धरती के नीचे ऐसी कोई जगह है भी या नहीं.

पाताल के सबसे सटीक सबूत
आर्किलॉजिस्ट्स को हाल ही में अमेरिका के होंडुरास में सियुदाद ब्लांका नाम के एक प्राचीन शहर के अवशेष मिले हैं. इसकी गुफाओं में मिली हनुमान जी की मूर्तियों के कारण इसका संबंध रामायण में वर्णित पाताल पुरी से जोड़ा गया है.

माना जाता है कि मेक्सिको की युकाटन पेनिंसुला का नाम यक्ष (पाताल के रक्षक) से लिया गया है. इसके अलावा, भगवत पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा बलि को हराया तो उसके बाद वो पाताल लोक में रहने चले गए. कहते भी हैं कि मध्य अमेरिका के बेलीज देश को राजा बलि के ही वंशजों ने बसाया है.

सोन डुंग गुफा, वियतनाम
वियतनाम के फोंग न्हा-के बांग नेशनल पार्क में स्थित सोन डूंग गुफा दुनिया की सबसे बड़ी गुफा मानी जाती है. इस गुफा के अंदर एक अलग ही दुनिया है. अलग नदी, जंगल, वनस्पति, यहां तक कि बादल भी. अंदर बहुत तेज हवाएं भी चलती हैं. गुफा को साल 1991 में एक स्थानीय निवासी ने खोजा था.

जब वैज्ञानिकों ने 2008 में इस पर रिसर्च शुरू की तो पता चला कि 9 किलोमीटर लंबी इस गुफा के अंदर पक्षियों की कईं प्रजातियां और बंदर भी रहते है. साल 2009 में इसे यूनेस्को हेरिटेज साइट का दर्जा मिला. अब ये गुफा एक मशहूर पर्यटन स्थल है. हालांकि अपने अलग ईको-सिस्टम और रहस्यमयी माहौल के चलते इसे पाताल का हिस्सा माना जाता है.

पातालकोट घाटी, छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पाताल कोट नाम की एक घाटी है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से करीब 3000 फीट है. इस घाटी में करीब 12 गांव है और बहुत गहराई में होने के कारण यहां सूरज की पर्याप्त रोशनी नहीं पहुंचती है. दोपहर के बाद ही अंधेरा हो जाता है. इन गावों में भारिया जनजाति के लोग रहते हैं. यहां कई औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. अपने नाम और इन मान्यताओं के कारण पातालकोट को पाताल का सीधा रास्ता माना जाता है.

ऐसी किंवदंती है कि इसी स्थान से माता सीता ने धरती में प्रवेश किया था, जिससे ये जमीन नीचे धंस गई. ऐसा भी कहते हैं कि हनुमान जी भी यहीं से श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण के यज्ञ से बचाने के लिए पाताल लोक गए थे. माता सीता के पाताल गमन को उत्तराखंड के नैनीताल जिले में सीतावनी से भी जोड़ा जाता है. जहां लव-कुश को जन्म देने के बाद वो धरती में समा गई थीं. उत्तर प्रदेश के भदोही को लेकर भी ऐसा ही कुछ कहा जाता है. हालांकि ये सब केवल मान्यताएं हैं. धरती पर पाताल के किसी निश्चित रास्ते का कोई सटीक प्रमाण नहीं है.

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