Ekadashi Shradh 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि बहुत खास होती है. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध संपन्न किया जाता है जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि को हुई थी. मान्यता है कि यह तिथि पितरों के तर्पण और उनकी आत्मा की शांति के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है.
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इसलिए इस दिन किए जाने वाले श्राद्ध का महत्व और भी बढ़ जाता है. यह माना जाता है कि इस दिन पितरों को किए गए तर्पण से उनके लिए पुण्य की प्राप्ति होती है, उनके दुख और कष्ट दूर होते हैं. इससे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है.
ग्यारस श्राद्ध 2025 मुहूर्त
एकादशी तिथि 17 सितंबर यानी आज अर्धरात्रि 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो चुकी है और इसका समापन आज रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी. इंदिरा एकादशी के दिन ग्यारस का श्राद्ध करने के लिए कई मुहूर्त बन रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है कुतुप काल. ये आज सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, इस दिन रौहिण मुहूर्त भी बन रहा है जो दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक है. साथ ही, अपराह्न (सायं) मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 29 बजे से दोपहर 03 बजकर 56 बजे तक है.
एकादशी श्राद्ध विधि
सबसे पहले दिन स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध कर लें. शुद्ध होकर ही श्राद्ध की तैयारी करें. इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किसी साफ और स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं. दक्षिण दिशा पितरों का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए यह दिशा अत्यंत महत्वपूर्ण है. एक थाली में काले तिल, दूध, जल, गंगाजल ले लें.
थाली में रखी सामग्री को देखकर पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ अपने पूर्वजों का ध्यान करें. उनके नामों का स्मरण करें और उनके लिए कल्याण की प्रार्थना करें. अंत में हाथ जोड़कर और पूर्ण श्रद्धा के साथ पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें. इसके बाद थाली में बचे सामग्री को नदी या जलाशय में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है.
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