केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी ने भी नहीं सोचा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 100 साल के भीतर दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन जाएगा. लखनऊ में एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि RSS की स्थापना लगभग 100 साल पहले एक छोटे से कमरे में केवल 5 या 7 सदस्यों के साथ हुई थी, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह अब तक दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह ईश्वरीय कृपा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. उन्होंने इसके विकास का श्रेय उन लोगों को दिया, जिन्होंने अपना जीवन त्याग और तपस्या की तरह जिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, देश की प्रगति का ज़िक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 में हम 11वें स्थान पर थे और आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं. आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि हम दो-तीन साल में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएंगे.
‘आपकी तरह मैं भी एक कार्यकर्ता’
लखनऊ से लोकसभा सांसद होने के नाते राजनाथ सिंह ने भाजपा कार्यकर्ताओं से नियमित रूप से मिलने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि एक सांसद के रूप में उनका काम उनके प्रयासों का परिणाम है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आपकी तरह मैं भी एक कार्यकर्ता हूं. उन्होंने बताया कि हर संगठन की एक व्यवस्था होती है और ज़िम्मेदारियां व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार सौंपी जाती हैं. हर किसी की ज़िम्मेदारियां अलग-अलग होती हैं, हर कोई अपने आप में नंबर वन हो सकता है.
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’संगठन में कोई छोटा या बड़ा नहीं’
राजनाथ सिंह ने कहा कि आप कहेंगे कि हर कोई नंबर वन कैसे हो सकता है? इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कौन कहां पहुंचेगा. यह एक व्यवस्था है, इसलिए कोई किसी से छोटा या बड़ा नहीं है. उन्होंने संख्या 111 का उदाहरण देते हुए समझाया कि पहला अंक 100, दूसरा 10 और अंतिम 1 का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन सभी समान हैं. किसी व्यक्ति का महत्व किसी निश्चित समय में उसकी स्थिति से निर्धारित होता है, और इसलिए हम सब एक हैं.
‘कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति रखें’
रक्षामंत्री ने जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ लोगों से कार्यकर्ताओं के साथ सहानुभूति रखने और कठिन समय में उनका समर्थन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन में शांति और आनंद लाना भी एक ईश्वरीय कर्तव्य है. उन्होंने सलाह दी कि जब मैं किसी शोक संतप्त व्यक्ति या किसी दिवंगत व्यक्ति के बारे में सुनता हूं, तो मैं अपनी संवेदना व्यक्त करना सुनिश्चित करता हूं. आप सभी को भी ऐसा ही करना चाहिए. उनके घरों में मौजूद रहें और उनके दुख की घड़ी में उनके साथ खड़े रहें.
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