बांके बिहारी मंदिर परिसर.. अधिकारी, गोस्वामी, पुलिस बल और कुछ चुनिंदा सेवायतों की मौजूदगी… सबकी निगाहें एक ही जगह टिक गई थीं- वह खजाने का कमरा, जिसका दरवाजा पिछले 54 साल से बंद था. कहते हैं, इस कमरे में इतिहास सांस लेता है, आस्था और रहस्य का संगम बसता है.
धनतेरस का दिन था. लोग घरों में लक्ष्मी पूजन की तैयारी कर रहे थे, उसी समय बांके बिहारी मंदिर में आधी सदी से बंद एक कमरे को खोला जा रहा था. हाई पावर कमेटी के आदेश पर उस ताले को खोलने का निर्णय लिया गया. जैसे ही कमरे का दरवाजा खुला, वहां मौजूद हर शख्स हैरानी से देखने लगा.
अंदर का नजारा किसी पुरानी कहानी की तरह था. चारों ओर सीलन की गंध, दीवारों पर जमी धूल की मोटी परतें, और इसमें पानी भी भरा था. लेकिन यह वैसा खजाना नहीं था, जैसा लोग सोचते हैं- सोने-चांदी के ढेर या रत्नजड़ित मुकुट नहीं, बल्कि कुछ चांदी के पात्र और बर्तन थे, जो वक्त की परतों में ढंके हुए थे.
जैसे ही टीम ने सफाई शुरू की, अचानक एक हलचल हुई. कुछ लोग पीछे हटे, कुछ ने टॉर्च का फोकस जमीन पर डाला. वहां दो छोटे सर्प रेंग रहे थे. वन विभाग की टीम को बुलाया गया. टीम ने दोनों सांपों को सुरक्षित तरीके से पकड़ लिया. कुछ क्षणों के लिए पूरा माहौल रहस्यमय हो उठा.
यह भी पढ़ें: 46 साल बाद खोला गया पुरी जगन्नाथ मंदिर का प्राचीन खजाना… यहां मौजूद हैं सांप, अलर्ट पर मेडिकल टीम
यह पूरी कार्रवाई करीब तीन घंटे तक चली. इस दौरान मंदिर के सेवायत गोस्वामियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच चर्चा होती रही, तीखी बहस भी हुई. कुछ गोस्वामी नाराज थे कि हाई पावर कमेटी को मंदिर की परंपरा में दखल नहीं देना चाहिए. उन्होंने हाई पावर कमेटी हाय-हाय, दिनेश गोस्वामी हाय-हाय के नारे भी लगाए. वहीं दूसरी ओर अधिकारी शांत रहकर कार्रवाई पूरी करने में लगे रहे.
कमरे के अंदर कीचड़ और पानी भरा हुआ था. फर्श पर चूहे, दीवारों पर फफूंद और एक अजीब सी नमी थी. यह सब उस कमरे को एक रहस्यमय बना रहे थे.
सीओ सदर संदीप कुमार ने कहा कि हाई पावर कमेटी के निर्देश पर खजाना खोला गया और जांच के दौरान केवल कुछ चांदी के बर्तन व पात्र मिले हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी, हाई पावर कमेटी के निर्देश के बाद खजाने को फिर से खोला जाएगा. फिलहाल खजाने को सील कर दिया गया है.
मंदिर के सेवायत घनश्याम गोस्वामी ने कहा कि इसमें केवल कुछ धातु के बर्तन ही मिले हैं. उनका कहना था कि हाई पावर कमेटी से जुड़े लोगों को ही अंदर प्रवेश की अनुमति दी गई, जबकि पारंपरिक रूप से मंदिर के चार मनोनीत गोस्वामियों को इसका अधिकार होता है.
खजाना खुलने की खबर पूरे वृंदावन में फैल गई. भक्तों और स्थानीय लोगों में कौतूहल बढ़ गया. हर कोई यही जानना चाहता था- आखिर उस कमरे में क्या मिला? क्या वहां कोई दिव्य वस्तु छिपी थी? या केवल बीते वक्त की यादें? मंदिर के बाहर उमड़ी भीड़ श्रद्धा और रहस्य में डूबी थी. तीन घंटे बाद कमरे का ताला फिर से बंद कर दिया गया. इस बार गवाह बन गए सैकड़ों लोग, जिन्होंने आधी सदी बाद मंदिर के इस गेट के अंदर झांका. खजाने को खुलते देखा.
—- समाप्त —-