ठीक दो साल पहले 7 अक्तूबर को हमास ने इजरायली म्यूजिक फेस्ट पर हमला करके हजारों जानें ले ली थीं. वो यहीं नहीं रुका, बल्कि 252 नागरिकों को भी अगवा कर लिया. इसके बाद से इजरायल-हमास युद्ध जारी है. अमेरिकी साथ की वजह से इजरायल का इसमें अपर हैंड रहा, लेकिन हमास ने तब भी हार नहीं मानी. हालांकि हाल में इस आतंकी संगठन के तार कुछ ढीले पड़े हैं.
ट्रंप ने कुछ रोज पहले गाजा पीस प्लान दिया था. 20-पॉइंट के प्रस्ताव में कई बातें हैं. मसलन, हमास को बिना शर्त सारे बंधकों को छोड़ना होगा. साथ ही उसे गाजा की राजनीति से भी दूरी बनानी होगी. इस बीच इजरायल अपनी सेना गाजा से एक निश्चित दूरी पर हटा लेगा. तबाह हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर दोबारा खड़ा किया जाएगा. शांति लाने से लेकर क्षेत्र को दोबारा आबाद करने के लिए पूरी योजना है. इजरायल ने इसपर हामी भर दी, लेकिन चेताया कि अगर हमास सरेंडर न करे तो वो हमले जारी रखेगा. वहीं कुछ दिनों की चुप्पी के बाद हमास ने आखिरकार योजना पर मंजूरी दे दी है.
लेकिन यहां एक पेंच है. हमास ने 20-पॉइंट के प्रपोजल में से अब तक सिर्फ दो ही प्रस्ताव माने हैं.
इसके बाद से कयास लग रहे हैं कि क्या हमास के पास इसके अलावा सारे विकल्प खत्म हो चुके?
अब तक फिलिस्तीन की बात कर रहे लगभग सारे इस्लामिक देश क्यों चुप साध गए हैं?
क्या हमास बंधकों को लौटाकर किसी जाल में फंसने जा रहा है, जहां से वापसी के रास्ते नहीं होंगे?

हाल-हाल तक डायरेक्ट रहा हमास अब सैन्य स्तर पर कमजोर पड़ चुका है. कई खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास के सैन्य विभाग अल-कसम ब्रिगेड के लगभग सारे सीनियर कमांडर खत्म हो चुके. मिलिट्री विंग अब भी चालू है, लेकिन उसके सैनिकों में फूट पड़ चुकी. हमास के ये सैनिक गाजा पट्टी से सीधा ताल्लुक रखते हैं. इतने लंबे युद्ध और उससे मची तबाही के बाद आम नागरिक पहली बार हमास के विरोध में आए. इन आम लोगों से हमास के सैनिकों का भी रिश्ता है. वे भी आक्रामक होने लगे और सैन्य विंग कमजोर पड़ने लगी.
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि लड़ाई शुरू होने के बाद से अब तक हमास के 25 हजार लोग मारे जा चुके. इस डेटा की सच्चाई पता नहीं, लेकिन ये तय है कि जंग की शुरुआत में हमास के पास जितने सैनिक थे, अब उससे आधे से भी कम बाकी हैं. द कन्वर्सेशन की एक रिपोर्ट में इसका जिक्र है. इनमें काफी लोग मारे जा चुके, जबकि कई सेना से अलग हो रहे हैं. वैसे हमास लगातार नई भर्तियां कर रहा है, लेकिन नए लड़ाकों के पास पक्की ट्रेनिंग नहीं.
जनता का दबाव बड़ी चीज है. शुरुआत में हमास को गाजा का पूरा सपोर्ट मिला हुआ था. लग रहा था कि वे फिलिस्तीन बनाकर ही छोड़ेंगे. लेकिन लड़ाई चालू होने के बाद से अब तक 67 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकीं और डेढ़ लाख से ज्यादा लोग घायल हैं. मकान-दुकान-अस्पताल-स्कूल तबाह हो चुके. आंकड़े कहते हैं कि गाजा की 90 फीसदी आबादी पिछले दो साल में एक से ज्यादा बार माइग्रेट हो चुकी. अब ज्यादातर लोग टेंट में रह रहे हैं.

इधर सैन्य विंग की कमजोरी के बीच गाजा के कई हिस्सों में इजरायली सेना आ चुकी. आर्मी लोकल लोगों के साथ संवेदना दिखा रही है. इससे हमास का रुतबा और घटा. यहां तक कि गाजा के नागरिक खुलकर हमास का विरोध करने लगे. जगह-जगह एंटी-हमास प्रोटेस्ट हो रहे हैं.
कल तक जनता का हीरो रहा संगठन अब नजरें चुराता घूम रहा है. ट्रंप का पीस प्लान आने के बाद उस पर शर्तें मान लेने का दबाव बना. दिलचस्प ये है कि ट्रंप भले ही अपने प्रपोजल को शांति प्रस्ताव कह रहे हों, लेकिन साथ में धमकी भी जुड़ी हुई है. उन्होंने साफ कह दिया कि योजना न मानने की स्थिति में हमास को भारी नुकसान झेलना होगा.
अब तक हमास ने बंधकों को लौटाने और गाजा को फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने पर हामी भर दी. माना जा रहा है कि अगर ज्यादा ऊंच-नीच न हो, तो ये कदम गाजा को रिफॉर्म की तरफ ले जा सकता है. हालांकि कई रिपोर्ट्स इस प्रस्ताव को ट्रैप भी कह रही हैं. वे मान रही हैं कि हमास ने अगर एक बार बंधक लौटाए और हथियार डाले, तो फिलिस्तीन देश का कंसेप्ट कमजोर हो जाएगा. फिलहाल तक ये भी साफ नहीं कि हथियार डालने वाले हमास आतंकी किस तीसरे देश में भेजे जा सकते हैं.
इजिप्ट, कतर और तुर्की जैसे देश, जो अब तक हमास को सपोर्ट करते रहे, अब हमास की मंजूरी पर सिर हिला रहे हैं. इसकी वजह ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी भी हो सकती है. हाल-हाल में वे अरब लीग से काफी मेलजोल बढ़ा रहे हैं. यहां तक कि कतर को लेकर तो वे काफी प्रोटेक्टिव हो चुके और ये तक कह दिया कि कतर पर हमला, सीधे अमेरिका पर हमला माना जाएगा. डोलता हुआ ही सही, लेकिन अमेरिका अब भी सुपर पावर है. ऐसे में मुद्दा-ए-फिलिस्तीन को अस्थाई तौर पर छोड़ना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. यही वजह है कि कतर जैसे मुखर देश भी अब कंडीशन्स पर चुप साधे हुए हैं.
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