यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा सभी नए H-1B वीजा आवेदनों पर 100,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाने के फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. इस कदम को गुमराह करने वाली नीति और स्पष्ट रूप से गैरकानूनी बताया गया है जो अमेरिकी इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकता है.
कोलंबिया की एक जिला अदालत में गुरुवार को दायर इस मुकदमे में प्रशासन की 19 सितंबर की घोषणा के तहत कुछ गैर-आप्रवासी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध को चुनौती दी गई. इसमें तर्क दिया गया है कि यह H-1B वीजा कार्यक्रम को रेगुलेट करने के कांग्रेस के अधिकार को दरकिनार करके इमीग्रेशन और राष्ट्रीयता अधिनियम का उल्लंघन करता है.
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों को बनाया गया प्रतिवादी
होमलैंड सुरक्षा और विदेश विभाग, उनके सचिवों, क्रिस्टी एल नोएम और मार्को रुबियो को प्रतिवादी बनाया गया है. यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य नीति अधिकारी नील ब्रैडली ने कहा कि कि लगभग 3,600 अमेरिकी डॉलर के मौजूदा स्तर से ऊपर यह अत्यधिक शुल्क, अमेरिकी नियोक्ताओं, विशेष रूप से स्टार्ट-अप्स और छोटे व मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए एच-1बी कार्यक्रम का उपयोग करना महंगा बना देगा.
ट्रंप की घोषणा कांग्रेस के फैसले और कानून का स्पष्ट उल्लंघन
उन्होंने कहा कि इसे कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया था कि सभी आकार के अमेरिकी व्यवसाय यहां अपने परिचालन को बढ़ाने के लिए जरूरी ग्लोबल स्किल तक पहुंच सकें. अपनी शिकायत में चैंबर ने कहा कि यह घोषणा न केवल एक भ्रामक नीति है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से गैरकानूनी भी है.
शुल्क में बढ़ोतरी को बताया गया गैरकानूनी
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के पास गैर-नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर महत्वपूर्ण अधिकार है, लेकिन यह अधिकार कानून द्वारा सीमित है और कांग्रेस द्वारा पारित कानूनों का सीधे तौर पर उल्लंघन नहीं कर सकता.
इसमें कहा गया है, ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा पर शुल्क बढ़ाने की यह घोषणा ठीक यही करती है. यह एच-1बी कार्यक्रम के लिए कांग्रेस द्वारा निर्धारित शुल्कों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करती है और कांग्रेस के इस निर्णय को भी खत्म करती है.
राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में नहीं है शुल्क बढ़ाना
चैंबर की शिकायत में यह भी हाईलाइट किया गया है कि यह घोषणा राष्ट्रपति के वैध अधिकार से परे है. ब्रैडली ने कहा कि चैंबर ने अमेरिका में अधिक इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने के ट्रम्प के प्रस्तावों का सक्रिय रूप से समर्थन किया है, लेकिन इस शुल्क वृद्धि को सहारा देने के लिए, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कम नहीं, बल्कि अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होगी.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ा शुल्क घाटे का सौदा
एच-1बी दर्जा प्राप्त करने के बाद, विशिष्ट क्षेत्रों में हजारों उच्च कुशल लोग हर साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ाते है. ये पेशेवर अर्थव्यवस्था के सभी उद्योगों में, सभी आकार के व्यवसायों के विकास के लिए रास्ता तैयार करते हैं.
इसके परिणामस्वरूप नए इनोवेटिव पहल से अधिक अमेरिकी नौकरियां, उच्च वेतन और नए उत्पाद और सेवाएं मिलती हैं जो सभी अमेरिकियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती हैं. चैंबर की शिकायत में कहा गया है कि नई घोषणा एक सावधानीपूर्वक संतुलित वैधानिक ढांचे को उलट देती है.
भारी शुल्क से श्रम लागत में इजाफा से व्यवसाय को होगा नुकसान
इसमें कहा गया है कि अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह शुल्क अमेरिकी व्यवसायों को भारी नुकसान पहुंचाएगा, जिससे उन्हें या तो अपनी श्रम लागत में भारी वृद्धि करनी पड़ेगी या कम कुशल कर्मचारियों को नियुक्त करना पड़ेगा.
अमेरिका में प्रतिबंधित होने पर प्रतिद्वंदी देंगे कुशल पेशेवरों को मौका
चैंबर के अनुसार, इस तरह के प्रतिबंध अमेरिका के प्रतिद्वंद्वियों को आर्थिक लाभ भी पहुंचाएगा. यह निश्चित रूप से उन प्रतिभाओं का स्वागत करेंगे जो अब संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने में सक्षम नहीं हैं. यह एक ऐसी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त है जिसे विदेशी नियोक्ता शायद कभी वापस नहीं देंगे.
सितंबर में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिससे H1-B वीज़ा के लिए शुल्क सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) तक बढ़ गया. इस कदम से अमेरिका में वीजा पर भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वीकृत सभी H-1B आवेदनों में से लगभग 71 प्रतिशत भारतीय हैं. कंपनियां H-1B आवेदकों को स्पॉन्सर करने के लिए भुगतान करती हैं. जबकि अमेरिका अपनी वीज़ा व्यवस्था को सख्त कर रहा है.
चीन अपनी वीजा नीति को बना रहा लचीला
चीन ने हाल ही में के-वीज़ा नामक एक नए वर्क परमिट की घोषणा की है जिसके तहत दुनिया भर के योग्य पेशेवर देश में आकर काम के अवसर तलाश सकते हैं. के-वीज़ा का उद्देश्य युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतिभाओं को आकर्षित करना है और इसके लिए किसी घरेलू नियोक्ता या संस्था द्वारा आमंत्रण जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है.
—- समाप्त —-