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शारीरिक शोषण, गैंगस्टर्स और रिश्वत… दो पुलिसवालों की आत्महत्या ने खोल दी सिस्टम की पोल! – ips puran kumar Sandeep lather suicide system exposed physical abuse gangsters bribery ntc


हरियाणा के 2 सीनियर पुलिस अफसरों के सुसाइड ने पूरे पुलिस तंत्र को हिला दिया है. इन दोनों घटनाओं ने पुलिस डिपार्टमेंट के भीतर जातीय भेदभाव, करप्शन, जबरन वसूली और गैंगस्टर से कनेक्शन के आरोपों को जन्म दिया है. इन दोनों घटनाओं ने न सिर्फ प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि इसका राजनीतिक रंग भी गहराता जा रहा है. 

ये कहानी सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार के सुसाइड से शुरू हुई थी. इसमें नया मोड़ तब आया जब एक अन्य पुलिस अधिकारी सहायक उपनिरीक्षक (ASI) संदीप लाठर ने खुद को गोली मार ली. लाठर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.

बढ़ते दबाव और विपक्षी हमलों के बीच हरियाणा की भाजपा सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल कर दिया. डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया. साथ ही रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजरानिया को पदस्थापित किया गया है. ये वही दो अधिकारी हैं जिनका नाम आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में लिया था. पूरन कुमार की मौत के बाद अब ये मामला न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक तूफान का रूप ले चुका है. 

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि दलित अधिकारी पूरन कुमार को लगातार जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्होंने यह कदम उठाया. इस मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. 

पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए 29 सितंबर की उस सुबह पर लौटना होगा, जब वाई. पूरन कुमार ने कथित रूप से खुद को गोली मारकर अपनी जान ले ली थी और अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ गए थे, जिसने हरियाणा पुलिस तंत्र को हिला दिया.

29 सितंबर को तबादले का आदेश

2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार का तबादला अचानक आईजी (रोहतक रेंज) के पद से सुनारिया पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज में कर दिया गया. बिना किसी पूर्व सूचना के हुए इस तबादले से 52 वर्षीय अधिकारी बेहद व्यथित हो गए. उन्होंने अगले दिन, यानी 30 सितंबर को उन्होंने पदभार छोड़ दिया और एक सप्ताह की छुट्टी पर चले गए. 

1 अक्टूबर को PSO की हिरासत

1 अक्टूबर को जब पूरन कुमार अपने निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) सुशील कुमार के साथ रोहतक से चंडीगढ़ जा रहे थे, तभी रोहतक पुलिस की एक टीम- जिसमें ASI संदीप लाठर भी शामिल थे, उन्होंने उनकी गाड़ी रोक ली. पुलिस ने बिना किसी एफआईआर या वारंट दिखाए PSO सुशील कुमार को हिरासत में ले लिया. पूरन कुमार के विरोध करने पर उन्हें कथित तौर पर धमकाया गया- पुलिसकर्मियों ने कहा कि अगली बार तुम्हारी बारी आएगी. सूत्रों के अनुसार हिरासत में लिए जाने से पहले PSO ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर कार में छोड़ दी थी. वही हथियार जिसे बाद में पूरन कुमार ने खुद को गोली मारने के लिए इस्तेमाल किया. 

1 से 5 अक्टूबर तक PSO से अवैध पूछताछ 

पीएसओ सुशील कुमार से 5 दिनों तक अवैध रूप से पूछताछ की गई, जबकि उस समय कोई औपचारिक मामला दर्ज नहीं था. आरोप है कि इस दौरान उन्हें प्रताड़ित किया गया और पूरन कुमार के ख़िलाफ़ झूठा बयान देने के लिए दबाव डाला गया. इस बीच पूरन कुमार ने तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजरानिया को कई बार फोन कर हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा था कि उनकी और उनके परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उनके किसी कॉल का जवाब नहीं दिया गया और यहीं से इस पूरे प्रकरण ने एक त्रासद मोड़ ले लिया.

6 अक्टूबर- पूरन कुमार के PSO के खिलाफ FIR  

लगातार दबाव और विवादों के बीच 6 अक्टूबर को पूरन कुमार के निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) सुशील कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत FIR दर्ज की गई. इसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक व्यापारी से 2.5 लाख रुपये की वसूली की कोशिश की थी. इस FIR की जांच करने वाली टीम में ASI संदीप लाठर भी शामिल थे. संदीप लाठर, जो साइबर सेल से जुड़े थे, उन्होंने ही पीएसओ सुशील कुमार के केस से संबंधित कॉल डिटेल्स और डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा किए थे. वरिष्ठ प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह FIR रणनीतिक रूप से दर्ज की गई थी, ताकि पूरन कुमार को अप्रत्यक्ष रूप से शामिल दिखाया जा सके और उनकी गिरफ्तारी के लिए किसी सरकारी अनुमति की जरूरत न पड़े. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत किसी आईपीएस या आईएएस अधिकारी को गिरफ्तारी से विशेष छूट नहीं होती. जांच एजेंसी केवल वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित कर या वारंट लेकर यह कार्रवाई कर सकती है.

7 अक्टूबर का सुसाइड केस 

अगले ही दिन यानी 7 अक्टूबर को वाई. पूरन कुमार ने चंडीगढ़ सेक्टर-11 स्थित अपने सरकारी आवास पर खुद को गोली मार ली. मौके से मिला 8 पेज का सुसाइड नोट उनके भीतर चल रहे गहरे तनाव और उत्पीड़न की कहानी कहता है. इसमें उन्होंने लिखा कि लगातार अपमान, झूठे आरोप, और उनके पीएसओ के खिलाफ साज़िश ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया. सुसाइड नोट में उन्होंने आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम लिए, जिन पर उन्होंने मानसिक प्रताड़ना और छवि खराब करने के आरोप लगाए. 

8 अक्टूबर को अमनीत ने की शिकायत

8 अक्टूबर को पूरन कुमार की पत्नी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार, जो उस समय जापान में आधिकारिक दौरे पर थीं, भारत लौटीं. उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई और साफ कहा कि जब तक सुसाइड नोट में नामित अधिकारियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वह पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं देंगी. 

लैपटॉप विवाद 

पूरन कुमार की मौत के बाद जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) ने उनकी पत्नी को एक पत्र भेजकर कहा कि सुसाइड नोट की फोरेंसिक जांच के लिए पूरन कुमार का आधिकारिक लैपटॉप जमा किया जाए. यह कदम विवाद का कारण बन गया, क्योंकि परिवार का आरोप था कि इससे महत्वपूर्ण डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है.

अमनीत कुमार का पत्र और आरोप 

पूरन कुमार की पत्नी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने SIT को तीन पन्नों का पत्र भेजकर गंभीर आपत्तियां जताईं. उन्होंने कहा कि 10 अक्टूबर को ही उन्होंने पुलिस को पूरन कुमार के आधिकारिक लैपटॉप तक पहुंच दे दी थी. उनके अनुसार पुलिस की आईटी टीम चार घंटे तक डेटा का डिजिटल फिंगरप्रिंट तैयार नहीं कर सकी, और इसके बाद भी जांच एजेंसी ने यह गलत धारणा बनाई कि परिवार जांच में सहयोग नहीं कर रहा. अमनीत कुमार ने आरोप लगाया कि उनके पूर्ण सहयोग के बावजूद मामले को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है, जिससे सच्चाई दबाई जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों को फोरेंसिक सत्यापन में पारदर्शिता बरतनी चाहिए, क्योंकि परिवार किसी भी प्रकार के डेटा में छेड़छाड़ से चिंतित है. 

ASI संदीप लाठर की आत्महत्या से केस और उलझ गया

इस मामले ने 14 अक्टूबर को एक नाटकीय मोड़ लिया, जब ASI संदीप लाठर, जो पूरन कुमार के सुरक्षा अधिकारी सुशील कुमार के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रहे थे, उन्होंने खुद को गोली मार ली. उनका शव रोहतक–पानीपत रोड के किनारे एक खेत के पास बरामद हुआ. संदीप लाठर ने अपने पीछे तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट और एक वीडियो संदेश छोड़ा. पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में संकेत मिला है कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार दबाव और धमकियों का जिक्र किया था. इस घटना ने न सिर्फ़ पूरे मामले को और जटिल और संवेदनशील बना दिया, बल्कि हरियाणा पुलिस की कार्यशैली और आंतरिक राजनीति पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए.

संदीप लाठर ने तीन पन्नों का एक नोट और एक वीडियो संदेश छोड़ा, जिसमें पूरन कुमार को भ्रष्ट अधिकारी बताया गया. संदीप लाठर ने उन पर और उनके साथियों पर रिश्वत लेने, जबरन वसूली करने और महिला अधिकारियों के साथ गलत व्यवहार करने का आरोप लगाया. वीडियो में उन्होंने पूरन कुमार की पत्नी, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, उन पर भी भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया. 

संदीप लाठर का कहना था कि जब पूरन कुमार को ये डर लगा कि जांच में उनके परिवार की गड़बड़ियां सामने आ जाएंगी, तो उन्होंने सुसाइड कर ली. अपने नोट में संदीप लाठर ने लिखा कि मैं निष्पक्ष जांच की मांग के लिए अपनी जान दे रहा हूं, इस भ्रष्ट परिवार को सज़ा मिलनी चाहिए. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि पूरन कुमार ने जातिगत राजनीति के ज़रिए विभाग में मनमानी की, कुछ अधिकारियों को हटाया और अपनी पसंद की टीम बनाकर भ्रष्टाचार का नेटवर्क तैयार किया. 

गैंगस्टर और पुलिस का रिश्ता?

ASI संदीप लाठर का सबसे बड़ा आरोप यह था कि पूरन कुमार ने खुद को एक हत्या के केस से बचाने के लिए कुख्यात गैंगस्टर राव इंद्रजीत के साथ 50 करोड़ रुपये का सौदा किया था.राव इंद्रजीत, जो ‘जेम्स म्यूज़िक’ नाम की कंपनी चलाता है, इस समय अमेरिका में छिपा है. कहा जाता है कि उनका हिमांशु भाऊ गिरोह से गहरा संबंध है. उसका नाम हाल ही में रोहतक के फाइनेंसर मंजीत हत्याकांड, यूट्यूबर एल्विश यादव के घर पर गोलीबारी, और सिंगर फाजिलपुरिया पर हुए हमले में भी सामने आया था. पूरन कुमार की मौत की शुरुआती जांच जातिगत भेदभाव के एंगल से शुरू हुई थी, लेकिन अब लाठर के नए आरोपों ने इसे भ्रष्टाचार और गैंगस्टर-पुलिस गठजोड़ का रूप दे दिया है.

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