बचपन में आपके माता-पिता आपको बहुत सी बातें करने से मना करते हैं. जहां वे आपको मिट्टी में खेलने से लेकर उसे खाने तक से मना करते हैं, वहीं इसके साथ ही उन्होंने कभी ना कभी आपको उंगलियां चटकाने से भी मना किया होगा. माता-पिता ने आपको जरूर कहा होगा, ‘उंगलियां चटकाओगे तो गठिया हो जाएगी!’
ये माता-पिता की तरफ से दी जाने वाली एक ऐसी चेतावनी है जो आपको अक्सर डरा देती थी. लेकिन क्या किसी ने कभी सोचा है कि ये सच में हानिकारक है, या बस एक पुरानी कहावत है? अगर नहीं सोचा और आप माता-पिता द्वारा दी जाने वाली इस चेतवानी से सच में डरते आ रहे हैं तो ये खबर आपको चौंका सकती है. दरअसल, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सच्चाई चौंकाने वाली है. डॉक्टर्स कहते हैं उंगलियां चटकाने से गठिया नहीं होती और इस पॉप की आवाज के पीछे का विज्ञान भी बहुत दिलचस्प है. चलिए जानते हैं.
लोग क्यों चटकाते हैं उंगलियां?
उंगलियां चटकाना एक ऐसी आदत है जो कई लोगों में देखने को मिलती है. लोग अपनी उंगलियों में थोड़े समय के लिए ढीलेपन का एहसास या चटकाने से आने वाली आवाज का मजा लेने के लिए इन्हें चटकाते हैं. जॉन्स हॉपकिन्स आर्थराइटिस सेंटर के अनुसार, उंगलियां चटकने की आवाज सिनोवियल फ्लूइड (जो आपके जोड़ों के अंदर नेचुरल ग्रीस प्रदान करता है) में मौजूद छोटे-छोटे बुलबुलों से आती है.
जब आप अपनी उंगलियों को मोड़ते या फैलाते हैं, तो जोड़ के अंदर निगेटिव प्रेशर बनता है, जिससे फ्लूइड में मौजूद गैस के बुलबुले फट जाते हैं. यही फटना पॉप की आवाज का कारण बनता है. क्योंकि इन गैसों को फिर से घुलने में समय लगता है, इसलिए एक ही उंगली को तुरंत दो बार चटकाया नहीं जा सकता.
क्या उंगुलियां चटकाने से होती है गठिया?
माता-पिता द्वारा दी गई चेतावनी से उठने वाला सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या उंगुलियां चटकाने से जॉइट्स को नुकसान होता है? तो इसका जवाब पिछले कुछ सालों में की गई कई रिसर्च से मिला है. उन रिसर्च में कहा गया है कि उंगुलियां चटकाने और गठिया के बीच कोई संबंध नहीं है.
1. बहुत बार उंगलियां चटकाने से कभी-कभी छोटी-छोटी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे लिगामेंट में हल्की चोट या टेंडन का हिल जाना, लेकिन ये आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती हैं.
2. जो लोग अक्सर उंगुलियां चटकाते हैं, उनकी पकड़ थोड़ी कमजोर हो सकती है, लेकिन ये गठिया नहीं है.
3. बहुत ही कम केसेज में, खासकर बच्चों में, जॉइंट्स पर मोटी स्किन यानी उंगुलियों के पैड बन सकते हैं.
क्या कहती हैं रिसर्च?
कई रिसर्च से साफ पता चला है कि उंगलियां चटकाने से गठिया नहीं होता. एक स्टडी में 215 लोगों को शामिल किया गया था. उसमें पाया गया कि जो लोग उंगलियां चटकाते थे, उनमें 18.1% लोगों को गठिया था, जबकि जो नहीं चटकाते थे, उनमें ये रेट 21.5% था यानी दोनों में लगभग कोई फर्क नहीं था.
एक और दिलचस्प उदाहरण डॉ. डोनाल्ड उंगर का है. उन्होंने 50 साल तक हर दिन दो बार सिर्फ अपने बाएं हाथ की उंगलियां चटकाईं, जबकि दाएं हाथ की कभी नहीं. 1998 में आर्थराइटिस एंड रूमेटिज्म में छपे उनके इस अनोखे प्रयोग से पता चला कि इतने सालों बाद भी उनके किसी भी हाथ में गठिया के कोई लक्षण नहीं दिखे थे.
2017 में की गई एक और स्टडी में भी यही नतीजा मिला. जिन लोगों ने उंगलियां चटकाईं और जिन्होंने नहीं चटकाईं, उनके हाथों की काम करने की क्षमता में कोई फर्क नहीं था.
तो असल में क्यों होता है गठिया?
अब अगर गठिया उंगलियां चटकाने से नहीं होता है तो ये पता होना बहुत जरूरी है कि ये क्यों होती है. बता दें, गठिया दो तरह की होती है.
सूजन वाला गठिया (जैसे रुमेटॉयड आर्थराइटिस), जिसमें जोड़ों में सूजन आ जाती है.
टूट-फूट वाला गठिया (जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस), जो उम्र बढ़ने या ज्यादा इस्तेमाल से होता है.
गठिया होने का खतरा इन कारणों से बढ़ सकता है:
उम्र बढ़ना
ज्यादा वजन या मोटापा
पहले जोड़ों में चोट लगना
परिवार में किसी को गठिया होना
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