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नीतीश की लिस्ट में जाति और धर्म का क्या गुणा-गणित है, एक-एक बात समझ लीजिए – Nitish kumar jdu 101 candidates list caste balance ntc


बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब आखिरी चरण में पहुंच गई है. पार्टियां उम्मीदवारों के नामों के घोषणा करने में जुटी है. सत्ताधारी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने गुरुवार को उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में कुल 44 लोगों का नाम है. इससे पहले पार्टी 57 लोगों के नाम का ऐलान कर चुकी थी. यानि की पार्टी ने कुल 101 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. नाम के ऐलान के साथ-साथ पार्टी ने बताया है कि किसी जाति को कितनी सीट दी गई है. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने दूसरी सूची में कई अहम चेहरों को टिकट दिया है. सुमित सिंह, जो 2020 में निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते थे और वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री हैं, उन्हें चकाई विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. चैनपुर सीट से मंत्री जमा खान, करगहर से वशिष्ठ सिंह, अमरपुर से मंत्री जयंत राज और धमदाहा से मंत्री लेसी सिंह को टिकट दिया गया है.

एक बड़ा राजनीतिक बदलाव यह रहा कि पार्टी ने गोपाल मंडल का टिकट काट दिया है. उनकी जगह गोपालपुर सीट से बुलो मंडल को उम्मीदवार बनाया गया है. 

कहलगांव सीट पर जेडीयू ने शुभानंद मुकेश को मौका दिया है, जो कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय सदानंद सिंह के बेटे हैं. नबीनगर सीट से बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को मैदान में उतारा गया है.

किस जाति को मिली कितनी टिकट?

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101 उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा ओबीसी को ज्यादा सीटें दी गई हैं. 37 ओबीसी उम्मीदवार को जेडीयू ने इस बार मैदान में उतारा है. इसके बाद ईबीसी हैं. 22 ईबीसी उम्मीदवारों को सूची में शामिल किया गया है. इसके बाद जनरल 22, फिर एससी 15, एसटी एक और चार मुस्लिम हैं. 

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सामाजिक समीकरण और महिला प्रतिनिधित्व

पार्टी ने सामाजिक संतुलन और क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार तय किए हैं. दूसरी सूची में 9 महिला उम्मीदवार शामिल हैं, जिसमें केसरिया से शालिनी मिश्रा, शिवहर से श्वेता गुप्ता प्रमुख हैं. कुल मिलाकर 101 उम्मीदवारों में 13 महिलाएं हैं.

पार्टी की रणनीति

जेडीयू ने इस बार टिकट बंटवारे में अति पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक समाज को प्राथमिकता दी है. पार्टी की रणनीति साफ है कि सामाजिक न्याय और सबका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना. 

नीतीश कुमार ने इस बार जो लिस्ट निकाली है, उसमें पार्टी ने हर तरह के लोगों को साधने की कोशिश की है. नीतीश जानते हैं कि उनका असली वोट बैंक कौन है – बहुत ज्यादा पिछड़े लोग (जिन्हें EBC कहते हैं), दलित और मुस्लिम. तो इस बार उन्होंने इन्हीं लोगों को ज्यादा टिकट दिए हैं. ये वही लोग हैं जो पहले से जेडीयू को वोट देते आ रहे हैं.

101 में से 13 महिलाओं को टिकट देकर नीतीश ने औरतों के वोट पकड़ने की कोशिश की है. क्योंकि बिहार में महिला वोटर बहुत अहम हैं. वे जिसको वोट देंगी, वो जीतेगा.

जब पहली लिस्ट आई थी तो उसमें एक भी मुस्लिम नहीं था. लोगों ने काफी शोर मचाया. फिर नीतीश ने दूसरी लिस्ट में 4 मुस्लिमों को टिकट दे दिया. जमा खान (चैनपुर), चेतन आनंद (नबीनगर), सबा जफर (आमौर) और मंजर आलम (जोकीहाट).

बिहार में 17% मुस्लिम आबादी है. अगर ये मुस्लिम वोट राजद-कांग्रेस को चला गया, तो नीतीश का नुकसान होगा. इसलिए उन्होंने 4 मुस्लिम उम्मीदवार देकर कम से कम कुछ मुस्लिम वोट अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है.
 

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