सऊदी अरब और पाकिस्तान ने 17 सितंबर को एक बड़ा सुरक्षा समझौता साइन किया, जिसमें कहा गया कि दोनों देशों पर हमला एक-दूसरे पर हमला माना जाएगा. यह डील परमाणु हथियारों वाले पाकिस्तान के साथ सऊदी की सुरक्षा को मजबूत करती है. लेकिन ईरान के साथ सऊदी का पुराना तनाव देखते हुए सवाल उठ रहा है- अगर ईरान-सऊदी युद्ध हुआ तो क्या पाकिस्तान ईरान के खिलाफ सऊदी की तरफ से लड़ेगा?
सऊदी-पाकिस्तान डील क्या है?
रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह समझौता साइन किया. यह डील दोनों देशों के बीच दशकों पुराने रक्षा संबंधों को मजबूत करती है. मुख्य बातें…
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- म्यूचुअल डिफेंस: किसी एक पर हमला, दोनों पर हमला माना जाएगा. दोनों मिलकर जवाब देंगे.
- परमाणु सुरक्षा: सऊदी अधिकारी ने कहा कि यह “सभी सैन्य साधनों” को कवर करता है. पाकिस्तान के परमाणु हथियार सऊदी को सुरक्षा दे सकते हैं, खासकर ईरान या इजरायल के खतरे से.
- आर्थिक मदद: सऊदी ने पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संभालेगा.
- पृष्ठभूमि: यह डील इजरायल के कतर पर हमले के एक हफ्ते बाद आई, जब गल्फ देशों को अमेरिकी सुरक्षा पर भरोसा कम हो गया. सऊदी अमेरिका से सुरक्षा गारंटी चाहता था, लेकिन न मिलने पर पाकिस्तान की ओर मुड़ा.
अल जजीरा और रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह डील सऊदी की ईरान-विरोधी नीति को मजबूत करती है. सऊदी ने कहा कि यह क्षेत्रीय शांति के लिए है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम और हूती विद्रोहियों के खिलाफ है.
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ईरान-सऊदी तनाव: पुरानी दुश्मनी
ईरान और सऊदी के बीच शिया-सुन्नी विभाजन से तनाव है. सऊदी सुन्नी बहुल है, जबकि ईरान शिया.
मुख्य मुद्दे…
- प्रॉक्सी युद्ध: सऊदी-ईरान सीधे नहीं लड़ते, लेकिन यमन (हूती vs सऊदी), सीरिया, लेबनान (हिजबुल्लाह) में प्रॉक्सी लड़ते हैं. 2016 में सऊदी ने ईरानी राजदूत को मार दिया, जिससे संबंध टूट गए.
- परमाणु कार्यक्रम: सऊदी ईरान के परमाणु हथियारों से डरता है. इजरायल के ईरान पर हमलों को सऊदी ने चुपचाप समर्थन दिया.
- हालिया तनाव: 2024 में ईरान ने सऊदी तेल सुविधाओं पर ड्रोन हमले किए. सऊदी अमेरिका से मदद मांगता रहा, लेकिन अब पाकिस्तान की ओर देख रहा.
CNN की रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने हमेशा ईरान-सऊदी में मध्यस्थ की भूमिका निभाई. 2016 में सऊदी ने यमन युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक मांगे, लेकिन पाकिस्तान ने मना कर दिया.
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पाकिस्तान की स्थिति: ईरान के साथ भी अच्छे संबंध
पाकिस्तान ईरान का पड़ोसी है. दोनों के बीच 900 किमी सीमा है. बलूचिस्तान में साझा समस्या (आतंकवादी) है. पाकिस्तान की नीति…
- मध्यस्थ: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ईरान-सऊदी मध्यस्थता की कोशिश की. 2019 में तेहरान में ईरान के राष्ट्रपति से मिले. 2024 में ईरानी राष्ट्रपति रईसी का पाकिस्तान दौरा हुआ.
- आर्थिक संबंध: ईरान से गैस पाइपलाइन (IP गैसलाइन) पर बात चल रही है. व्यापार 2 बिलियन डॉलर का है.
- सैन्य तनाव: जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हमला किया (जैश अल-अदल पर), तो पाकिस्तान ने जवाबी हमला किया. लेकिन जल्दी शांति हुई.
टाइम मैगजीन (2016) के अनुसार, पाकिस्तान सऊदी का समर्थन करता है, लेकिन ईरान से दुश्मनी नहीं चाहता. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है. इसलिए सऊदी की आर्थिक मदद जरूरी है, लेकिन ईरान से युद्ध अफोर्ड नहीं कर सकता.
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अगर तनाव बढ़ा तो पाकिस्तान ईरान के खिलाफ लड़ेगा?
यह सबसे बड़ा सवाल है. डील के अनुसार, अगर ईरान सऊदी पर हमला करता है, तो पाकिस्तान को सऊदी का साथ देना पड़ सकता है. लेकिन…
- संभावना कम: पाकिस्तान ने हमेशा तटस्थ रहने की कोशिश की. 2016 में यमन युद्ध में सऊदी की मदद न करने का फैसला किया. X पोस्ट्स और अल जजीरा के अनुसार, पाकिस्तान ईरान को भाई मानता है.
- परमाणु खतरा: पाकिस्तान के परमाणु हथियार ईरान के खिलाफ इस्तेमाल? विशेषज्ञ कहते हैं कि यह म्यूचुअल डिस्ट्रक्शन लाएगा. पाकिस्तान के परमाणु हथियार मुख्य रूप से भारत के खिलाफ हैं.
- भारत का एंगल: भारत ने डील पर चिंता जताई. अगर पाकिस्तान मजबूत हुआ, तो भारत के लिए खतरा. लेकिन पाकिस्तान ईरान से युद्ध में फंसना नहीं चाहेगा.
- विशेषज्ञों की राय: अटलांटिक काउंसिल (2025) के अनुसार, पाकिस्तान ईरान के साथ संबंध बनाए रखेगा. सऊदी को मसल फॉर हायर (किराए का सैनिक) माना जा रहा है, लेकिन युद्ध में पाकिस्तान सतर्क रहेगा. X पर यूजर्स कह रहे हैं कि यह डील ईरान के लिए बड़ा खतरा है, लेकिन पाकिस्तान ईरान से लड़ाई नहीं चाहेगा.
पाकिस्तान संतुलन बनाए रखेगा
सऊदी-पाकिस्तान डील क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बदल सकती है, लेकिन पाकिस्तान ईरान के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ेगा. पाकिस्तान की नीति हमेशा संतुलन की रही है- सऊदी से पैसे, ईरान से दोस्ती. अगर तनाव बढ़ा, तो पाकिस्तान मध्यस्थ बनेगा. लेकिन डील से ईरान सतर्क हो गया है. भारत को भी नजर रखनी होगी.
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