Naraka Chaturdashi 2025 : दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसे ही छोटी दिवाली के नाम से जानते हैं. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था. इस साल नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर, रविवार को मनाई जाएगी. इस दिन प्रातः स्नान, दीपदान और यमराज की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है. लेकिन कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें इस दिन करने से बचना चाहिए, ऐसी मान्यता है कि इन कामों को करने से नुकसान का सामना करना पड़ता है.
क्रोध या वाद-विवाद से बचें
इस दिन गुस्सा करना, झगड़ना या किसी से कटु शब्द कहना अशुभ माना गया है. क्रोध और विवाद नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं और मन को अशुद्ध करते हैं. जब मन अशांत रहता है तो पूजा और दीपदान का फल कम हो जाता है. इसलिए इस दिन संयम, शांति और सौम्यता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है.
दूसरों का अपमान या तिरस्कार न करें
किसी की निंदा, आलोचना या अपमान करना इस दिन विशेष रूप से निषिद्ध माना गया है. नरक चतुर्दशी आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति का दिन है. जब हम दूसरों का तिरस्कार करते हैं, तो अहंकार बढ़ता है और यह पुण्य कर्मों की शक्ति को नष्ट कर देता है. भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर अहंकार का नाश किया था. इसलिए इस दिन विनम्रता और करुणा का भाव रखना शुभ माना गया है.
झाड़ू-पोछा और सफाई शाम के समय न करें
नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय झाड़ू-पोछा या घर की सफाई नहीं करनी चाहिए. शाम के समय दीपदान और यमराज की पूजा की जाती है. उस समय झाड़ू लगाना या सफाई करना धन और सौभाग्य के देवता कुबेर और लक्ष्मी का अपमान माना जाता है. मान्यता है कि शाम को झाड़ू लगाने से लक्ष्मी जी घर से बाहर चली जाती हैं.
सूर्योदय के बाद न करें अभ्यंग स्नान
अभ्यंग स्नान का मतलब है तेल मालिश करके स्नान करना. नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः काल में स्नान करने की पंरपरा है. इसे “नरकासुर वध स्नान” भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्योदय के बाद स्नान करने से इस विशेष तिथि का पुण्य नहीं मिलता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है, वह नरक के दुखों से मुक्त होता है. देर से स्नान करने पर यह शुभ प्रभाव घट जाता है.
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