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केरल के ईसाई स्कूल में हिजाब को लेकर दो समुदायों में तनाव, क्यों राज्य में मुस्लिम और क्रिश्चियन आबादी के बीच बढ़ा फासला? – kerala hijab controversy communal division christians muslims ntcpmj


केरल के कोच्चि स्थित स्कूल में छात्रा को हिजाब पहनकर रोका क्या गया, ईसाई और इस्लामिक समुदाय दो फाड़ हो गया. स्कूल का तर्क है कि ड्रेसकोड सबके लिए समान है, वहीं छात्रा के परिवार का आरोप है कि स्कूल प्रशासन जान-बूझकर दूसरे धर्म को परेशान कर रहा है. कुल मिलाकर, जो केरल पहले पढ़ाई-लिखाई और कुदरती खूबसूरती के लिए जाना जाता था, अब वहां भी धार्मिक फर्क दिख रहा है.

क्या ये फसाद ड्रेसकोड तक सीमित है, या इसके पीछे वैचारिक खाई भी है? 

कोच्चि में लैटिन कैथोलिक चर्च की मदद से एक निजी स्कूल सुर्खियों में है. 10 अक्टूबर को वहां आठवीं की एक स्टूडेंट को हिजाब की वजह से एंट्री नहीं मिली. इसके तुरंत बाद छात्रा के परिवार और समुदाय के लोग जमा हो गए और स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. स्थिति काबू से निकलती देख स्कूल प्रशासन को दो दिनों की छुट्टी घोषित करनी पड़ी ताकि उफान उतर जाए. ये अकेली घटना नहीं. ईसाई और मुस्लिम  समुदायों के बीच केरल में दूरी बढ़ती जा रही है. 

स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन का क्या कहना है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रिंसिपल ने हिजाब पहनकर आने पर पहले दिन छात्रा को बेहद नरमी से हिजाब उतारने को कहा. उसने तब तो बात मान ली लेकिन अगले दिन दोबारा हिजाब में आई. इस बार स्कूल ने हिजाब हटाने तक उसे प्रवेश देने से रोक दिया. इसके बाद मामले में उसके पेरेंट्स से लेकर समुदाय के काफी लोग शामिल हो गए. 

kerala school hijab controversy (Photo- Pixabay)
केरल में मुस्लिम आबादी तीसरी बड़ी मेजोरिटी है. (Photo- Pixabay)

स्कूल ने इसके बाद आधिकारिक बयान दिया कि बच्ची के पेरेंट्स राजनीतिक उकसावे में आकर बयान दे रहे हैं. वे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े हुए हैं. यह वो दल है, जिसे कथित तौर पर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से सपोर्ट मिला हुआ है. स्कूल का आरोप है कि ये लोग स्कूल में काम करने वाली नन्स से खराब व्यवहार कर रहे हैं. इसपर भी ऊंगली उठाई जा रही है कि अब तक सामान्य यूनिफॉर्म में आने वाली छात्रा एकाएक हिजाब क्यों पहनने लगी, जबकि उसे शुरू में ही ड्रेस कोड की जानकारी थी. हालांकि खबर लिखे जाने तक ये जानकारी भी आ रही है कि बच्ची का परिवार ड्रेस कोड मानने पर सहमत हो चुका. 

ये मसला एक स्कूल या एक इलाके तक सीमित नहीं, बल्कि राज्य में ईसाई और मुस्लिम समुदाय में हर मामले में टकराव दिख रहा है. 

किसकी, कितनी है आबादी

केरल में हिंदू आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है. इसके बाद मुस्लिम आबादी है, जो 27 फीसदी के करीब है.  18 फीसदी से कुछ ज्यादा ईसाई हैं. ये डेटा आखिरी जनगणना यानी 2011 का है. लेकिन इस दौरान ही धार्मिक आबादी को लेकर हल्की-फुल्की बात होने लगी. दरअसल हिंदुओं और ईसाई समुदाय की तुलना में मुस्लिम कम्युनिटी तेजी से बढ़ रही है.

पिछले सेंसस को ही लें तो साल 2001 से 2011 के बीच बाकी धार्मिक आबादी 2.2 प्रतिशत तक बढ़ी. वहीं मुस्लिम जनसंख्या सीधे लगभग 13 प्रतिशत तक बढ़ गई. आसान तरीके से समझें तो बाकी समुदायों में जहां फर्टिलिटी रेट ही कम है, वहीं मुस्लिम आबादी में फर्टिलिटी पर जोर दिया जाता है. 

फर्टिलिटी रेट ही आबादी में फर्क की वजह नहीं

बीते दो दशक में केरल से ईसाई और हिंदू समुदाय के लोग भी तेजी से दूसरे देशों की तरफ पलायन कर गए और वहीं बस गए. माइग्रेट तो मुस्लिम भी कर रहे हैं लेकिन अस्थाई तौर पर. वे खाड़ी देशों में काम करते हैं और कुछ समय बाद लौट आते हैं.

चूंकि ये आबादी अभी भी टिकी हुई है तो जाहिर तौर पर उनकी राजनीतिक और सामाजिक पैठ भी बढ़ूी. इसे लेकर भी ईसाई समुदाय आक्रामक हुआ. गल्फ देशों में रोजगार और पैसों की आमद से मुस्लिम समुदाय आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हुआ है. इससे कुछ ईसाई व्यापारी और संस्थान खुद को पीछे महसूस कर रहे हैं.

kerala school hijab controversy (Photo- Pixabay)
केरल में ईसाई और मुस्लिम आबादी प्रतिद्वंदी की तरह उभर रही है. (Photo- Pixabay)

कहीं-कहीं धर्म परिवर्तन का भी आरोप लगता रहा

कुछ साल पुरानी एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दोनों ही धर्मों के लोग इस्लाम की तरफ जा रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट में यह भी माना गया कि कनवर्ट हो रहे लोगों में 35 साल से कम उम्र की महिलाएं 75 फीसदी से ज्यादा हैं. इंटेलिजेंस के हवाले से आई बात की सच्चाई पता नहीं, लेकिन यही वो वजह है, जिसने खासतौर पर ईसाई समुदाय को उकसा दिया. 

इस बीच कथित लव जेहाद का मुद्दा भी जोर मारने लगा. कई ईसाई संगठनों ने खुले तौर पर कहा कि मुस्लिम युवा क्रिश्चियन लड़कियों को बरगला रहे हैं और धर्म बदलवा रहे हैं. ऐसे आरोप दूरियां और बढ़ाने लगे. 

दोनों तरफ उभर रहा कट्टरपंथ

कई ईसाई समूह बन गए जो लव जेहाद, नारकोटिक जेहाद और परदे पर उग्र बयान देने लगे. इस बीच केरल में राजनेता भी अलग तरह से सक्रिय हुए. वे जताने लगे कि मुस्लिम कट्टरपंथ के खिलाफ हिंदू और ईसाई एकजुट हों तो सब ठीक रहेगा. 
 
आर्थिक और राजनीतिक तौर पर जड़ें जमा चुका मुस्लिम तबका भी अब कमजोर नहीं था. उसने एक साथ दोनों कम्युनिटीज को घेर लिया और कहा कि ईसाई अब क्रिसंघी हो रहे हैं. संघी और क्रिश्चियन शब्दों के मेल से बना ये शब्द अपने-आप में कट्टरपंथी सुनाई देता है. सोशल मीडिया पर कई समूह बन चुके, जो देम vs अस की भाषा में वीडियो बना रहे हैं. 

बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं को क्यों नहीं पड़ रहा फर्क

यहां ये देखने की बात है कि राज्य में हिंदू आबादी मेजोरिटी है, फिर भी कथित बदलती डेमोग्राफी को लेकर उनमें वैसी बेचैनी नहीं दिखती, जैसी ईसाई समुदाय में है. इसके कई कारण हैं. एक तो ये कि हिंदू कम्युनिटी डायवर्स है, उसके कई डिवीजन हैं. सबकी प्राथमिकताएं अलग हैं. इसलिए मुस्लिम आबादी की बढ़त पर सामूहिक डर नहीं दिखता. वहीं मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा है.

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