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कंधों पर लाश, बेबस लोग और श्मशान घाट… हैरान कर देगी अंतिम संस्कार के लिए नदी से गुजरने की कहानी – Agar Malwa people forced to take dead body for funeral through river lcltm


मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत जेतपुरा के अंतर्गत आने वाले लखमनखेड़ी गांव से एक दिल दहला देने वाली और व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां एक बुजुर्ग महिला के निधन के बाद ग्रामीणों को शव यात्रा को नदी में कमर तक भरे पानी में से होकर पार करनी पड़ी. प्रशासन की अनदेखी और बुनियादी सुविधा के अभाव के कारण ग्रामीणों में गहरा आक्रोश देखा गया है.

पानी में उतरकर नदी पार ले गए लाश

 दरसअल गांव की 65 वर्षीय लीलाबाई पति रणजीत सिंह का निधन हो गया था. अंतिम संस्कार के लिए परिजन व ग्रामीण शव यात्रा लेकर शमशान घाट की ओर निकले. लेकिन गांव में शमशान घाट नदी के दूसरी तरफ होने और कोई पुलिया न बने होने की वजह से सभी को कमर तक पानी में उतरकर नदी पार करनी पड़ी. यह सिलसिला कई महीने बना रहता है. ग्रामीणों ने भारी मन से बुजुर्ग महिला की अर्थी को पानी में से निकालते हुए नदी पार की. यह दृश्य किसी को भी झकझोर देने वाला था.

हर बारिश में यही स्थिति

इस घटना ने गांव की दशा और प्रशासनिक लापरवाही को एक बार फिर उजागर कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं हुआ, हर बारिश में यही स्थिति बनती है. बारिश में नदी में पानी भर जाता है और किसी की मृत्यु हो जाने पर शव यात्रा को इसी तरह नदी पार कर शमशान घाट तक ले जाना पड़ता है.

नदी के दूसरी ओर बना है शमशान

ग्राम सरपंच रामकुंवर बाई पति नागुसिंह ने फोन पर बताया की हमारे गांव में शमशान की भूमि नहीं है, इसलिए शमशान नदी के दूसरी ओर बनाया गया है. पुलिया निर्माण के लिए विधायक से लेकर प्रशासन तक कई बार लिखित में शिकायत और निवेदन किया गया, लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई. बरसों से गांव के लोग इसी परेशानी से जूझ रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम ने गांव में आक्रोश और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल ये है कि आजादी के 75 साल बाद भी अगर किसी गांव में अंतिम संस्कार जैसी बुनियादी जरूरत के लिए नदी पार करनी पड़े, तो फिर विकास योजनाओं के दावे कितने सच्चे हैं.

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