आज 15 अक्तूबर 2025 दिन बुधवार की सुबह आठ बजे ‘चाय पर चर्चा’ आपके शहर गोपालगंज में होगी। अमर उजाला पर कार्यक्रम लाइव टेलीकास्ट होंगे। उसके बाद दोपहर 12 बजे युवाओं से चर्चा की जाएगी। फिर शाम 4 बजे से कार्यक्रम में सभी पार्टी के नेता/प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधि/समर्थकों और आम लोगों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में आइये जानते हैं गोपालगंज का चुनावी इतिहास।
जिले का इतिहास
गोपालगंज को अनुमंडल से जिला बनने में 98 वर्ष का लंबा समय लगा। 1875 में गोपालगंज को सारण जिले के एक अनुमंडल का दर्जा मिला। इसके बाद गोपालगंज का विकास होता रहा और 2 अक्तूबर 1973 को इसे जिले का दर्जा दिया गया। गोपालगंज का इतिहास समृद्ध रहा है और यह कृषि के क्षेत्र में एक बेहतर इलाका रहा है।
2020 में कौन जीता और कौन हारा था
क्रमांक | विधानसभा क्षेत्र | विजयी प्रत्याशी | पार्टी | पराजित प्रत्याशी | पराजित पार्टी |
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1 | बैकुंठपुर | प्रेम शंकर यादव | राजद | मिथिलेश तिवारी | भाजपा |
2 | बरौली | रामप्रवेश राय | भाजपा | रेयाजुल हक राजू | राजद |
3 | गोपालगंज सदर | कुसुम देवी | भाजपा | मोहन प्रसाद | राजद |
4 | कुचायकोट | अमरेंद्र कुमार पांडेय (पप्पू पांडेय) | जदयू | काली प्रसाद पांडेय | कांग्रेस |
5 | भोरे | सुनील कुमार | जदयू | जितेंद्र पासवान | भाकपा माले |
6 | हथुआ | राजेश कुशवाहा | राजद | रामसेवक सिंह | जदयू |
भोरे: सबसे हॉट सीट, 462 वोटों से बनी थी जीत
जिले की सबसे चर्चित सीट भोरे मानी जा रही है। इस सीट से वर्तमान विधायक सुनील कुमार बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले के प्रत्याशी जितेंद्र पासवान को मात्र 462 वोटों के बेहद मामूली अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी। इस बार भी सुनील कुमार का जदयू से चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। उधर, महागठबंधन अपने प्रत्याशी में बदलाव के मूड में है। वजह यह है कि माले के पूर्व प्रत्याशी जितेंद्र पासवान पर हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त होने का आरोप है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस बार माले की ओर से उनकी माताजी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इस समीकरण के चलते भोरे सीट पर मुकाबला और दिलचस्प हो गया है।
गोपालगंज सदर: कांग्रेस बनाम राजद का दांव
जिले की दूसरी अहम सीट गोपालगंज सदर है, जिस पर पूरे जिले की नजरें टिकी हुई हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। कांग्रेस प्रत्याशी आशिफ गफूर मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें तीसरा स्थान मिला। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व सांसद अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव बसपा के टिकट पर दूसरे स्थान पर रहे।
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बीजेपी के सुभाष सिंह ने यह सीट जीती थी और वह बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री बने। बाद में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया, जिसके बाद उपचुनाव में महागठबंधन ने कांग्रेस को टिकट न देकर राजद के मोहन प्रसाद गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था। अब 2025 में यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन इस सीट पर राजद को मौका देता है या कांग्रेस को। दोनों ही पार्टियों के दावेदार अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं।
सासामुसा चीनी मिल और विश्वविद्यालय की मांग
गोपालगंज जिले का सबसे प्रमुख स्थानीय मुद्दा सासामुसा चीनी मिल और जिले में एक विश्वविद्यालय की स्थापना है। वर्षों से बंद पड़ी सासामुसा चीनी मिल एक बड़ी दुर्घटना के बाद से ठप पड़ी है। मिल प्रबंधन द्वारा किसानों के बकाया भुगतान भी अब तक नहीं किए गए हैं। मिल बंद होने से सैकड़ों परिवार बेरोजगारी और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, जिले में एक विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर भी लंबे समय से मांग उठती रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को बाहर जाना पड़ता है, जिससे पलायन बढ़ा है। यह दोनों मुद्दे इस बार के चुनावी माहौल में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
कब और कहां होंगे कार्यक्रम
सुबह 08 बजे: चाय पर चर्चा
स्थान: पोस्ट ऑफिस चौक पर स्थित चाय की दुकान
दोपहर 12 बजे: युवाओं से चर्चा
स्थान: थावे रेलवे स्टेशन के बाहर
दोपहर बाद 3 बजे: राजनेताओं से चर्चा
स्थान: थावे दुर्गा मंदिर के प्रतीक्षालय में
विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे
amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर आप ‘सत्ता का संग्राम’ से जुड़े कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे। ‘सता का संग्राम’ से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।
इनपुट: अनुज कुमार पांडेय 8873096735