तेजस्वी यादव ने IRCTC घोटाले में कहा कि जिस तारीख को सवालों में घिरे जमीन की खरीद हुई और जिस दिन टेंडर आवटिंत किया गया उस दिन वो नाबालिग थे. इसलिए उनके साथ कानून की नजर में व्यस्क जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव और माता राबड़ी देवी के साथ IRCTC घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे हैं. सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू-राबड़ी और उन्हें इस मामले में आरोपी घोषित कर दिया है.
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने तेजस्वी यादव के इस तर्क पर गौर किया कि 5 फरवरी, 2005 को मेसर्स डीएमसीपीएल द्वारा खरीदी गई जमीन और 27 दिसंबर, 2006 को जब टेंडर्स मेसर्स सुजाता होटल को दिए गए तो उस दिन वे नाबालिग थे. इसलिए उन पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने की कानूनी क्षमता नहीं है.
लेकिन अदालत ने तेजस्वी की इस अपील को खारिज कर दिया. तेजस्वी की इस अपील पर अदालत ने कहा कि, “यह तेजस्वी का कोई बचाव नहीं है कि मेसर्स डीएमसीपीएल के शेयरों की बिक्री की तारीखों पर वह नाबालिग थे. इसलिए वर्ष 2005 में भूमि बिक्री के दौरान नाबालिग के रूप में उनकी उम्र को 2010 के बाद शेयरों से संबंधित लेनदेन के लिए वयस्क के रूप में केस चलाने के लिए कोई कानूनी बाधा पैदा करने के लिए नहीं निकाला जा सकता है.”
अदालत ने कहा कि मेसर्स डीएमसीपीएल द्वारा इन शेयरों का ट्रांसफर ही इस ट्रांजेक्शन का अंतिम रिजल्ट था, जिसकी शुरुआत इस कंपनी द्वारा कोचर बंधुओं से खरीदे गए जमीन के टुकड़ों से हुई थी और इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा था.
कोर्ट ने कहा, “वर्ष 2005 से 2014 तक इस जमीन के लिए किए गए संपूर्ण लेन-देन और इससे पैदा होने वाला असर इसे गंभीर रूप से संदिग्ध बनाता है.”
अदालत ने कहा, “जमीन के इस संभवतः बेईमानीपूर्ण ट्रांसफर प्रभाव यह हुआ कि राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव का उस पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त हो गया.”
जज गोगने ने कहा, “अदालत प्रथम दृष्टया इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि मेसर्स डीएमसीपीएल के शेयरों को राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को जिस तरह से कम मूल्य पर ट्रांसफर किया गया, वो संदेह को जन्म देता है.”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी निजी लेन-देन जिसमें हेरफेर और भ्रामक रिटर्न शामिल हो, खासकर जहां बदले में मिलने वाला मूल्य बाजार के स्टैंडर्ड से बहुत कम हो तो यह एक “बेईमानी और धोखाधड़ीपूर्ण कार्य” है क्योंकि इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.
बता दें कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
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