बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है. ऐसे में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अखिलेश यादव वाला दांव चलना शुरू कर दिया है. 2024 में अखिलेश ने जिस तरह सीट बंटवारे से पहले अपने उम्मीदवारों को सिंबल देकर कांग्रेस पर दबाव बना दिया था, अब उसी तर्ज पर लालू यादव भी अपने नेताओं को टिकट बांटना शुरू कर दिया है.
बिहार में दो चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) में अभी भी सीटों के बंटवारे को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. गठबंधन की गांठ सुलझने के बजाय उलझती जा रही है. इसके चलते आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल नहीं हो पा रहा है.
दिल्ली से पटना लौटते ही लालू प्रसाद यादव ने महागठबंधन में सीट बंटवारे का इंतजार किए बिना अपने उम्मीदवारों को पार्टी का सिंबल देना शुरू कर दिया. सोमवार देर शाम करीब आधा दर्जन सीटों पर लालू यादव ने टिकट बांटकर नामांकन करने की हरी झंडी दे दी थी. इस तरह लालू ने कांग्रेस पर सियासी दबाव बनाने का दांव चला, लेकिन तेजस्वी के पटना पहुंचते ही सीन बदल गया.
लालू यादव ने आरजेडी प्रत्याशी को दिए सिंबल
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आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोमवार देर शाम कई सीटों पर उम्मीदवारों को सिंबल सौंपा. लालू ने मनेर विधानसभा सीट से पार्टी के कद्दावर नेता और मौजूदा विधायक भाई वीरेंद्र को टिकट दिया. इसके बाद मसौढ़ी (सुरक्षित) विधानसभा सीट से रेखा पासवान, मटिहानी सीट से बोगो सिंह, परबत्ता से डॉ. संजीव कुमार, हथुआ विधानसभा सीट से राजेश कुमार और संदेश सीट से दीपू सिंह उर्फ दीपू राणावत को आरजेडी का सिंबल दे दिया. इस तरह लालू प्रसाद ने अपने उम्मीदवारों को टिकट देकर प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव चला.
अखिलेश के नक्शेकदम पर लालू ने बढ़ाया कदम
2024 में सपा और कांग्रेस मिलकर यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ी थीं. सीट शेयरिंग को लेकर दोनों ही दलों के बीच शह-मात का खेल चल रहा था, जिसके चलते सीट बंटवारा नहीं हो पा रहा था. ऐसे में अखिलेश यादव ने बिना इंतजार किए अपने उम्मीदवारों को टिकट बांटना शुरू कर दिया था.
सपा ने साफ कर दिया था कि अब सीट शेयरिंग का बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करेगी, उसमें वो भी सीटें शामिल थीं, जिस पर कांग्रेस अपना दावा कर रही थी. अखिलेश के इस कदम से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी और फिर आनन-फानन में सपा के फॉर्मूले पर ही समझौता करना पड़ा था.
अखिलेश यादव के इसी दांव को लालू प्रसाद यादव बिहार विधानसभा चुनाव में आजमाने का दांव चला. महागठबंधन में सीट शेयरिंग में हो रही देरी से लालू यादव नाराज बताए जा रहे हैं. इसी नाराजगी के चलते लालू ने बिना सीट के आधिकारिक बंटवारे के ही सिंबल बांटना शुरू कर दिया.
लालू के इस कदम से कांग्रेस पर प्रेशर पॉलिटिक्स बनाने का दांव चला। आरजेडी अकेले अपने उम्मीदवारों को आगे बढ़ाकर मास्टर स्ट्रोक चला, लेकिन तेजस्वी के पटना पहुंचते ही सियासी गेम बदल गया।
तेजस्वी के पटना पहुंचते ही बदल गया गेम
सपा जिस तरह यूपी में कांग्रेस पर दबाव बनाने में सफल रही थी, उसी तर्ज पर आरजेडी भी बिहार में कांग्रेस पर प्रेशर बनाना चाहती थी. सीट शेयरिंग पर आधिकारिक घोषणा से पहले लालू यादव के सिंबल बांटने की बात कांग्रेस को रास नहीं आई.
यही वजह रही कि तेजस्वी के दिल्ली से पटना पहुंचते ही सियासी गेम बदल गया. तेजस्वी यादव पटना पहुंचे तो आधी रात के वक्त उन उम्मीदवारों को वापस राबड़ी आवास से बुलाया गया जिन्हें सिंबल दिया गया था.
दिल्ली में तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेताओं की बैठक के बीच पटना में जिस तरह से आरजेडी के उम्मीदवारों को सिंबल दिया गया, उससे कांग्रेस नाराज थी.य इस बात को कांग्रेस ने तेजस्वी के सामने रखा. इसीलिए तेजस्वी यादव के पटना पहुंचने के बाद आरजेडी के उम्मीदवारों को जारी किया गया सिंबल वापस ले लिया गया है.
आधी रात को सिंबल लेने वाले आरजेडी के सभी उम्मीदवार बारी-बारी से राबड़ी आवास पहुंचे और उन्होंने फॉर्म-बी को वापस कर दिया. इस तरह आरजेडी अब औपचारिक सीट बंटवारे के बाद सिंबल बांटने का काम करेगी.
आरजेडी क्या कांग्रेस पर नहीं बना पा रही दबाव
तेजस्वी के पटना पहुंचते ही कांग्रेस की तरफ से यह मैसेज उन्हें दे दिया गया कि कांग्रेस ने सीट शेयरिंग पर घोषणा हुए बगैर अब तक अपने उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी नहीं की है और सिंबल भी नहीं दिया है. ऐसे में आरजेडी के उम्मीदवारों को सिंबल देना उचित नहीं है.
कांग्रेस के इस बात के बाद ही तेजस्वी ने सभी उम्मीदवारों को सिंबल के साथ राबड़ी आवास बुलाया था. ऐसे में कांग्रेस पर दबाव बनाने का लालू का दांव काम नहीं आ सका.
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की कांग्रेस पर प्रेशर पॉलिटिक्स इसीलिए कामयाब हो गई थी कि उस समय कांग्रेस की मजबूरी थी, क्योंकि उसकी नजर पीएम की कुर्सी पर थी. बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस से ज्यादा आरजेडी के लिए अहम है.
बिहार में महागठबंधन सत्ता में आती है तो सीएम की कुर्सी पर कांग्रेस नेता नहीं बल्कि तेजस्वी यादव विराजमान होंगे. आरजेडी की इसी सियासी मजबूरी को देखते हुए कांग्रेस ने अपना दांव चला, जिसके चलते तेजस्वी ने लालू के बांटे टिकट को वापस ले लिया.
तेजस्वी यादव किसी भी सूरत में कांग्रेस को बिहार चुनाव में नाराज कर मैदान में नहीं उतरना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इस बार का चुनाव आरजेडी के लिए कितना अहम है.
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