भारत में आज भी कई सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के बच्चे सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे पढ़ रहे हैं. शिक्षा मंत्रालय के साल 2024-25 के आधिकारिक डेटा के मुताबिक देश के कुल 1,04,125 स्कूलों में एक ही शिक्षक सभी कक्षाओं के बच्चों को सारे विषय पढ़ाते हैं. करीब 33 लाख 7 हजार छात्र इस तरह पढ़ने को मजबूर हैं.
किस राज्य का क्या है हाल?
सिंगल-टीचर स्कूलों की लिस्ट में आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर है. यहां 12,912 ऐसे स्कूल हैं. दूसरे नंबर पर 9,508 स्कूलों के साथ उत्तर प्रदेश, फिर 9,1720 स्कूलों के साथ झारखंड है. इसके अलावा लिस्ट में महाराष्ट्र (8,152), कर्नाटक (7,349), मध्य प्रदेश (7,217), पश्चिम बंगाल (6,482), राजस्थान (6,117), छत्तीसगढ़ (5,973) और तेलंगाना (5,001) भी शामिल है.
यूनियन टेरिटरी का हाल
दिल्ली में केवल 9 और अंडमान और निकोबार में 4 सिंगल-टीचर स्कूल हैं. लक्षद्वीप में 7,217 ऐसे स्कूल मौजूद हैं. वहीं पुडुचेरी, लद्दाख, दादरा-नगर हवेली, दमन और दीव और चंडीगढ़ में कोई सिंगल-टीचर स्कूल नहीं है.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नामांकन
जहां सिंगल-टीचर स्कूलों के मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है, यहां के स्कूलों में सबसे ज्यादा छात्र नामांकित (enrolled) हैं. यह संख्या 6 लाख 2 हजार है. इसके बाद सबसे ज्यादा नामांकन झारखंड (4 लाख 36 हजार), पश्चिम बंगाल (2 लाख 35 हजार), मध्य प्रदेश (2 लाख 29 हजार), कर्नाटक (2 लाख 23 हजार), आंध्र प्रदेश (1 लाख 97 हजार) और राजस्थान (1 लाख 72 हजार) में हैं.
एक शिक्षक पर होनी चाहिए कितने छात्रों की जिम्मेदारी?
राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट 2009 के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं (1से 5) के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात (प्यूपिल-टीचर रेश्यो) 30:1 और उच्च प्राथमिक (6 से 8) के लिए 35:1 होना चाहिए. हालांकि, एक सिंगल-टीचर स्कूल में हर शिक्षक पर औसतन 34 छात्रों की जिम्मेदारी है. इससे शिक्षा की क्वालिटी और शिक्षकों के वर्कलोड को लेकर चिंता बढ़ रही हैं.
दो सालों में 6 प्रतिशत की गिरावट
सिंगल-टीचर स्कूलों की संख्या 6 प्रतिशत की गिरावट के साथ साल 2022-23 में 1,18,190 से घटकर साल 2023-24 में 1,10,971 हो गई, लेकिन सभी के लिए बुनियादी शिक्षा सुनिश्चित करने में अभी भी यह संख्या एक बाधा बनी हुई है.
सरकार का अगला कदम
मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि सरकार कम या शून्य नामांकन वाले स्कूलों को एक करने और संस्थानों का विलय करने पर काम कर रही है. अधिकारी के मुताबिक सिंगल-टीचर स्कूल पढ़ाने और सीखने की प्रक्रिया को मुश्किल बनाते हैं, इसलिए बिना छात्रों वाले स्कूलों के शिक्षकों को इन स्कूलों में ट्रांसफर किया जा रहा है, जिससे शिक्षा सभी के लिए उपलब्ध हो सके.
औसत छात्र नामांकन की स्थिति
प्रति स्कूल औसत छात्र नामांकन की बात करें तो यह चंडीगढ़ (1,222) और दिल्ली (808) में सबसे ज्यादा है. वहीं लद्दाख (59), मिजोरम (70), मेघालय (73), और हिमाचल प्रदेश (82) में यह संख्या काफी कम है.
एजुकेशन सिस्टम को तर्कसंगत (rationalized) और मजबूत बनाने के सरकार की निरंतर कोशिशों के बावजूद, यह सिंगल-टीचर स्कूल हर किसी के लिए शिक्षा तक पहुंच और उसकी गुणवत्ता में गहरी असमानताओं को उजागर करते हैं.
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