मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को अंडरवर्ल्ड पर बड़ा एक्शन लेते हुए छोटा राजन गैंग के कुख्यात गैंगस्टर डीके राव को गिरफ्तार कर लिया. उसके साथ दो अन्य आरोपियों अनिल सिंह और मिमित भूटा भी हवालात पहुंच चुके हैं. ये मामला जबरन वसूली और धमकी का है, जो मुंबई के बिल्डर सर्कल से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. इसमें 1.25 करोड़ रुपए के लेन-देन की बात सामने आई है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार की शाम गैंगस्टर डीके राव अपने दोनों साथियों के साथ दक्षिण मुंबई स्थित सत्र न्यायालय में एक सुनवाई के सिलसिले में पहुंचा था. तभी पुलिस की एक टीम ने उसे अदालत परिसर में ही दबोच लिया. उसके साथ मौजूद दोनों साथी भी मौके पर गिरफ्तार कर लिए गए. एक बिल्डर ने शिकायतकर्ता से 1.25 करोड़ रुपए लिया था, लेकिन उसने समय पर वापस नहीं किया.
इसके बाद शिकायतकर्ता ने जब अपने पैसे मांगने शुरू किए तो उसने डीके राव एंड गैंग के जरिए उसको धमकी दिलाना शुरू कर दिया. उसके साथियों ने उसे गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी. इसके बाद पीड़ित पुलिस के पास पहुंचा. उसकी शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(4), 61(2) और 3(5) के तहत डीसीबी सीआईडी सीआर नंबर 596/2025 दर्ज किया गया है.
तीनों बदमाशों डीके राव, अनिल सिंह और मिमित भूटा को शनिवार को अदालत में पेश किया जाएगा. यह कोई पहली बार नहीं है जब डीके राव पर जबरन वसूली का आरोप लगा हो. इसी साल जनवरी में भी उसे छह अन्य साथियों के साथ एक होटल कारोबारी से 2.5 करोड़ रुपए की उगाही की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. डीके को कभी छोटा राजन का सबसे भरोसेमंद आदमी कहा जाता था.
मुंबई में अंडरवर्ल्ड का खौफनाक इतिहास रहा है. 90 के दशक में डीके राव छोटा राजन गिरोह का बड़ा चेहरा था. उस पर जेल के भीतर से कई आपराधिक वारदातें संचालित करने के आरोप भी लग चुके हैं. साल 2002 में जब छोटा राजन और उसके सहयोगी ओपी सिंह के बीच मतभेद हुआ, तब भी डीके का नाम चर्चा में आया. ओपी सिंह नासिक जेल में था. छोटा राजन पर उसके खिलाफ साजिश का आरोप लगा था.
बताया जाता है कि डीके राव और उसके गिरोह के कुछ सदस्य खुद को दूसरी जेल में ट्रांसफर करवाकर ओपी सिंह की हत्या में शामिल हुए. एक और घटना में डीके राव को पुलिस ने मुठभेड़ में घेर लिया था. चार साथी मारे गए, लेकिन उसने मरने का नाटक करके खुद को बचा लिया. वो तीन दशकों तक चलती रही अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच खूनी गैंगवार में भी जिंदा बचा रहा.

डीके राव छोटा राजन का जितना करीबी था, उतना ही दाऊद इब्राहिम की आंखों में खटकता रहता था. डी कंपनी ने उसे कई बार मारने की कोशिश की, लेकिन वो हर बार बचता रहा. यहां तक कि छोटा राजन के विदेश में छिप जाने के बाद भी वो अकेले मुंबई की जरायम की दुनिया में बचता रहा. मुंबई पुलिस के लिए डीके राव की गिरफ्तारी आसान नहीं थी, क्योंकि उस पर निगरानी रखना जोखिम भरा रहा है.
बताते चलें कि अंडरवर्ल्ड डॉनछोटा राजन की गिरफ्तारी की कहानी भी किसी फिल्म पटकथा से कम नहीं थी. वो हमेशा VOIP कॉलिंग सिस्टम से बातचीत करता था ताकि उसकी लोकेशन ट्रेस न हो सके. लेकिन 24 अक्टूबर 2015 को उसने नियम तोड़ दिया. उस दिन उसने एक करीबी को WhatsApp कॉल कर दी. यही कॉल उसके लिए मुसीबत का परवाना साबित हुई. कॉल इंटरसेप्ट कर ली गई.
उस बातचीत में छोटा राजन ने कहा था, “अब मैं ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षित नहीं हूं, यहां से निकलना होगा.” सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं. इंटरपोल ने तुरंत अलर्ट जारी किया कि छोटा राजन देश छोड़ने वाला है. अगले ही दिन ऑस्ट्रेलियन फेडरल पुलिस को पता चला कि एक भारतीय मूल का व्यक्ति बाली के लिए रवाना हुआ है. उसका नाम और उसके पासपोर्ट की डिटेल्स मैच होते ही अलार्म बज गया.
बाली एयरपोर्ट पर प्लेन उतरा ही था कि इमिग्रेशन डिपार्टमेंट और स्थानीय पुलिस ने ऑपरेशन लॉकडाउन शुरू कर दिया. कुछ ही मिनटों में छोटा राजन को पकड़ लिया गया. उसकी गिरफ्तारी के बाद दाऊद इब्राहिम के खास गुर्गे छोटा शकील ने कहा, “राजन की गिरफ्तारी हमारी मेहरबानी से हुई है, अब उसका अंत तय है.” इधर भारत में खबर मिलते ही गृह मंत्रालय हरकत में आ गया.
भारत और इंडोनेशिया के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद थी, इसलिए कानूनी प्रक्रिया तेजी से शुरू हुई. इस ऑपरेशन की कमान खुद भारत सरकार के तत्कालीन मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने संभाली थी. वो बाली गए, कागजी कार्रवाई पूरी की गई. 6 नवंबर 2015 की सुबह स्पेशल चार्टर्ड विमान बाली से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरा. विमान से उतरते ही छोटा राजन ने भारतीय मिट्टी को झुककर चूमा.
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