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‘ADG लेवल का अफसर मर गया, 5 दिन हो गए इंसाफ नहीं मिला’, IPS पूरन का शव ले गई पुलिस तो बिफरे परिजन – IPS puran kumar postmortem family consent controversy lclk


हरियाणा के आईपीएस अधिकारी और एडीजीपी वाई पूरन कुमार की संदिग्ध मौत के मामले में अब नया मोड़ आ गया है. परिजनों ने पुलिस पर बिना अनुमति के पूरन कुमार के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने का आरोप लगाया है. कहा जा रहा है कि पुलिस ने परिवार की सहमति के बिना वाई पूरन कुमार का शव सेक्टर-16 अस्पताल से पीजीआई चंडीगढ़ भेज दिया.’

हमारे साथ अन्याय हो रहा है: पूरन कुमार के रिश्तेदार

इसको लेकर मृतक अधिकारी पूरन कुमार के साले अमित रत्तन ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘परिवार की कोई सहमति नहीं ली गई, फिर भी पुलिस ने शव को अपने स्तर पर पीजीआई भेज दिया, एडीजी लेवल का अधिकारी मर गया लेकिन हमें पांच दिनों बाद भी न्याय नहीं मिला है.’

7 अक्टूबर को एडीजीपी वाई पूरन कुमार का शव चंडीगढ़ स्थित उनके आवास से बरामद किया गया था. वो रोहतक के सुनारिया स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (PTC) में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) के पद पर तैनात थे. उन्होंने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम लिखे थे और उनपर  जातीय भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था.

इस मामले में उनकी पत्नी और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने हरियाणा डीजीपी और रोहतक एसपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (Section 108 BNS) और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है.

उन्होंने पति के पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं दी थी और कहा था कि जब तक न्याय नहीं मिल जाता वो पूरन कुमार को अंतिम विदाई नहीं देंगे.वहीं, चंडीगढ़ पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है. 

हरियाणा IAS एसोसिएशन ने राज्य सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन से इस पूरे मामले को उच्चतम गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ देखने की अपील की है. एसोसिएशन ने कहा है कि मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों को भेजे गए ज्ञापन में जिन मुद्दों को उठाया गया है, उनकी गहराई से जांच की जानी चाहिए.

 

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