बांग्लादेश की मुहम्मद युनुस-नेतृत्व वाली अस्थायी सरकार और उसके प्रमुख सहयोगी, छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के बीच सियासी खींचतान बढ़ती जा रही है। एनसीपी ने आरोप लगाया कि सरकार के सलाहकार बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बीच सुरक्षित निकास की तलाश कर रहे हैं।
हालांकि, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मामलों की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा मैं किसी भी तरह का निकास नहीं ढूंढ रही। मैं अपना शेष जीवन बांग्लादेश में बिताऊंगी। उन्होंने एनसीपी नेताओं से स्पष्ट जवाब की मांग की कि उन्होंने ऐसा आरोप क्यों लगाया।
एनसीपी ने ही हसीना को सत्ता से हटाया था
एनसीपी ने फरवरी में युनुस के आशीर्वाद से राजनीतिक रूप में अपनी पहचान बनाई। यह पार्टी छात्रों के विरोध आंदोलन SAD की एक बड़ी शाखा है, जिसने पिछले साल की ‘जुलाई क्रांति’ में हिंसक सड़कों पर प्रदर्शन किया और 5 अगस्त को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटाया।
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सुरक्षित निकास पर हंगामा बढ़ा
युनुस ने अस्थायी सरकार में छात्रों के तीन प्रतिनिधियों को सलाहकार परिषद में शामिल किया। हालांकि, बाद में युनुस ने एनसीपी का नेतृत्व संभालने के लिए इस्तीफा दे दिया, जबकि दो अन्य सदस्य सलाहकार बने रहे। एनसीपी के अनुसार, कई सलाहकार राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। एनसीपी के समन्वयक सरजिस आलम ने कहा कुछ सलाहकार अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए सोच रहे हैं। सुरक्षित निकास का विकल्प केवल मृत्यु में है। लोग उनका पीछा करेंगे।
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पूर्व प्रधानमंत्री और अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
इस बीच, बांग्लादेश की विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और 29 अन्य के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। ये आरोप उनके शासनकाल में कथित जबरन गायब कराए गए लोगों से जुड़े हैं। हालांकि, अस्थायी सरकार ने कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखती है और एनसीपी नेताओं के आरोपों की व्याख्या उनकी जिम्मेदारी है। बांग्लादेश में आगामी फरवरी में राष्ट्रीय चुनावों से पहले यह सियासी उठापटक देश में राजनीतिक अस्थिरता और तनाव की नई लकीर खींच रही है।