IPS Y Pooran Kumar Suicide Case: वाई पूरन कुमार 2001 बैच के हरियाणा कैडर के IPS अफसर थे. वाई पूरन कुमार 7 अक्टूबर की सुबह तक सुनारिया पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के हेड थे. इस पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में महज हफ्ता भर पहले 19 सितंबर को वाई पूरन कुमार का ट्रांसफर किया गया था. पुलिस सर्किल में पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रांसफर को अमूमन एक पनिशमेंट पोस्ट यानि सजा दी जाने वाली पोस्टिंग माना जाता है. 29 सितंबर से पहले पूरन कुमार रोहतक रेंज के IGP यानि इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस हुआ करते थे. लेकिन अचनाक 29 सितंबर को इस फील्ड ड्यूटी से हटाकर उन्हें पुलिस ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया गया.
अमनीत पी. कुमार हरियाणा कैडर की IAS अफसर हैं. अमनीत फिलहाल मुख्यमंत्री के दफ्तर में विदेशी डेस्क की हेड हैं. अमनीत की एक और पहचान भी है. वे IPS वाई पूरन कुमार की पत्नी हैं.
रोहतक का में है अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन. उसी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर की कॉपी ‘आज तक’ के पास है, जिसमें खुद आईजीपी यानि इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस वाई पूरन कुमार का नाम भी दर्ज है, वो भी शराब के एक ठेकेदार से ढाई लाख रुपये महीना मांगने के इल्जाम में. 6 अक्टूबर को ये एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर दर्ज होते ही बीते 5 सालों से वाई पूरन कुमार के साथ काम करने वाले हेड कॉंस्टेबल सुशील कुमार को रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद हेड कॉंस्टेबल सुशील कुमार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.
FIR दर्ज होने के 24 घंटे के अंदर..
चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में मौजूद है कोठी नंबर 116. जो वाई पूरन कुमार का घर है. आईपीएस वाई पूरन कुमार उसी घर में अपनी आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार और एक बेटी के साथ रहते थे. उनकी दूसरी बेटी अमेरिका में पढ़ाई कर रही है. रोहतक में एफआईआर दर्ज होने के अगले ही दिन दोपहर करीब डेढ़ बजे पुलिस कंट्रोल रूम को एक फोन जाता है. कंट्रोल रूम को बताया गया कि कोठी नंबर 116 में गोली चलने की आवाज सुनाई दी है. अब चूंकि ये कोठी एक आईजीपी की थी, लिहाजा फौरन पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. इस कोठी के बेसमेंट में सोफे पर खून से लथपथ एक लाश पड़ी थी. लाश के बराबर में एक पिस्टल थी. साथ ही 9 पन्नों का एक नोट भी था. लाश आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार की थी. पहली नजर में ही साफ हो गया था कि वाई पूरन कुमार ने अपनी ही सर्विस रिवॉल्वर से अपने सिर के दाहिने हिस्से में गोली मार ली थी.
हालांकि बाद में एंबुलेंस के जरिए पूरन कुमार की लाश चंडीगढ़ के सेक्टर 16 में मौजूद अस्पताल ले जाई गई. जिस वक्त ये वारदात हुई तब घर में सिर्फ दो घरेलू नौकर मौजूद थे. वाई पूरन कुमार की बेटी मार्केट गई हुई थी. जबकि उनकी आईएएस पत्नी हरियाणा के मुख्यमंत्री के साथ एक डेलिगेशन के सदस्य के तौर पर जापान गई हुई थीं. बुधवार को अमनीत कुमार जापान से चंडीगढ़ पहुंची. जिसके बाद ही वाई पूरन कुमार की लाश का पोस्टमार्टम हुआ.
शुरुआती तफ्तीश के मुताबिक, मामला खुदकुशी का है. वाई पूरन कुमार ने अपने ही सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी. सूत्रों के मुताबिक, खुदकुशी से पहले पूरन कुमार ने 8 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा. जबकि 9वें पन्ने में अपनी वसीयत लिखी. वसीयत में उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी अपनी पत्नी के नाम लिखी है. सूत्रों का ये भी कहना है कि खुदकुशी से पहले उन्होंने सुसाइड नोट की कॉपी वॉट्सएप के जरिए अपनी पत्नी और अपने कुछ आला पुलिस अफसर को भी भेजी थी. सुसाइड नोट मिलते ही जापान से उनकी पत्नी अमनीत पी कुमार ने फौरन पूरन कुमार को फोन किया. लेकिन पूरन कुमार ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद अमनीत ने अपनी बेटी को फोन मिलाया. तब बेटी ने बताया कि वो घर के बाहर मार्केट में है. इसके बाद बेटी ने पूरन कुमार को फोन मिलाया. फोन तब भी नहीं उठा.
तब बेटी बदहावस हालत में घर पहुंची. घर पहुंचने पर दोनों घरेलू नौकरों ने बताया कि पूरन कुमार घर के बेसमेंट के थिएटर रूम में गए हैं. जाने से पहले उन्होंने ये हिदायत दी थी कि वो कुछ जरूरी काम कर रहे हैं इसलिए उन्हें कोई डिस्टर्ब ना करे. पूरन कुमार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे थिएटर रूम में गए थे. थियेटर रूम पूरी तरह साउंड प्रूफ है. घर पहुंचते ही पूरन कुमार की बेटी दोनों घरेलू नौकरों के साथ जब बेसमेंट में थिएटर रूम में पहुंची तो पाया कि उनकी लाश सोफे पर पड़ी है. इसके बाद ही पुलिस को खबर दी गई.
IPS वाई पूरन कुमार की मौत पर सवाल!
अब सवाल ये है कि पूरन कुमार ने खुदकुशी क्यों की? 8 पन्नों की सुसाइड नोट में ऐसा क्या लिखा है? हफ्ता भर पहले उनका ट्रांसफर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में क्यों किया गया? रोहतक की अर्बन एस्टेट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से उनकी मौत का क्या कनेक्शन है? एफआईआर दर्ज होने और हेड कॉंस्टेबल की गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर अंदर उन्होंने खुदकुशी क्यों की? क्या मामला सिर्फ इस एफआईआर तक ही सीमित है या फिर आला पुलिस अफसरों के खिलाफ पहले की गई पूरन कुमार की शिकायत और अदालत में दायर उनकी अनगिनत याचिकाओं का उनकी खुदकुशी से कोई संबंध है?
हालाकि सुसाइ़़ड नोट की कॉपी सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस सुसाइड नोट में पूरन कुमार ने एक मौजूदा सीनियर आईपीएस अफसर और एक रिटायर्ड सीनियर आईपीएस अफसर समेत कुल 12 आईपीएस और आइएएस अफसरों के नाम लिखे हैं. इनमें 8 आईपीएस अफसर हैं और 4 आईएएस अफसर. इनमें से कुछ रिटायर हो चुके हैं. जबकि कुछ अब भी सर्विस में हैं. सुसाइड नोट में एक डीजीपी रैंक के अफसर पर बेवजह नोटिस भेज कर उन्हें परेशान करने और 7 आईपीएस और 2 आईएएस अफसर पर उनके खिलाफ प्रशासनिक दखल देने और भेदभाव के इल्जाम लगाए हैं. सुसाइड नोट में सबसे ज्यादा इल्जाम हरियाणा के पूर्व डीजीपी पर हैं.
सूत्रों के मुताबिक, सुसाइड नोट में पूरन कुमार ने जातिवाद, पोस्टिंग में भेदभाव, एसीआर में गड़बड़ी, सरकारी आवास नहीं मिलने, रैंक के हिसाब से सरकारी गाड़ी देने में भेदभाव और कई दूसरी प्रशासनिक शिकायतों का भी जिक्र किया है. हालांकि पूरन कुमार को करीब से जानने वाले कुछ लोगों का कहना है कि रोहतक में एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही वो परेशान थे. इससे पहले रिश्वत के इसी इल्जाम को लेकर शिकायतकर्ता ने कुछ ऑडियो और वीडियो जारी कर दिया था. जिसकी वजह से भी पूरन कुमार परेशान थे. 6 अकूटबर को एफआईआर का दर्ज होना और उसी दिन हेड कॉंस्टेबल सुशील कुमार की गिरफ्तारी ने उन्हें और ज्यादा परेशान कर दिया था.
अब सवाल ये है कि आखिर उस एफआईआर में ऐसा क्या था जिससे पूरन कुमार परेशान थे. तो सबसे पहले इस एफआईआर को पढ़ लीजिए जो रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में पूरन कुमार की मौत से एक दिन पहले दर्ज की गई थी. इस एफआईआर में दर्ज ये इल्जाम तब के हैं, जब पूरन कुमार रोहतक जोन के आईजीपी हुआ करते थे. इस एफआईआर के मुताबिक एडीजी ऑफिस में तैनात हेड कॉंस्टेबल सुशील कुमार ने पूरन कुमार के नाम पर शराब कारोबारी से हर महीने ढाई लाख रुपये देने को कहा था. 6 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज होते ही हेड कॉंस्टेबल सुशील कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. लेकिन गिरफ्तारी से पहले उसने इस रिश्वत कांड में वाई पूरन कुमार का नाम भी ले दिया था. कायदे से सुशील कुमार के बाद बहुत मुमकिन है पूरन कुमार भी गिरफ्तार हो सकते थे.
सवाल ये भी है कि एफआईआर में दर्ज इल्जाम कितना सच है और सवाल ये भी है कि क्या इस एफआईआर के जरिए वाई पूरन कुमार को सचमुच बदनाम करने की साजिश रची गई? इस बीच उस शराब कारोबारी का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसकी शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज हुई है. उस वीडियो में उसने खुलकर रिश्वत वाली बात बताई है.
हरियाणा के पुलिस हलकों में इस बात को भी लेकर चर्चा हो रही है कि रोहतक के शराब कारोबारी ने पहली बार एडीजी ऑफिस से रिश्वत मांगने की शिकायत इसी साल जून में की थी. लेकिन तब कुछ नहीं हुआ. फिर अचानक 29 सितंबर को पूरन कुमार का रोहतक से पुलिस ट्रेनिंग सेंटर सुनारिया में ट्रांसफर कर दिया गया. ट्रांसफर के हफ्ता भर बाद ही अचानक पहले एफआईआर दर्ज होती है और फिर पूरन कुमार के करीबी हेड क़ॉंस्टेबल सुशील कुमार की गिरफ्तारी. सूत्रों के मुताबिक ये सारी चीजें कहीं ना कहीं किसी साजिश की तरफ इशारा करती हैं.
वाई पूरन कुमार को पुलिस महकमे में जारी भेदभाव को लेकर हमेशा आवाज उठाने वाले एक पुलिस अफसर के तौर पर भी जाना जाता है. पिछले चार सालों में पूरन कुमार ने अनगिनत बार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया था. ऐसे ज्यादातर मामले डिपार्टमेंट के अंदर के थे. एक बार तो उन्होंने रैंक के हिसाब से सरकारी गाड़ी के अलॉटमेंट में भेदभाव करने पर विरोध जताते हुए अपनी सरकारी गाड़ी ही लौटा दी थी. पुलिस डिपार्टमेंट के खिलाफ पूरन कुमार के हाई कोर्ट जाने से उनके आला अफसर भी अक्सर उनसे नाराज रहते थे.
अब जिस तरह से एक सीनियर आईपीएस अफसर की मौत हुई है, जाहिर है आने वाले दिनों में इसे लेकर बहुत सारे सवाल उठेंगे. एक बार वाई पूरन कुमार का पूरा सुसाइड नोट जैसे ही सामने आएगा, शायद सारी सच्चाई भी सामने आ जाए.
(रोहतक से सुरेंद्र और चंडीगढ़ से कमलजीत संधु के साथ अमन भारद्वाज का इनपुट)
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