0

क्‍या तेजस्वी यादव ने खुद को महागठबंधन का CM चेहरा घोषित कर दिया है? – Tejashwi Yadav CM face brand politics Congress Bihar election opnm1


तेजस्वी यादव के लिए लालू यादव के साये से निकल पाना काफी मुश्किल रहा है. शायद तेज प्रताप से भी ज्यादा मुश्किल. वारिस होने, और विरासत से बेदखल होने में यही फर्क होता है. तेजस्वी यादव को लालू यादव ने अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी है, और तेज प्रताप को परिवार और पार्टी दोनों से बेदखल कर दिया है. 

चुनाव मैदान में तेजस्वी और तेज प्रताप दोनों भाई अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. तेजस्वी यादव के साथ लालू यादव हैं, तो तेज प्रताप के साथ उनका नाम है. तेज प्रताप अगर अपने दम पर विधानसभा चुनाव भी जीत लेते हैं, तो उनके लिए उपलब्धि वाली बात होगी. और, तेजस्वी यादव सब कुछ करके भी अगर बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बन पाते तो पानी फिर जाना ही समझा जाएगा. 

2020 में तो तेजस्वी यादव अपने दम पर ही चुनाव मैदान में लड़ रहे थे. क्योंकि, लालू यादव तब रांची की जेल में हुआ करते थे. चारा घोटाले में हुई सजा काटने के लिए. लेकिन, तब भी पूरे चुनाव जंगलराज का जिक्र हमेशा की तरह ही होता रहा. 

तेजस्वी यादव को हर हाल में खुद को साबित करना है. साबित करना है कि वो सिर्फ लालू यादव के बेटे भर नहीं हैं, बल्कि दो बार बिहार के डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. अपने दूसरे कार्यकाल की उपलब्धियां तो वो गिनाते ही रहते हैं, अब तो वो खुद को ब्रांड के तौर पर भी पेश कर रहे हैं. कुछ कुछ वैसे ही जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल अपने नाम पर वोट मांगते रहे हैं. 

बिहार में तो ब्रांड नीतीश कुमार 20 साल से बना हुआ है, लेकिन उनके वोट मांगने का अंदाज अलग होता है. सहयोगी बीजेपी या उनके समर्थक उनको सुशासन बाबू बताकर वोट मांगते रहे हैं, लेकिन वो अपना नाम लेने के बजाए हमेशा अपनी शासन व्यवस्था का नाम लेते हैं.

और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता फेसबुक लाइव करके कहते हैं, ‘तेजस्वी सबको नौकरी देगा.’

‘…सब तेजस्वी करेगा!’

तेजस्वी यादव ने सोशल साइट X पर एक लंबी पोस्ट लिखी है. पोस्ट की शुरुआत में वो तारीख भी लिखी है जिस दिन बिहार चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. लिखा है, मेरे प्रिय बिहारवासियों, 14 नवंबर 2025! इस तारीख को हम सभी को याद कर लेना है… परिवर्तन का बिगुल बज चुका है, जनता की जीत का शंखनाद हो चुका है… बस अब पूरे मनोयोग, समस्त ऊर्जा का संचय कर प्रत्येक बिहारवासी को जुट जाना है… महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए.

नया बिहार बनाने के लिए क्या क्या करेंगे, ये तो बताया ही है, तेजस्वी यादव ने सबको सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया है, बदलाव को आतुर बिहार 20 साल बाद अब परिवर्तन के लिए वोट करेगा… देश में सबसे अधिक युवाओं की आबादी वाले प्रदेश में अबकी बार युवा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए वोट करेंगे… बिहार में एक भी ऐसा घर नहीं बचेगा जिसका युवा बेरोजगार रहेगा… सबको तेजस्वी सरकारी नौकरी देगा… जो काम NDA सरकार 17 साल में नहीं कर पाई, वो हमने 17 महीनों में कर दिखाया… 20 साल में जो काम यह सरकार नहीं कर पाई है, अब वो हम 20 महीनों में करके दिखाएंगे… सबके सहयोग से बेहतर, विकसित और नया बिहार बनाएंगे.

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था. सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में, तेजस्वी यादव का वादा था, पहली दस्तखत से आदेश जारी होगा. तेजस्वी यादव सब कुछ करके भी बहुमत से चूक गए. 

मुख्यमंत्री तो नहीं, लेकिन फिर से डिप्टी सीएम बनने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर महागठबंधन का मुख्यमंत्री बनते ही वो फिर से सत्ता में साझीदार बन गए, और चुनावी वादे पूरे किए जाने की बातें होने लगी. कुछ कुछ काम हुए भी, लेकिन फिर वही हुआ. एक दिन नीतीश कुमार ने फिर से महागठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया, और तेजस्वी यादव देखते रह गए. 

लेकिन अब वो घड़ी भी आ चुकी है, जब तेजस्वी यादव के पास फिर से सपना पूरा करने का पूरा मौका है. और, ऐसा भी नहीं कि वो अपनी तरफ से कोई कसर बाकी भी रख रहे हैं. वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव को पूरी उम्मीद थी कि राहुल गांधी उनको मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर देंगे. अपनी तरफ से वो तो राहुल गांधी को विपक्ष के प्रधानमंत्री पद का चेहरा तो बता ही चुके थे. 

जब तेजस्वी यादव ने देखा कि कांग्रेस मनमानी कर रही है, तो खुद को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगे. और, उसी का नतीजा है कि बताने और जताने लगे हैं, जैसे कह रहे हों – सब कुछ तेजस्वी करेगा.
 
कांग्रेस के तेवर भी बदलने लगे

राहुल गांधी के विपक्ष के मुख्यमंत्री चेहरे का सवाल टाल दिए जाने से पहले यही बात बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार से भी पूछा जाता रहा, और वे भी गोलमोल बातें करने लगते थे. लेकिन, तेजस्वी यादव का आक्रामक तेवर देख लगता है कांग्रेस ने भी पैंतरा बदलना शुरू कर दिया है. 

एक टीवी डिबेट में कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत जो कहा वो तो यही संकेत देता है. सुरेंद्र राजपूत ने बड़ा दावा किया है, ’14 नवंबर को चाचा नेहरू का जन्मदिन है… और मुझे विश्वास है कि 14 नवंबर को बदलाव होगा, और बिहार को सबसे कम उम्र वाला युवा मुख्यमंत्री मिलेगा.

बात तो साफ हो गई. नाम न लेकर भी कांग्रेस नेता ने सब कुछ बोल दिया. अब तो शक शुबहे की एक ही वजह लगती है, अगर कांग्रेस ने तेजस्वी यादव से भी कम उम्र का कोई चेहरा रणनीतिक तौर पर छुपा रखा हो. पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के अनुसार तो कन्हैया कुमार भी तेजस्वी यादव से दो साल बड़े ही हैं.

वैसे सूत्रों के हवाले से भी खबर आने लगी है कि महागठबंधन की मीटिंग में सर्व सम्मति से तेजस्वी यादव को नेता मान लिया गया है. महागठबंधन की समन्वय समिति की बैठक तीन घंटे तक चली, जिसमें सीट बंटवारे और चुनाव कैंपेन की रणनीति पर भी विस्तार से चर्चा हुई. 

बीस साल वैसे भी बहुत होते हैं. बीस साल में बहुत कुछ बदल जाता है. तेजस्वी यादव को 2025 के विधानसभा चुनाव से ऐसी ही उम्मीदें हैं. जिस ‘जंगलराज’ की बात हर चुनाव में होती रही है, उसकी अवधि भी 15 साल ही रही, और उसके बाद तो बीस साल वैसे भी बीत चुके हैं.

—- समाप्त —-