नेपाल में सोशल मीडिया बैन के बाद शुरू हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों के बीच हिंसा लगातार बढ़ रही है. राजनीतिक उथल-पुथल भी जबरदस्त है. बवाल के बीच देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी इस्तीफा देना पड़ा है. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति पौडेल के घर पर आगजनी की, तो मंत्रियों को सड़क पर दौड़ा-दौड़कर पीटा. पहले से भारी-भरकम कर्ज में डूबा नेपाल अब Gen-Z क्रांति से बेहाल हो गया है और हालात नहीं संभले, तो देश पर बड़े आर्थिक संकट का खतरा भी है. खास बात ये है नेपाल उन देशों में शामिल हैं, जहां चीन का इकोनॉमिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर तगड़ा दखल है, देश पर मौजूद बाहरी कर्ज में भी ड्रैगन का हिस्सा बड़ा है.
नेपाल के ऊपर कितना कर्ज
सबसे पहले बात करते हैं Gen-Z प्रदर्शनों की आग में झुलस रहे नेपाल पर मौजूद भारी-भरकम कर्ज के बारे में, तो नेपाली कर्ज प्रबंधन कार्यालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश का कुल सार्वजनिक कर्ज (इंटरनल और एक्सटर्नल) FY2024-25 के अंत तक बढ़कर 2.67 लाख करोड़ नेपाली रुपये (लगभग 20 अरब डॉलर) तक पहुंच गया, जो नेपाल की जीडीपी के 45% से ज्यादा के बराबर है. इसमें बाहरी कर्ज का हिस्सा 1.40 लाख करोड़ नेपाली रुपये का है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक अनुमान के अनुसार, साल 2029 तक नेपाल का कुल कर्ज 34.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो इसकी जीडीपी का 50% से ज्यादा हिस्सा होगा.
चीन से भी ली है भारी उधारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल के कुल बाहरी कर्ज का 80% से ज्यादा विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक समेत अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिया गया है, जबकि बाकी का हिस्सा चीन, जापान, भारत और कोरिया जैसे देशों का है. इसमें चीन का कर्ज सबसे ज्यादा है. खासतौर पर ड्रैगन से ये कर्ज नेपाल ने इंफ्रा प्रोजेक्ट के लिए लिया है. इसके साल 2016 में चाइना एक्जिम बैंक से लिया गया 216 मिलियन डॉलर का पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए लिया था, जिसे चुकाना तक उसके लिए मुश्किल हो रहा है.
70.8 मिलियन डॉलर का कर्ज त्रिशूली 3ए हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए गया था. अन्य लिए गए लोन को मिलाकर चीन का नेपाल पर करीब 300 मिलियन डॉलर (करीब 4209 करोड़ नेपाली रुपये) से ज्यादा है. नेपाल को कर्ज देने वालों की लिस्ट में सबसे ऊपर विश्व बैंक और एडीबी हैं, इसके बाद चीन, भारत, जापान, कोरिया, अमेरिका और ब्रिटेन भी बड़े कर्जदाताओं की लिस्ट में हैं.
कर्ज देकर इशारों पर नचाता है चीन
बीते कई दशकों से ये देखने में आया है कि देश में चीन समर्थक वामपंथी सरकारों का शासन रहा है. ताजा विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी ये देखने को मिला कि विरोध करने वाले लोगों ने चीनी नेताओं के पोस्टरों को फाड़ा. इससे साफ है कि देश की जनता अब सरकार में चीन का दखल बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है. नेपाल के हालिया बिगड़े हालातों में चीन की दखलंदाजी की बातें सामने आईं हैं, कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि जहां रजिस्ट्रेशन को लेकर अमेरिकी कंपनियों फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर को बैन किया गया, लेकिन चीनी वाइबर, वीटॉक जैसे प्लेटफॉर्म घड़ल्ले से चल रहे हैं और इनके रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार की मंजूरी मिली हुई है.
लगातार बिगड़ते जा रहे नेपाल के हालात
नेपाल के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, यहां तक कि तनाव को देखते हुए कई भारतीय एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों को रद्द कर दिया है. इनमें एयर इंडिया ने दिल्ली से काठमांडू के लिए AI2231/2232, AI2219/2220, AI217/218 और AI211/212 फ्लाइट कैंसिल की है, तो वहीं इंडिगो एयरलाइंस एडवाइजरी जारी कर मौजूदा बिगड़े हालात के चलते काठमांडू आने-जाने वाली सभी उड़ानें फिलहाल रोक दी हैं. इस प्रदर्शन और हिंसा में करीब 20 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है.
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