नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया जारी है. इस बीच वॉशिंगटन डीसी से बढ़ते दबाव के बीच भारत और चीन के रिश्तों में आई गर्माहट का असर डिजिटल दुनिया में भी दिख रहा है. चीनी कंपनियां और सरकार से जुड़े सांस्कृतिक पेज अब मेटा प्लेटफॉर्म्स (Facebook, Instagram आदि) पर पेड प्रमोशंस के जरिए व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन (Tianjin) गए थे, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था. सबसे दिलचस्प बदलाव DSP Life नाम की कंपनी के ज़रिए दिखा. झिनहुआ (Jinhua) स्थित यह घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनी है जो 15 सितंबर तक के आंकड़ों के अनुसार फिलहाल फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कम से कम 14 विज्ञापन चला रही है. फ्राई पैन से लेकर एयर फ्रायर तक सप्लाई करने वाली इस कंपनी ने मई से जुलाई के बीच भारत में कोई विज्ञापन नहीं चलाया था. लेकिन अगस्त से इसने विज्ञापन शुरू किए.
DSP Life की कहानी अकेली नहीं है. इंडिया टुडे की OSINT टीम को मेटा ऐड लाइब्रेरी (Meta Ad Library) के डेटा में कई ऐसी कंपनियां मिलीं. हमारी टीम ने चीन के 20 ऐसे पेजों का विश्लेषण किया, जो फिलहाल भारत में विज्ञापन चला रहे हैं. सिर्फ सितंबर महीने में ही इन कंपनियों ने कुल 193 पेड विज्ञापन चलाए. मई में ये आंकड़ा सिर्फ 25 विज्ञापन था. यानी चार महीनों में यह संख्या आठ गुना बढ़ गई.
इन विज्ञापनों में नूडल्स से लेकर कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट तक और यहां तक कि चीनी पर्यटन स्थलों को प्रमोट करने वाले विज्ञापन भी शामिल हैं. सरकारी पेज हों या प्राइवेट कंपनियां, सभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, थ्रेड्स, व्हाट्सऐप और मैसेंजर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पहले से कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं. भारत में चीन अब पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक तरीके से अपनी मौजूदगी दिखा रहा है.
ज्यादातर विज्ञापन करने वाले चीनी बिजनेस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े हैं. इनकी नजर भारत के तेजी से बढ़ते क्षेत्रों जैसे कंस्ट्रक्शन, ऑटोमोबाइल, इंडस्ट्रियल मशीनरी, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग और केमिकल्स पर है. सिर्फ व्यापार ही नहीं पर्यटन भी इस रणनीति का हिस्सा बन चुका है. मेटा ऐड लाइब्रेरी के डेटा के मुताबिक Discover China और Binjian Feel जैसे राज्य-नियंत्रित पेज भारतीय यूजर्स को टारगेट करते हुए विज्ञापन चला रहे हैं.
इन विज्ञापनों में चीन के शहर, सांस्कृतिक स्थल और पर्यटन की जगहें दिखाई जा रही हैं, ताकि भारतीय यात्रियों को चीन को अगली छुट्टियों के डेस्टिनेशन के रूप में आकर्षित किया जा सके. ये सब एक बड़े आर्थिक परिदृश्य के बीच हो रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत-चीन व्यापार 2023-24 में 118.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. 2024-25 में यह और बढ़कर 127.71 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले दस वर्षों में सबसे ज्यादा है.
यानी अगस्त में शुरू हुई रिश्ता सुधारने की कूटनीति अब बिजनेस पुश के तौर पर नजर आ रही है और यह पुश सिर्फ प्रोडक्ट्स तक सीमित नहीं है बल्कि प्रभाव और इमेज बनाने की कोशिश भी है. बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच चीन अब भारत में अपनी नई छवि गढ़ना चाहता है.
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