अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर तीखा हमला बोलते हुए चेतावनी दी है कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखता है तो उसे ‘भारी’ टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने फिर दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि भारत मास्को से कच्चे तेल का आयात बंद कर देगा।
एयर फोर्स वन (अमेरिकी राष्ट्रपति का विशेष विमान) में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा, तो उसे भारी शुल्क चुकाते रहना होगा। उन्होंने कहा, वह (भारत) ऐसा नहीं करना चाहता। ट्रंप रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत की हालिया टिप्पणियों के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
पत्रकारों ने जब ट्रंप से कहा, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें ट्रंप और मोदी के बीच हुई बात की जानकारी नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने जवाब देते हुए कहा कि यदि वे ऐसा कहना चाहते हैं, तो वे भारी टैरिफ का भुगतान करना जारी रखेंगे, और वे ऐसा नहीं करना चाहेंगे।
ट्रंप पहले भी कर चुके हैं यह दावा
इससे डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को दोहराया था कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा और उसने लगभग पूरी तरह से खरीद बंद कर दी है। ट्रंप के इस दावे के एक दिन पहले भारत ने अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा था कि वह ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने स्रोतों का विस्तार कर रहा है, ताकि बाजार की परिस्थितियों के अनुसार आपूर्ति बनी रहे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लोदोमीर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठक में ट्रंप ने कहा कि भारत ने करीब 38 फीसदी तेल रूस से खरीदा था, लेकिन अब वह पीछे हट गया है और आगे ऐसा नहीं करेगा। अमेरिका का कहना है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक मदद दे रहा है। जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनसे कहा था कि उनके हस्तक्षेप से लाखों जानें बचीं। हालांकि, भारत स्पष्ट कर चुका है कि संघर्षविराम का समझौता दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधे संवाद से हुआ था, किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
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भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप के बयान के जवाब में भारत ने गुरुवार को कहा था कि वह बाजार की स्थितियों के अनुरूप अपने ऊर्जा स्रोतों का ‘व्यापक आधार तैयार कर रहा है और इसे विविध बना रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, ‘भारत तेल और गैस का बड़ा खरीदार है। जनता के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां इसी मकसद को पूरी करती हैं। ऊर्जा नीति के दो लक्ष्य हैं, पहला स्थिर कीमतें तय करना और दूसरा सुरक्षित आपूर्ति बनाए रखना। इसके लिए हम ऊर्जा स्रोतों को व्यापक बनाते हैं और बाजार स्थितियों के अनुसार विविधता लाते हैं। जहां तक अमेरिका का सवाल है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है।’ उन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चाएं जारी हैं।
इससे पहले प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब पूछा गया था कि क्या प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बातचीत हुई है या टेलीफोन आया है? इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मुझे दोनों नेताओं के बीच कल हुई किसी बातचीत की जानकारी नहीं है।