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Aaj Ka Shabd Dyuti Rameshwar Shukla Anchal Poem Deepawali – Amar Ujala Kavya – आज का शब्द:द्युति और रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ की कविता


‘हिंदी हैं हम’ शब्द शृंखला में आज का शब्द है- द्युति, जिसका अर्थ है- दीप्ति, कांति, आभा, चमक। प्रस्तुत है रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ की कविता- दीपावली 

दिशा-दिशा में दीपों की


आलोक-ध्वजा फहराओ


देह-प्रहित शुभ शुक्र! आज तुम


घर-घर में उग आओ


व्योम-भाल पर अंकित कर दो


ज्योति-हर्षिणी क्रीड़ा


सप्तवर्ण सौंदर्य!


प्रभामंडल में प्राण जगाओ!

जागो! जागो! किरणों के


ईशान! क्षितिज-बाहों में


जागो द्योनायक! पर्जन्यों की


अरश्मि राहों में


जागो स्वप्नगर्भ तमसा के


उर्ध्व शिखर अवदाती


श्री के संवत्सर जागो


द्युति की चक्रित चाहों में।

तिमिर-पंथ जीवन की


जल-जल उठे वर्तिका काली


पके समूची सृष्टि विभा से,


अमा घनी भौंराली


सुषमा के अध्वर्य,


उदित शोभा के मंत्रजयी ओ!


भर दो ऊर्जा से प्रदीप्ति की


भुवन-मंडिनी थाली।

गोरज-चिह्नित अंतरिक्ष के


ज्योति-कलश उमड़ाओ


स्वर्णपर्ण नभ से फिर मिट्टी


के दीपों में आओ


आभा के अधिदेव! मिटा दो


धरा-गगन की रेखा


रश्मित निखिल यज्ञफल को फिर


जन-जन सुलभ बनाओ

दिशा-दिशा में इंद्रक्रांति के


कुमुद-पात्र बिखराओ


सप्तसिंधु-पोषित धरणी की


अंजलि भरते जाओ


सुरजन्मी आलोक! चतुर्दिक


प्रतिकल्पी तम छाया


श्री के संवत्सर! ऋतुओं की


जड़ता पर छा जाओ!

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