उत्तर प्रदेश के रायबरेली के हरचंदपुर इलाके में हुई दलित हरिओम वाल्मीकि की लिंचिंग के मामले में पुलिस ने शनिवार को दो और लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन आरोपियों के नाम अजय अग्रहरि और अखिलेश मौर्य हैं. पुलिस ने अब तक इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही लापरवाही बरतने के आरोप में दो सब-इंस्पेक्टरों समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक, ये मामला 2 अक्टूबर की रात का है, जब हरिओम वाल्मीकि (40) को ड्रोन चोर समझकर ग्रामीणों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. उस रात गांव में धार्मिक कार्यक्रम था. उसी दौरान अफवाह फैली कि चोरों का एक गिरोह ड्रोन के जरिए इलाके की रेकी कर रहा है. उसी समय ग्रामीणों ने हरिओम को चोर समझ लिया और देखते ही देखते भीड़ हिंसक हो गई. उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी.
इस घटना में गंभर रूप से घायल हरिओम की मौके पर ही मौत हो गई. इस वीभत्स घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी. अगले ही दिन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. सूबे की राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया. हमले के बाद पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए केस दर्ज कर लिया. इसके बाद 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इनमें मुख्य आरोपी भी शामिल था, जिसे मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया.
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार पर दलितों की सुरक्षा में नाकामी और भीड़ हिंसा रोकने में विफलता का आरोप लगाया. विपक्ष ने इसे योगी सरकार के कानून व्यवस्था के ढहते ढांचे की मिसाल बताया. इस मामले के बाद हरिओम की पत्नी संगीता और परिवार के अन्य सदस्य 11 अक्टूबर को लखनऊ पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.
मुख्यमंत्री ने परिवार को न्याय और मदद का भरोसा दिया. उन्होंने तत्काल सरकारी सहायता की घोषणा करते हुए संगीता को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर, एक स्थायी नौकरी और कल्याणकारी योजनाओं में प्राथमिक कवरेज का आश्वासन दिया. इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को फतेहपुर जिले में मृतक के परिवार से मुलाकात की थी. उन्होंने अधिकारियों पर उनको रोकने का आरोप लगाया.
इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, ”हरिओम वाल्मीकि की नृशंस हत्या ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है. उनके परिवार की आंखों में दर्द के साथ एक सवाल था: क्या इस देश में दलित होना अब भी एक जानलेवा अपराध है?” रायबरेली की इस लिंचिंग ने एक बार फिर राज्य में अफवाहों से भड़कने वाली भीड़ की हिंसा पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं.
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