उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक औद्योगिक भूखंड आवंटन से जुड़े दो दशक पुराने मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर पर जालसाजी, धोखाधड़ी और पद के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया गया है. इस बात की जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को दी.
हालांकि, इस पूरे मामले को लेकर ठाकुर दंपति ने आरोपों को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि वे बेगुनाह साबित होंगे. शिकायत के अनुसार नूतन ठाकुर पर अपने नाम पर एक औद्योगिक भूखंड अवैध रूप से हासिल करने के लिए हलफनामे और जाली पहचान पत्रों सहित जाली दस्तावेज़ तैयार करने का आरोप लगाया गया है.
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शिकायतकर्ता ने लगाया पद का दुरुपयोग करने का आरोप
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि प्लॉट संख्या बी-2 हासिल करने के लिए 1999 में जाली कागजात तैयार किए गए और जिला उद्योग केंद्र, देवरिया के महाप्रबंधक को सौंपे गए. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि देवरिया में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमिताभ ठाकुर ने आवंटन प्रक्रिया को प्रभावित करने, अवैध कृत्य को संरक्षण देने और खुद को व अपने परिवार को सरकारी लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया.
आलोक कुमार श्रीवास्तव द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि दंपति ने औद्योगिक भूखंड पर स्वामित्व का झूठा दावा करने के लिए जाली बिक्री विलेख, हस्तांतरण दस्तावेज़ और बैंक चालान का इस्तेमाल किया. श्रीवास्तव ने आपराधिक षड्यंत्र, जालसाजी, धोखाधड़ी और पद के दुरुपयोग से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत कार्रवाई के साथ-साथ विभागीय और सतर्कता जांच की मांग की है.
इसके अलावा उन्होंने भूखंड को जब्त करने, संबंधित बिक्री और हस्तांतरण विलेखों को रद्द करने व कथित रूप से प्राप्त वित्तीय लाभों की वसूली की भी मांग की है. साथ ही उस समय पुलिस शक्तियों के कथित दुरुपयोग के कारण, अधिकारियों से विस्तृत जांच के लिए सीबीसीआईडी, एसआईटी या सीबीआई जैसी एजेंसियों को शामिल करने का आग्रह किया गया है.
इन धाराओं में दर्ज की गई FIR
मामले के संबंध में जानकारी देते हुए लखनऊ के तालकटोरा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी आदि के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है. मामले की जांच अभी चल रही है. इस बीच, ठाकुर और उनकी पत्नी ने एक बयान जारी कर कहा कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर “पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित” है और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के कथित कदाचार को उजागर करने के उनके लगातार प्रयासों के प्रतिशोध में दर्ज की गई है.
उन्होंने दावा किया कि एक पुराने दीवानी विवाद को लगभग 25 साल बाद दर्ज एक आपराधिक मामले में बदल दिया गया है, जो उनके अनुसार स्पष्ट रूप से “प्रतिशोध का मामला” है. दंपति ने अपने बयान में कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही तथ्यों के साथ इस मामले में अपनी बेगुनाही साबित कर देंगे.”
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