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‘पासपोर्ट माफिया’ पर ईडी का बड़ा एक्शन, बंगाल से आरोपी गिरफ्तार, पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा – enforcement directorate arrested bengali man helping pakistani operative opnm2


पश्चिम बंगाल में एक अंतरराष्ट्रीय पासपोर्ट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया है. ईडी ने कोलकाता से नदिया जिले के चकदाह गांव के रहने वाले इंदुभूषण हलदर उर्फ दुलाल को पकड़ा है. उस पर आरोप है कि उसने पाकिस्तानी एजेंट आजाद हुसैन की मदद से 250 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट दिलाए.

ईडी के मुताबिक, यह गिरफ्तारी 13 अक्टूबर को कोलकाता में की गई थी. हलदर नदिया जिले के बॉर्डर इलाके चकदाह में रहता था, जो भारत-बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है. यही इलाका लंबे समय से अवैध प्रवासियों के प्रवेश और पहचान दस्तावेज़ घोटालों का केंद्र माना जाता रहा है. इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड आजाद हुसैन उर्फ आजाद मलिक नामक एक पाकिस्तानी नागरिक है. 

उसे ईडी ने इसी साल अप्रैल में गिरफ्तार किया था. जांच में पता चला कि वो भारत में फर्जी पहचान और आजाद मलिक नाम से रह रहा था. बांग्लादेश से आने वाले अवैध प्रवासियों को पैसे के बदले भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट दिलाता था. पाकिस्तान से आया यह एजेंट भारत में कई वर्षों से सक्रिय था और उसने बंगाल के कुछ स्थानीय नेटवर्क को अपने संपर्क में ले लिया था. 

इन्हीं में से एक इंदुभूषण हलदर है, जिसने पूरे नेटवर्क को जमीन पर संचालित किया. आजाद मलिक भारत में बांग्लादेशी नागरिकों से पैसे लेकर उन्हें इंदुभूषण हलदर के पास भेजता था. हलदर इन प्रवासियों के लिए नकली दस्तावेज तैयार करता था, जिनके आधार पर पासपोर्ट जारी किए जाते थे. हलदर ने अब तक 250 मामलों में जाली दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट जारी करवाए.

इससे उसने भारी मुनाफा कमाया. उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया गया है. जांच एजेंसी ने बताया कि कोलकाता स्थित विशेष पीएमएलए अदालत और कलकत्ता उच्च न्यायालय दोनों ने हलदर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद ईडी ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. हलदर ने माना कि वो हुसैन से कई बार मिल चुका था.

यह नेटवर्क बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और निवास प्रमाणपत्र मुहैया कराता था. इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनते थे. ईडी ने जून में आजाद हुसैन को एक आरोपपत्र में सूचीबद्ध किया था. फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है. एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस रैकेट के पीछे और कौन-कौन शामिल था.

जांच अधिकारियों का कहना है कि यह नेटवर्क न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था, बल्कि इससे पाकिस्तान और बांग्लादेश के एजेंटों को भारतीय पहचान पाने का रास्ता भी मिल गया था. ईडी की गिरफ्तारी ने एक बार फिर इस पर मुहर लगा दी है कि सीमाई इलाकों में फर्जी दस्तावेज रैकेट गहराई तक फैला हुआ है. फिलहाल इस रैकेट की विस्तृत जांच जारी है.

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