0

पुतिन और ट्रंप ने मिलने के लिए हंगरी को क्यों चुना, कैसे ये छोटा-सा देश शांति वार्ताओं और मध्यस्थता का केंद्र बनता जा रहा? – donald trump and vladimir putin next summit Hungary ntcpmj


हंगरी को वैसे तो शरणार्थियों के लिए अपने कड़े मिजाज के लिए जाना जाता है लेकिन अब कई चीजें बदल रही हैं. रिफ्यूजियों पर उसका रवैया छोड़ दें तो ग्लोबल लीडर अब इस देश में मेल-मुलाकात की योजना बना रहे हैं. आने वाले हफ्तों में राजधानी बुडापेस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन की भेंट हो सकती है. अपने में बंद-सिमटा ये छोटा-सा देश कैसे बड़े देशों से ज्यादा सुरक्षित माहौल दे पा रहा है, जो वैश्विक नेता वहां पहुंच रहे हैं?

अगस्त में पुतिन और ट्रंप की अमेरिका में बातचीत हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच केमेस्ट्री कुछ गड़बड़ाई लगी. अब लगभग दो महीने बाद दोनों नेता वापस मिलने जा रहे हैं. इससे पहले एक फोन कॉल पर भी दोनों में बात हुई. फिलहाल मुलाकात का वक्त सार्वजनिक नहीं हुआ लेकिन मीटिंग पॉइंट तय हो चुका. यूरोपीय देश हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में दोनों लीडर मिलेंगे. हंगरी के पीएम विक्टर ऑर्बान ने इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी पर हामी भरी. 

हाल के समय में हंगरी धीरे-धीरे शांति वार्ताओं और मध्यस्थता का नया केंद्र बनता जा रहा है. इसकी बड़ी वजह ये है कि यह देश राजनीतिक रूप से काफी तटस्थ माना जाता है. यूरोपीय यूनियन का हिस्सा होने के बावजूद हंगरी अक्सर पश्चिमी और पूर्वी देशों के बीच संतुलित रुख अपनाता रहा. इसी वजह से इसे विवादित पक्षों के लिए एक सुरक्षित मंच माना जाता है. 

Hungary parliament diplomacy (Photo- Pixabay)
बुडापेस्ट स्थित ये संसद भवन बड़ी शांतिवार्ताओं का सेंटर बन सकता है. (Photo- Pixabay)

भौगोलिक स्थिति भी हंगरी के पक्ष में जाती है. यह यूरोप के लगभग सेंटर में है. विदेशों से आने वाले प्रतिनिधि आसानी से हंगरी पहुंच सकते हैं और लॉजिस्टिक रिसोर्स जुटाना भी आसान हो जाता है. शांति वार्ताओं के लिए ये अहम शर्त है. यहां स्थानीय भाषा के अलावा अंग्रेजी भी बोली-समझी जाती है और खानपान से लेकर मौसम भी ठंडे देशों के प्रतिनिधियों के अनुकूल है. 

इसके अलावा, देश का डिप्लोमेटिक अनुभव भी इसे इस तरह की बातचीत का केंद्र बना रहा है. हंगरी पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय बैठकों और शिखर सम्मेलनों की मेजबानी कर चुका. 

– यहां कई बार यूरोपीय संघ और नाटो के सम्मेलन हो चुके. 

– हंगरी ने अक्सर ही विवादित देशों के नेताओं के लिए तटस्थ मंच दिया. 

–  बुडापेस्ट में यूएन और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की सफल बैठकें हो चुकीं.

जब भी दो तनावग्रस्त पक्ष मिल रहे हों तो ऐसी जमीन चाहिए होती है जो दोनों के लिए सुरक्षित हो, और उनकी बातचीत गोपनीय रखी जाए. हंगरी आमतौर पर बुडापेस्ट जैसे हाई‑सिक्योरिटी लोकेशन चुनता है, जहां सैन्य और पुलिस की मौजूदगी पक्की हो. प्रतिनिधियों के आने-जाने के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाए जाते हैं. सभी प्रतिनिधियों और बाकी स्टाफ से नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट कराया जाता है ताकि आपसी बातचीत लीक न हो. यहां मीडिया पर काफी कंट्रोल है, जिससे जानकारी सुरक्षित रहती है. 

russia ukraine war (Photo- Pixabay)
कई युद्ध रोकने के दावों के बीच डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर रूस-यूक्रेन जंग रोकने में लग चुके हैं. (Photo- Pixabay)

इस देश से साथ खास बात ये है कि छोटा होने के बाद भी ये अपने पॉइंट्स को लेकर साफ रहा. जैसे ये ईयू और नाटो दोनों का सदस्य है. रूस-यूक्रेन लड़ाई शुरू होने के बाद इसपर भी भारी दबाव रहा कि ये रूस से व्यापार बंद कर दे. यूरोप के ज्यादातर देश रुक गए लेकिन हंगरी ने संतुलित रहते हुए अपनी व्यापार नीति से समझौता नहीं किया. 

आने वाली मुलाकात में एक बात ये भी है कि हंगरी रूस की सीमा से अपेक्षाकृत पास है. पिछली बार पुतिन और ट्रंप अमेरिकी राज्य में मिले थे. इस बार पुतिन के हिसाब से जगह चुनी गई. ट्रंप भी राजी हो गए क्योंकि हंगरी का इतिहास विवादित पक्षों को भरोसा देता है कि वो तटस्थ रहेगा. 

इससे पहले स्विटजरलैंड ही शांति वार्ताओं का सबसे बड़ा केंद्र रहा था. यही पर लगभग सारी इंटरनेशनल संस्थाओं का मुख्यालय है. इसकी वजह ये है कि इस देश ने खुद को आधिकारिक तौर पर तटस्थ घोषित कर रखा है. वो किसी भी युद्ध या सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनता, और यही बात इसे विश्वसनीय बनाती रही.  लेकिन रूस और अमेरिका के नेताओं के मिलने के लिए ये जगह वैसी मुफीद नहीं.

दरअसल स्विटजरलैंड पारंपरिक रूप से पश्चिम के साथ ज्यादा जुड़ा हुआ माना जाता रहा. ऐसे में रूस को वहां वैसा भरोसा नहीं मिल पाएगा जो हंगरी में दिख रहा है. हंगरी भले ही आधिकारिक तौर पर तटस्थ नहीं, लेकिन पूर्व और पश्चिम दोनों के साथ संतुलित संबंधों की वजह से व्यावहारिक तौर पर पसंद किया जा रहा है. 

—- समाप्त —-