हाथरस में डकैती के प्रयास के सिलसिले में फर्जी मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किए गए दो युवकों को “जांच के दौरान पाई गई कमियों” के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. इस बात की जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी को दी. पुलिस ने बताया कि मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक एसएचओ समेत दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और सदर एसडीएम राजबहादुर सिंह और क्षेत्राधिकारी (नगर) योगेंद्र कृष्ण नारायण द्वारा मजिस्ट्रेटी जांच की जा रही है.
इससे पहले अधिकारियों के अनुसार 9 अक्टूबर को मुरसान थाना क्षेत्र में एक व्यापारी के घर डकैती के प्रयास की सूचना मिली थी. शिकायत के बाद पुलिस ने एक “संक्षिप्त मुठभेड़” के बाद दो लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया. जिसमें एक के पैर में गोली लगी थी.
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पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों की पहचान ओमवीर उर्फ सोनू और देवा उर्फ सूर्यदेव सिंह के रूप में हुई है, जो अलीगढ़ के इगलास इलाके के बाराकला गांव के निवासी हैं. हालांकि, दोनों आरोपियों के परिवारों ने आरोप लगाया कि मुठभेड़ फर्जी थी और निष्पक्ष जांच व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
बाद में परिवार अपनी मांग पर ज़ोर देने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से मिले. अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच के आधार पर एसपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने तत्कालीन एसएचओ ममता सिंह और एंटी-थेफ्ट टीम के प्रभारी इंस्पेक्टर मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया और जांच एसडीएम और सर्किल ऑफिसर (सीओ) को सौंप दी.
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पुलिस ने पहले दावा किया था कि गिरफ़्तार किए गए लोगों के पास से दो देसी पिस्तौल, तीन कारतूस और एक मोटरसाइकिल बरामद की गई है. लेकिन जांच के बाद जांचकर्ताओं को दोनों के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिले. मामले की अंतिम रिपोर्ट अदालत में पेश की गई, जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
सीओ सिटी ने कहा कि जांच के दौरान पाई गई कमियों के आधार पर युवकों को रिहा कर दिया गया है. एसपी ने पुष्टि की कि “व्यापारी और पुलिस दोनों द्वारा दर्ज मामलों में युवकों के ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. इसी आधार पर, एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की गई और आरोपियों को रिहा कर दिया गया.
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