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सुशीला कार्की नेपाल की PM नहीं, अंतरिम सरकार की प्रमुख बनीं… समझें क्यों किया गया ऐसा? – Sushila Karki not PM of Nepal but head of the interim government know why this was done ntc


सुशीला कार्की ने आखिरकार शुक्रवार को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली. वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी. इसके साथ ही व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद इस सप्ताह के शुरू में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अचानक इस्तीफे के बाद कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता का फिलहाल अंत हो गया.

जानकारी के मुताबिक, शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सुशीला कार्की से कहा कि अब देश बचाइए, सफल रहिए. कार्की ने कोई जवाब नहीं दिया और सिर्फ धन्यवाद कहा. 

वहीं सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण समारोह का नेपाल की संसद के दोनों सदनों के अध्यक्षों और सांसदों ने बहिष्कार किया. राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण मिलने पर भी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल शपथ ग्रहण समरोह में नहीं पहुंचे. बता दें कि घिमिरे केपी ओली की पार्टी के सांसद हैं जबकि दहाल पूर्व पीएम पुष्प कमल दहाल प्रचण्ड की पार्टी के. सभी राजनेता संसद भंग के फैसले का विरोध कर रहे हैं. 

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति कार्यालय में 73 वर्षीय कार्की को पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर राष्ट्रपति पौडेल और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के अलावा उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी मौजूद थे.

राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि नई कार्यवाहक सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का आदेश दिया गया है.

राष्ट्रपति पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले युवा प्रदर्शनकारियों के बीच एक बैठक के बाद कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था.

राष्ट्रपति पौडेल, नेपाल सेना प्रमुख और Gen-Z प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए कार्की के नाम पर सहमति बनी.

सूत्रों ने बताया कि शपथ ग्रहण के तुरंत बाद कार्की एक छोटा मंत्रिमंडल गठित करेंगी और मंत्रिमंडल की पहली बैठक में वह विभिन्न हितधारकों के बीच बनी सहमति के अनुसार राष्ट्रपति से संसद को भंग करने की सिफारिश कर सकती हैं.

राष्ट्रपति पौडेल ने कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का निर्णय लेने से पहले सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज के नेताओं से अलग-अलग परामर्श किया.

युवाओं के नेतृत्व में हुए हिंसक आंदोलन के बाद ओली ने मंगलवार को पद छोड़ दिया था.

Gen-Z प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना, राजनीतिक अव्यवस्था और भाई-भतीजावाद को ख़त्म करना और सोशल मीडिया साइटों पर लगे प्रतिबंध को हटाना शामिल था. सोमवार रात को यह प्रतिबंध हटा लिया गया. बता दें कि हिंसक विरोध प्रदर्शनों में एक भारतीय नागरिक सहित कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई है.

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