बिहार की राजधानी पटना में आयोजित ‘पंचायत आजतक-बिहार’ के मंच से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर भी खुलकर बात की. उन्होंने एसआईआर का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी आड़े हाथों लिया.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं इस इस मंच के माध्यम से पूरे देश की जनता से कहना चाहता हूं कि इस देश में SIR पहली बार नहीं हो रहा है. इसकी शुरुआत 1953 में हुई थी. राहुल जी की दादी के पिता के समय में भी SIR हुआ था. उनकी दादी के समय भी हुआ. उनकी पिता के समय भी हुआ. उनकी मां के समय भी हुआ. शायद राहुल जी को यह सत्य कोई बताता नहीं है.
अमित शाह ने एसआईआर को समझाते हुए कहा कि एसआईआर है क्या? इसका मतलब है मतदाता सूची का शुद्धिकरण. जब 10 या 15 साल हो जाते हैं तो कई लोगों की मौत हो जाती है. कई लोग एक जगह से दूसरी जगह अपने कामकाज के सिलसिले में जाते हैं. वो वहां पर भी मतदाता हैं और यहां पर भी मतदाता हैं. तो ऐसे में मतदाता सूची शुद्ध होनी चाहिए या नहीं? मैं छोटा सा सवाल राहुल जी को पूछना चाहता हूं कि मतदाता सूची शुद्ध होनी चाहिए या नहीं. मतदाता सूची की शुद्धिकरण का दूसरा नाम SIR है.
शाह ने कहा कि राहुल गांधी एसआईआर का विरोध क्यों कर रहे हैं? इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 2003 के बाद इस देश में ढेर सारे विदेशी नागरिक फर्जी तरीके से देश की मतदाता सूची में अपना नाम जमा कराने में सफल रहे. मेरा देश की जनता से सीधा सवाल है कि जो बांग्लादेश से या दूसरे देश से यहं आए हैं उनको देश की चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं. संविधान ने तय किया है कि मतदाता वही होगा, जो इस देश का नगारिक होगा. हमारे कानून ने तय किया है कि मतदाता वही बन सकता है, जिसकी आयु 18 साल से ऊपर होगी. ऐसे में इन दोनों क्राइटेरिया आधार पर मतदाता सूची का शुद्धिकरण करने की जिम्मेदारी हमारी है. लेकिन इस पूरे INDI गठंबधन को दिक्कत है क्योंकि सीमांचल में ढेर सारे घुसपैठिए मतदाता बन चुके हैं जो चुनाव आयोग के शुद्धिकरण की वजह से मतदाता सूची से अब बाहर निकल रहे हैं और उनका वोटबैंक अब डिस्टर्ब हो रहा है. ऐसे में चुनाव हारने के डर से वोट चोरी यात्रा निकाल रहे हैं.
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