Knees and joints pain reasen: पुराने जमाने की घुटने और पीठ दर्द मुख्यतः वृद्ध लोगों को होता था लेकिन पीठ दर्द और घुटने के दर्द के के बढ़ते हुए मामले से पता चलता है कि डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट के पास 20 से 30 उम्र के लोग भी काफी मात्रा में पहुंच रहे हैं. अब सवाल यह है कि इस पीढ़ी के साथ जीवन के इस पड़ाव पर ऐसा क्यों हो रहा है? दरअसल, मॉडर्न-इनएक्टिव लाइफस्टाइल और कम फिजिकल एक्टिविटी, इसके सबसे बड़े कारणों में से एक हैं.
युवाओं की बात की जाए तो वे लोग पहले से कई ज्यादा इनेक्टिव हो गए हैं. दरअसल, युवा आजकल सिर्फ ऑफिस, पढ़ाई या फिर अपने गैजेट्स में बिजी रहते हैं. वे ना तो एक सामान्य दिन में ऑफिस में, यात्रा के दौरान या घर जाकर पढ़ाई करना शामिल हो सकता है लेकिन उन्हें ये जानना काफी जरूरी है कि हम इंसान जितने अधिक चलेंगे उतने ही अधिक फिट रहेंगे. सुस्त लाइफ स्टाइल के कारण जब लोग लंबे समय तक बैठे रहते हैं तो इसका मतलब है कि वो जानबूझकर अपने मसल्स को खराब कर रहे हैं. साथ ही उनके घुटने के जोड़ और उसके आसपास के मसल्स की फ्लेग्जिबिलिटी कम हो रही है जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर एक्स्ट्रा दवाब पड़ता है.
स्मार्टफोन और लैपटॉप भी जिम्मेदार
रोबोटिक नी एंड मिनिमली इनवेसिव हिप रिप्लेसमेंट के डायरेक्टर और हेड डॉ. पंकज वालेचा का कहना है, खराब पोश्चर के अलावा स्मार्टफोन और लैपटॉप का बढ़ता उपयोग हमारी लाइफ में ‘टेक नेक’ और ‘स्क्रीन स्लाउच’ लेकर आया है, जिसका सरल शब्दों में मतलब है घंटों तक आगे की ओर झुके रहना जिससे पीठ और गर्दन के मसल्स पर दबाव पड़ता है. समय के साथ खराब मुद्रा गर्दन और पीठ दर्द जैसे लगातार दर्द पैदा करती है.
‘खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव के काऱण हमारी युवा आबादी में मोटापे की दर बढ़ी है. शरीर के वजन में थोड़ी सी भी वृद्धि घुटनों और रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है. वहीं अनियमित नींद, स्ट्रेस और एक्सरसाइज की कमी, इस स्थिति को और भी बदतर कर देती है जिससे लंबे समय तक दर्द और थकान बनी रहती है.
स्पोर्ट इंजुरी और एक्सरसाइज
फिटनेस और स्पोर्ट इंजुरी के कारण भी ये समस्या बढ़ रही है. इसका कारण है कि कई यंगस्टर्स बिना किसी गाइडेंस के एक्सरसाइज कर रहे हैं या कोई भी इंटेस एक्टिविटी कर रहे हैं. हैवी ट्रेनिंग, इंटेसिटी वाली एक्सरसाइज, गलत टेक्नीक आदि मसल्स और ज्वाइंट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और वहीं घुटनों और पीठ के निचले हिस्से को और भी बदतर बना सकता है. यदि कोई वार्मअप, स्ट्रेचिंग और पर्याप्त आराम नहीं कर रहा है तो उसे चोट लगने की संभावना और बढ़ जाती है.
तनाव और स्ट्रेस भी जिम्मेदार
डॉ. वालेचा कहते हैं, ‘किसी की मेंटल स्थिति जैसे तनाव और स्ट्रेस भी घुटने के दर्द के लिए जिम्मेदार होते हैं. कारण है कि तनाव और स्ट्रेस से मसल्स में तनाव पैदा होता है जिससे पीठ और गर्दन में दर्द शुरू होता है. धीरे-धीरे ये दर्द कमर और घुटने तक भी पहुंच जाता है. इसलिए स्ट्रेस मैनेजमेंट भी काफी जरूरी है.
इस स्थिति में क्या कर सकते हैं?
डॉ. वालेचा ने कहा कि यदि किसी को अभी-अभी घुटनों में दर्द शुरू हुआ है तो इसे मैनेज किया जा सकता है ताकि स्थिति गंभीर ना हो. लाइफस्टाइल में कुछ आसान बदलाव करें, ऑफिस में सीट पर लंबे समय तक ना बैठें, टहलना शुरू करें या फिर स्ट्रेचिंग करें. घुटने और पीठ का दर्द अब केवल उम्र से जुड़ी समस्याएं नहीं रह गई हैं इसलिए कम उम्र के लोगों को भी किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर एक्सरसाइज या एक्टिविटी करनी चाहिए.
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