अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है. हाल ही में 9 अक्टूबर 2025 को काबुल में पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक हुई, जिसमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सरगना नूर वली महसूद को निशाना बनाया गया. कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि वो मारा गया, तो कुछ में उसकी मौत की अफवाहें झूठी बताई गईं. नूर वली महसूद कौन है? क्यों पाकिस्तान उसे मारना चाहता है?
नूर वली महसूद का जन्म और शुरुआती जीवन: एक आम लड़के से उग्रवादी
नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान के तियारजा इलाके में एक छोटे से गांव में हुआ. वो मेहसूद कबीले के मेचीखेल उप-कबीले से ताल्लुक रखता है, जो पश्तून जनजाति का हिस्सा है. बचपन में उसने मदरसा सिद्दीकिया उस्पास में पढ़ाई शुरू की.
यह भी पढ़ें: अगली चोट खाने के लिए तैयार रहे पाकिस्तान… तालिबान क्या माफ करेगा आखिरी मिनट का ‘धोखा’?
1990 के दशक में वो पाकिस्तान के कई शहरों जैसे फैसलाबाद, गुजरांवाला और कराची के मदरसों में पढ़ता रहा. 1996-97 में उसकी पढ़ाई बीच में छूट गई, जब वो अफगानिस्तान चला गया. वहां उसने अफगान तालिबान के साथ अहमद शाह मसूद की नॉर्दर्न अलायंस के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
मजार-ए-शरीफ और काबुल के पास की जंगों में हिस्सा लिया. उसके पिता हाजी गुल शाह खान की सलाह पर वो पाकिस्तान लौटा और 1999 में ग्रेजुएट हो गया. उसे मुफ्ती की डिग्री मिली, यानी इस्लामी धार्मिक विद्वान. 1999 से 2001 तक उसने दक्षिण वजीरिस्तान के गोरगोराय इलाके में मदरसा इमदाद-उल-उलूम में इस्लामी थियोलॉजी पढ़ाई.
टीटीपी में ऊंचा पद: कैसे बना सरगना?
2003 में नूर वाली ने पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) के मेहसूद ब्रांच में शामिल हो गया. वजह? पाकिस्तान की सेना फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (फाटा) में ऑपरेशन चला रही थी, जिसे वो पश्तूनवाली (पश्तून परंपराओं) का उल्लंघन मानता था. अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ उसने इसे ‘रक्षात्मक जिहाद’ कहा. 2004 में वाना की जंग से शुरू हुई उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान की जंग में उसने पाकिस्तानी सेना पर हमले किए.
यह भी पढ़ें: जिस देश से चिढ़ते हैं ट्रंप, भारत उसे आकाश मिसाइलें सप्लाई करने की तैयारी में, ऑपरेशन सिंदूर में दिखी थी ताकत
तायार मांजा में घात लगाई. बैतुल्लाह मेहसूद के तहत वो काजी (जज) बना. एक बार तो बैतुल्लाह को तीन दिन की सजा तक सुना दी. उसके बाद बैतुल्लाह का डिप्टी बना. बैतुल्लाह की मौत के बाद 2009 में गोरगोराय में टीटीपी का ट्रेनिंग कैंप चलाया. तब उस पर 20 लाख रुपये का इनाम था.
2013 में टीटीपी के कराची चैप्टर का हेड बना. वहां उग्रवादियों ने फिरौती, किडनैपिंग, बैंक डकैती और हत्याएं कीं. 2015 तक पाकिस्तानी कार्रवाई से नेटवर्क कमजोर हो गया. फिर खालिद मेहसूद का डिप्टी बना और 2018 में खालिद की ड्रोन स्ट्राइक में मौत के बाद मेहसूद तालिबान का लीडर.
फरवरी 2018 में मौलाना फजलुल्लाह का डिप्टी बना. जून 2018 में अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में फजलुल्लाह मारा गया, तो एक हफ्ते की बहस के बाद नूर वाली को टीटीपी का अमीर (सरगना) चुना गया. उस वक्त टीटीपी कमजोर था – पाकिस्तान में कोई इलाका कंट्रोल में नहीं था. आंतरिक कलह थी लेकिन उसके नेतृत्व में ग्रुप मजबूत हुआ. अब वो सिविलियंस को निशाना नहीं बनाता, सिर्फ सिक्योरिटी फोर्सेस पर हमले करता है.
यह भी पढ़ें: गुरिल्ला वॉर, बिना नए हथियार… कैसे पाकिस्तान आर्मी को तालिबान बॉर्डर में घुस-घुसकर मार रहा
मुख्य गतिविधियां और किताबें: उग्रवाद का प्रचारक
नूर वली एक धार्मिक विद्वान होने के साथ कमांडर भी है. 1990 के दशक में अफगान सिविल वॉर लड़ी. 9/11 के बाद अफगान तालिबान को सपोर्ट किया. 2007 में बेनजीर भूत्टो की हत्या का श्रेय अपनी किताब में लिया. कहा कि वो अमेरिका से मिलीं हुई थीं. वो टीटीपी के पब्लिकेशन डिपार्टमेंट का हेड था.
2017 में 690 पेज की किताब ‘इंकलाब-ए-मेहसूद: साउथ वजीरिस्तान – फिरंगी राज से अमेरिकी सम्राज्य तक’ लिखी. इसमें टीटीपी का इतिहास, ऑपरेशन और फंडिंग बताई. 2021 में अफगानिस्तान में ड्रोन स्ट्राइक में मौत की अफवाह आई, लेकिन टीटीपी ने खारिज कर दिया. अमेरिका ने 10 सितंबर 2019 को उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया. जुलाई 2020 में यूएन आतंकियों की लिस्ट में डाला गया.
2025 की घटनाएं: पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक्स का निशाना क्यों?
2021 के बाद टीटीपी ने अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर हमले तेज कर दिए. खैबर पख्तूनख्वा में सीमा पर हमले बढ़े. 9 अक्टूबर 2025 को टीटीपी ने पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया, जिसमें 11 जवान मारे गए. जवाब में पाकिस्तान ने उसी दिन काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका पर एयरस्ट्राइक की.
काबुल के अब्दुल हक स्क्वायर के पास धमाके हुए. पाकिस्तान ने नूर वली को टारगेट किया. अमू टीवी को सोर्सेज ने बताया कि वो मारा गया. लेकिन तालिबान ने कहा कि वो सुरक्षित है और काबुल में नहीं था. टीटीपी ने उसकी आवाज का नोट जारी कर कहा कि वो जिंदा है.
यह भी पढ़ें: Astra-Mk2 Missile: पाक की खैर नहीं… भारतीय वायुसेना शामिल करेगी 200 km रेंज वाली मिसाइल
अगर वो मर गया, तो टीटीपी में अस्थायी खलल पड़ेगा – कबीलाई समर्थन, धार्मिक अथॉरिटी और एकजुट करने की क्षमता कम होगी. लेकिन इतिहास दिखाता है कि ऐसे ग्रुप आसानी से खत्म नहीं होते. पहले भी बैतुल्लाह, हकीमुल्लाह और फजलुल्लाह मारे गए, लेकिन टीटीपी वापस लौटा.
खतरा बरकरार, शांति दूर?
नूर वली महसूद टीटीपी का चेहरा है – धार्मिक, रणनीतिक और लेखक. उसके नेतृत्व में ग्रुप पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा बन गया. पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान उसे पनाह देता है. अभी उसकी मौत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन तनाव बढ़ा है. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है.
—- समाप्त —-