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मैथिली ठाकुर के हाथ से बेनीपट्टी तो गई, अलीनगर में कितनी उम्‍मीद – maithili thakur possibility of alinagar bjp candidate after announcement of benipatti opnm1


मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गई हैं. करीब करीब वैसे ही जैसे पवन सिंह. पवन सिंह की तरह मैथिली ठाकुर ने चुनाव लड़ने से इनकार तो नहीं किया है, लेकिन ये जरूर कहा है कि राजनीति में वो समाज सेवा के लिए आई हैं. मतलब, चुनाव लड़ भी सकती हैं, लेकिन नहीं लड़ीं तो भी कोई मलाल नहीं रहेगा. मैथिली ठाकुर की तरफ से ऐसा बताने की कोशिश हुई है. 

कम ही लोग ऐसे लगते हैं, जो मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने पर खुशी जता रहे हैं. मैथिली ठाकुर के प्रशंसक और उनकी फिक्र करने वाले बिहार के लोग भी उनकी राजनीतिक पारी से खुश नहीं नजर आए हैं. मिथिलांचल से भी वही लोग मैथिली के सपोर्ट में खड़े देखे गए हैं, जो बीजेपी के घोर समर्थक हैं. 

मैथिली ठाकुर को पैराशूट एंट्री दिलाने में बीजेपी नेतृत्व को भले ही फायदा नजर आ रहा हो, लेकिन कार्यकर्ताओं ने तो खुल कर विरोध जताया है. मई, 2025 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी नेताओं की बैठक में एक सवाल किया था, ‘आखिर कार्यकर्ता मेहनत क्यों करता है?’ वैसे तो ये सवाल मोदी ने परिवारवाद की राजनीति खत्म करने के सिलसिले में किया था,लेकिन लागू तो ऐसे मामलों में भी होना चाहिए. 

बीजेपी के लिए जैसे पवन सिंह, वैसी मैथिली

जैसे पवन सिंह के लिए बिहार की आरा और काराकाट सीटों की चर्चा थी, मैथिली ठाकुर के लिए संभावित चुनाव क्षेत्रों में दो सीटों की चर्चा रही है. बेनी पट्टी और अलीनगर. बेनीपट्टी मधुबनी जिले में है, और अलीनगर दरभंगा में. ये दोनों ही सीटें फिलहाल बीजेपी के पास ही हैं. बेनी पट्टी से तो बीजेपी ने मौजूदा विधायक विनोद नारायण झा को उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है, ऐसे में अब अलीनगर का ही आसरा बचा है. 

पवन सिंह के मामले में तो तस्वीर साफ हो चुकी है. विवादों के बाद  पवन सिंह ने बोल दिया है कि वो चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी में नहीं आए हैं. कहने को तो मैथिली ठाकुर भी भी ऐसी ही बात कर रही हैं. मैथिली ठाकुर कह रही हैं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रेरित होकर आज मैं उनके सहयोग के लिए यहां पर खड़ी हूं.  

और बताती हैं, मैं समाज सेवा के लिए आई हूं, और उनके विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने आई हूं… मैं मिथिला की बेटी हूं, और मेरा प्राण मिथिलांचल में बसता है… मैं बस पार्टी का सहयोग करने आई हूं. 

मैथिली ठाकुर हों या पवन सिंह बीजेपी के लिए तो ये बस क्राउडपुलर ही हैं. अपनी लोकप्रियता के बल पर बीजेपी के लिए भीड़ तो जुटाएंगे ही. चुनाव लड़ना न लड़ना अलग बात है, मैथिली ठाकुर चुनाव कैंपेन तो करेंगी ही. उसी बात के लिए उनको बीजेपी में लाया गया है. जैसे पवन सिंह का मामला है.

बीजेपी के लिए मैथिली को टिकट न देना ज्यादा फायदेमंद है, अगर ये किसी वजह से संभव हो सके. टिकट किसी और को भी दिया जा सकता है, बीजेपी के किसी निष्ठावान कार्यकर्ता को. बीजेपी का एक विधायक भी हो जाए, और मैथिली के प्रचार का फायदा भी मिल जाए, इससे बढ़िया और क्या हो सकता है. जैसे सोने में सुहागा. जैसे सोने में सुगंध.

कार्यकर्ता मेहनत क्यों करता है? 

मैथिली ठाकुर को बीजेपी में शामिल किए जाने, और उनके दरभंगा या मधुबनी से चुनाव लड़ने का पता चलने पर कार्यकर्ताओं ने पटना के पार्टी कार्यालय पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. ये कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि बरसों से वे लोग पार्टी को मजबूत करने के लिए खून-पसीना बहा रहे हैं,  लेकिन बीजेपी के बड़े नेताओं ने मैथिली ठाकुर को उठा लाया. कार्यकर्ताओं को ये गलत ही नहीं, नाइंसाफी भी लगता है. 

सोशल मीडिया पर भी लोगों ने लिखा है कि मैथिली ने मिथिलांचल का सिर्फ व्यावसायिक इस्तेमाल किया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना बीजेपी दफ्तर विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना था, समाज में न तो मैथिली ठाकुर का अब तक का कोई सहयोग मिला और न ही उसे राजनीति का ककहरा की जानकारी है. आखिर पार्टी किस आधार पर मैथिली ठाकुर को टिकट दे रही है? कार्यकर्ताओं ने चेतावनी भी दी है कि अगर मैथिली ठाकुर चुनाव लड़ने आईं, तो सभी कार्यकर्ता विरोध करेंगे.

इसी साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार दौरे में सवाल उठाया था, ‘आखिर कार्यकर्ता मेहनत क्यों करता है? उसके मेहनत का फल क्यों नहीं मिलना चाहिए?’ राजनीति में परिवारवाद नहीं होने की सलाह देते हुए मोदी ने बीजेपी दफ्तर में जुटे नेताओं से साफ तौर पर कहा था, ‘… जमींदारी प्रथा नहीं होनी चाहिए.

तब प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी नेताओं को सोशल मीडिया पर ही सक्रिय रहने की भी सलाह दी थी, ‘जो भी उम्मीदवार बनना चाहते हैं, उनके कम से कम 50 हजार फॉलोवर होने चाहिए.’

बाकी बातें अपनी जगह हैं, लेकिन मोदी के पैमाने पर मैथिली ठाकुर और पवन सिंह तो बीजेपी कार्यकर्ताओं से ज्यादा ही आगे हैं. X पर मैथिली ठाकुर के फॉलोवर तो पवन सिंह से भी ज्यादा हैं.

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