हम सभी चाहते हैं कि हमारी जिंदगी फाइनेंशियली तौर पर सुरक्षित हो. अच्छा बैंक बैलेंस हो, सेविंग्स हो, और भविष्य की कोई टेंशन न रहे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर जिंदगी की सारी खुशियां सेविंग्स के चक्कर में चली जाएं, तो वो पैसा किस काम का? जापान के एक शख्स सुजुकी की कहानी इस सवाल का जवाब देती है, उन्होंने 40 साल तक हर छोटी से छोटी चीज पर बचत की, इतना कि उनके पास करीब 4 करोड़ रुपये की संपत्ति है. लेकिन आज, 67 साल की उम्र में उनके पास वो सब है जो पैसे से खरीदा जा सकता है, बस वो नहीं जो उनका दिल चाहता है.
बचपन में सीखा था यह सबक
दरअसल, सुजुकी एक साधारण परिवार में पैदा हुए थे,उन्होंने बचपन में ही सीखा लिया था कि पैसे बचाना कितना जरूरी है. वो स्कूल के दिनों से ही पार्ट-टाइम काम करते थे और हर खर्च सोच-समझकर करते थे. उनकी जिंदगी का एक ही मंत्र था ‘कमाओ कम, बचाओ ज्यादा.’ ना महंगे कपड़े, ना बाहर खाना, ना घूमना-फिरना बस सिंपल लाइफ, ऊंचे विचार और बैंक अकाउंट में बढ़ती रकम ही उनका मकसद था.
नौकरी, शादी और एक सख्त लाइफस्टाइल
जॉब लगने के बाद भी उन्होंने कभी फिजूलखर्ची नहीं की. ऑफिस से दूर सस्ता किराए का कमरा लिया, गाड़ी नहीं खरीदी, बस या साइकिल से सफर किया.घर में भी उन्होंने एसी तक इस्तेमाल नहीं किया ताकि बिजली का बिल कम आए. शादी के बाद उनकी पत्नी ने भी इस सादगी को अपनाया. दोनों ने मिलकर एक साधारण जिंदगी जी, लेकिन उन्होंने जिंदगी के मजे हमेशा ही सेविंग्स के नाम पर टाल दिए.
4 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस
सालों की मेहनत और कमखर्ची ने रंग भी दिखाया, रिटायरमेंट तक सुजुकी ने करीबन 65 मिलियन येन यानी लगभग 4 करोड़ रुपये सेव कर लिए. उन्होंने सोचा था अब बुढ़ापे में चैन से जिएंगे, दुनिया देखेंगे, पत्नी के साथ वो सब करेंगे जो कभी नहीं किया. मगर किस्मत ने उनके लिए कुछ और लिखा था. रिटायरमेंट के कुछ महीनों बाद ही उनकी पत्नी गंभीर बीमार पड़ीं और फिर 66 की उम्र में उन्होंने हमेशा के लिए दुनिया को छोड़ दिया.
पत्नी की मौत के बाद सुजुकी बोले कि अब समझ आया, पैसा सबकुछ नहीं. काश, मैंने अपनी पत्नी के साथ ज्यादा यात्राएं की होतीं, अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाया होता. अब पैसा है पर वो नहीं जिनके साथ उसे खर्च करता. सोशल मीडिया पर जापानी बुजुर्ग की ये कहानी लोगों के दिल को छू गई है और हजारों लोग इस पर रिएक्ट भी कर रहे हैं. अधिकतर लोगों का कहना है कि यह कहानी हमें याद दिलाती है कि वक्त और रिश्ते सबसे कीमती होते हैं.
सबक जो हर भारतीय को समझना चाहिए?
भारत में भी बहुत से लोग सेविंग्स को सबसे बड़ी चीज मानते हैं, लेकिन सुजुकी की कहानी सिखाती है कि पैसे से ज्यादा कीमती समय, रिश्ते और यादें हैं. पैसा ज़रूरी है, लेकिन जब वो आपके खुशियों से बड़ा हो जाए.कहीं आप भी वही गलती तो नहीं कर रहे जो सुजुकी ने की?
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