पूर्व मिस यूनिवर्स और एक्ट्रेस सुष्मिता सेन उन सेलेब्स में हैं, जो हमेशा कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती हैं. उन्होंने हमेशा वही किया, जो उनके दिल ने कहा. हाल ही में उन्होंने बड़ी बेटी रेनी को गोद लेने की लंबी प्रक्रिया के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि किस तरह अदालत में लंबी लड़ाई के बाद वो रेनी को गोद ले पाईं.
बेटी के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
सुष्मिता सेन ने बताया कि रेनी को गोद लेने की कानूनी लड़ाई तब शुरू हुई, जब वो 21 साल की थीं और ये 24 साल की उम्र तक चली. डॉ. शीन गुरीब के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा- जब मैं 21 साल की हुई, तो मुझे पता था कि मुझे यही करना है. उस समय से लेकर 24 साल की उम्र तक कानूनी लड़ाई चली.
उस दौरान मेरी बेटी मेरे पास फोस्टर केयर में थी, लेकिन हमेशा यही डर रहता था कि अगर फैमिली कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला नहीं दिया, तो वो बच्ची को वापस ले लेंगे. अब ये बच्ची मुझे ‘मां’ कहने लगी थी. मैंने पहले से एक प्लान बना रखा था. मैंने अपने पापा से कहा कि सुनवाई के दिन बस कार चालू रखना, अगर कुछ गलत हुआ तो आप रेनी को लेकर सीधे निकल जाना.
मेरे पापा ने कहा कि अब तुम हद पार कर रही हो, ऐसा कुछ नहीं करेंगे. लेकिन मैं बहुत जिद पर अड़ी थी, मैं अपनी बेटी को किसी भी हालत में जाने नहीं देना चाहती थी.
पिता का मिला सपोर्ट
सुष्मिता सेन कहती हैं कि उन्हें अपने पापा पर गर्व है. आज उन्हें दोनों बच्चे उनके पापा की वजह से मिले हैं. वो कहती हैं कि मुझे मेरे बच्चे मेरे पिता की वजह से मिले हैं. उस वक्त भारत में किसी महिला को तब तक बच्चा गोद लेने की परमिशन नहीं दी जाती थी, जब तक कोई पिता या पिता समान व्यक्ति न हो.
अदालत ने मेरे पापा से कहा कि वो आर्थिक स्थिति दिखाएं और अपनी आधी संपत्ति मेरे नाम कर दें. तब मेरे पापा ने जवाब दिया कि मैं बहुत अमीर नहीं हूं, आधी संपत्ति देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसलिए मैं अपनी पूरी संपत्ति अपनी बेटी के नाम करने आया हूं.
वो आगे बताती हैं कि अदालत ने उनके पापा को चेतावनी दी थी कि अगर बेटी सिंगल मदर बनी, तो उसे कभी कोई पति नहीं मिलेगा. इस पर उनके पिता ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को किसी की पत्नी बनने के लिए नहीं पाला है.
सुष्मिता ने कहा कि रेनी को गोद लेने की लंबी प्रक्रिया बहुत कठिन थी, लेकिन उसके बाद दूसरी बेटी अलीशा को गोद लेने की प्रक्रिया काफी आसान हो गई.
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