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20 को दिवाली तो 22 को गोवर्धन पूजा, जानें- फिर 21 अक्टूबर को क्या – diwali 2025 date celebration amavasya govardhan puja ntcpvp


दिवाली का त्योहार नजदीक है. 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस से इसकी शुरआत हो रही है. वैसे तो दीपोत्सव या दीपावली पांच दिनों का त्योहार है, लेकिन तिथि के बढ़ने के कारण इस बार दीपावली छह दिनों का त्योहार हो गया है. अभी तक बड़ा सवाल था कि 20 या 21 अक्टूबर में से दीपावली कब है? इसके समाधान में सामने आया है कि दीपावली इस बार 20 अक्टूबर को ही है. 

20 अक्टूबर को मनाई जाएगी दिवाली
ऐसा इसलिए, क्योंकि अमावस्या तिथि रात भर होनी चाहिए, जिसे निशीथ व्यापिनी अमावस्या कहते हैं और यह महानिशा पूजा के लिए जरूरी है जो दीपावली के दिन ही होती है. ये सभी संयोग 20 अक्टूबर की रात ही बन रहे हैं, इसलिए लक्ष्मी पूजा, प्रदोष काल का दीप पूजन और महानिशा पूजा ये सभी कुछ 20 अक्टूबर की शाम से रात तक हो जाएंगे.

अब बात करते हैं 21 अक्टूबर की. 21 अक्टूबर की तारीख में भी सुबह से शाम तक अमावस्या ही है. इसलिए इस दिन शास्त्रोक्त विधि के अनुसार दीपावली का कोई त्योहार नहीं है. क्योंकि एक प्रचलित मान्यता है कि दिवाली के अगले ही दिन परवा (प्रथमा) यानी गोवर्धन पूजा होती है और दूसरे दिन दूज या भाई दूज का त्योहार… लेकिन इसे थोड़ा और गहराई से समझते हैं. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं होती, बल्कि दिवाली के बाद कार्तिक की शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि में गोवर्धन पूजा होती है. चूंकि सामान्य तौर पर प्रथमा की तिथि अमावस्या के ठीक अगले दिन पड़ती रही है, इसलिए आम धारणा है कि दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है.

21 अक्टूबर को नहीं है कोई त्योहार?
इस बार ऐसा नहीं होने वाला है. इस बार 20 अक्टूबर को दिवाली है, 21 अक्टूबर को कोई त्योहार नहीं यानी खाली है और फिर 22 अक्टूबर को कार्तिक की शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि है यानी दिवाली के तुरंत बाद नहीं, बल्कि एक दिन रुक कर अगले दिन 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा है.

साल 2022 में भी बनी थी ऐसी ही स्थिति
ऐसी स्थिति साल 2022 में भी बन गई थी. उस वर्ष दीपावली की अमावस्या को ही सूर्यग्रहण भी था. इसलिए सूर्यग्रहण के सूतक लगने से पहले दिवाली पूजा कर लेने की सलाह दी गई थी. सूतक देर रात से लगा था, तब तक दीपक भी जल चुके थे. इसलिए अगले दिन जब ग्रहण पूरा हुआ तब सूतक से स्पर्श होने के कारण उस दिन प्रथमा तिथि नहीं मानी गई, बल्कि प्रथमा तिथि अगली दिन की सुबह मानी गई और तब गोवर्धन पूजा मनाई गई.

साल 2022 की दिवाली का कैलेंडर
दिवाली: 24 अक्टूबर, 2022
सूर्य ग्रहण: 25 अक्टूबर, 2022 को दोपहर बाद लगा और शाम को समाप्त हुआ. 
गोवर्धन पूजा: सूर्य ग्रहण के कारण, गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं, बल्कि तीसरे दिन यानी 26 अक्टूबर, 2022 को मनाई गई. 
भाई दूज: भाई दूज 27 अक्टूबर, 2022 को मनाया गया.

साल 2022 की दिवाली में अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 29 मिनट से शुरू हुई थी. इससे प्रदोष काल, गोधूली बेला और निशीथ काल तीनों ही 24 अक्टूबर की तारीख में मिल गए थे. इसलिए 24 अक्टूबर को दिवाली मनाकर 25 अक्टूबर की सुबह 4 बजे से ग्रहण का सूतक काल लग गया था. ऐसे में गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को हुई थी.

इस बार ग्रहण तो नहीं है, लेकिन अमावस्या की तिथि के आठों पहर दो तारीखों में मिलाकर पूरे हो रहे हैं, इसलिए 20 अक्टूबर और 21 अक्टूबर दोनों को ही अमावस्या होने से गोवर्धन पूजा परवा के दिन 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

21 अक्टूबर को क्या?
21 अक्टूबर को भी अमावस्या तिथि होने से इसका महत्व बढ़ जाता है. अमावस्या की तिथि शोधन और अध्यात्म की तिथि होती है. इसलिए अमावस्या के दिन नदी स्नान, गंगा स्नान की परंपरा रही है. इसके साथ ही इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है. उन्हें सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें, काले तिल का दान करें, वस्त्र और धन का दान करें. कार्तिक अमावस्या कि तिथि स्नान और दान की अमावस्या भी होती है. इस दिन शनिदेव पर तेल अर्पण करके ग्रह दोषों का असर कम किया जा सकता है.

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