भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच का नतीजा अब 5वें दिन आएगा. ये मुकाबला बेहद रोमांचक रहा. क्योंकि टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 518 पर अपनी पारी घोषित कर दी. कप्तान गिल को लगा की ये स्कोर विंडीज जैसी कमजोर टीम के लिए काफी है. विंडीज की पहली पारी जब 248 पर सिमटी तो भारत ने अति उत्साह में फॉलोआन देने का भी फैसला कर लिया.
लेकिन मेहमान विंडीज की टीम ने शानदार बल्लेबाजी की और फॉलोआन बचाने के साथ ही भारत पर 121 रनों की बढ़त भी बना ली. अब भारत को ये मैच जीतने के लिए ये स्कोर चेज करना है. देखने में ये टोटल भले ही थोड़ा छोटा हो. लेकिन वेस्टइंडीज के साथ भारत के पुराने अनुभव इस मामले में कुछ खास रहे नहीं हैं. आपको 28 साल पुराना एक किस्सा बताते हैं, जब भारत को एक छोटा टोटल भारी पड़ गया था और भारत मैच हार गया था.
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आइए जानते हैं 28 साल पुराना किस्सा…
भारत के क्रिकेट इतिहास में कई यादगार पल रहे हैं. कुछ जीत से जुड़े, तो कुछ हार से. 1997 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बारबाडोस टेस्ट भी ऐसा ही एक पल था, जिसे आज तक भारतीय क्रिकेट फैंस भूल नहीं पाए हैं. इस मैच में सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में भारत 119 रन के मामूली लक्ष्य का पीछा करते हुए मात्र 81 रन पर ऑल आउट हो गया था.
जानें उस मुकाबले के बारे में
साल 1997 में भारत वेस्टइंडीज दौरे पर था. पहले दो टेस्ट मैच ड्रॉ रहे थे, इसलिए तीसरा टेस्ट निर्णायक साबित होना था. यह मैच बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल में खेला गया. वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 289 रन बनाए थे, जिसमें शिवनारिन चंद्रपॉल ने शानदार शतक जड़ा. भारत की ओर से गेंदबाज अबे कुरुविल्ला और अनिल कुंबले ने बढ़िया गेंदबाजी की.
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भारतीय बल्लेबाजी ने पहली पारी में अच्छी पकड़ बनाई. कप्तान सचिन तेंदुलकर (92) और राहुल द्रविड़ (78) की साझेदारी की बदौलत भारत ने 319 रन बनाए और 30 रनों की बढ़त हासिल की. ऐसा लग रहा था कि भारत इस मैच पर पूरी तरह नियंत्रण में है.
वेस्टइंडीज की दूसरी पारी और भारत को छोटा लक्ष्य
दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने दबदबा बनाए रखा. वेस्टइंडीज की टीम 140 रन पर सिमट गई. इस तरह भारत के सामने जीत के लिए मात्र 119 रन का लक्ष्य था. जो कागज पर बहुत आसान लग रहा था. लेकिन बारबाडोस की पिच पर हालात धीरे-धीरे बल्लेबाजों के खिलाफ होते जा रहे थे. उछाल और स्पिन दोनों का मिश्रण भारतीय बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला था.
भारतीय बल्लेबाजी का बिखरना
भारत की दूसरी पारी की शुरुआत ही भयावह रही. वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज कर्टली एम्ब्रोस और कर्टनी वॉल्श ने भारतीय शीर्ष क्रम को बुरी तरह झकझोर दिया. विकेट गिरते चले गए, और कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं पाया.
वीवीएस लक्ष्मण उस मैच में ओपनर के रूप में खेले थे और मात्र 19 रन बनाकर टीम के सर्वाधिक स्कोरर बने. बाकी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके. कुछ ही ओवरों में भारत की पारी 81 रन पर सिमट गई, और वेस्टइंडीज ने 38 रनों से मैच जीत लिया.
टूट गए थे सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़
यह हार भारतीय टीम के लिए अत्यंत निराशाजनक रही. सचिन तेंदुलकर, जो उस समय पहली बार टेस्ट कप्तानी कर रहे थे, इस हार से बहुत आहत हुए. बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि इस मैच ने उन्हें इतना झकझोर दिया कि उन्होंने कुछ समय के लिए क्रिकेट से दूर जाने का विचार किया था.
बारबाडोस टेस्ट को भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे अप्रत्याशित और दुखद हारों में गिना जाता है. यह मैच दर्शाता है कि क्रिकेट में कोई भी लक्ष्य छोटा नहीं होता. हालांकि, दिल्ली टेस्ट जीतने के लिए भारत को महज 58 रन बनाने हैं और हाथ में 9 विकेट हैं. लेकिन पुराने अनुभवों को देखते हुए भारत कोई गलती नहीं करना चाहेगा.
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