IPS Pooran Kumar Suicide Case: हरियाणा के सीनियर आईपीएस वाई पूरन कुमार की रहस्यमय मौत ने जहां पुलिस प्रशासन को हिला दिया है, वहीं सियासी गलियारों में भी हड़कंप मचा हुआ है. सात दिन बीत जाने के बाद भी उनकी लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो सका है, क्योंकि उनकी पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार जांच से पहले डीजीपी को गिरफ्तार किए जाने की मांग पर अड़ी हैं. असल में आईपीएस वाई पूरन कुमार ने मरने से पहले हरियाणा के डीजीपी समेत 15 अफसरों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. अब यह मामला आत्महत्या से ज्यादा एक ‘सिस्टम बनाम सच’ की जंग बन गया है. चंडीगढ़ पुलिस की जांच पोस्टमार्टम और लैपटॉप मिलने पर अटकी हुई है.
सात दिन बाद भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम
हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है. वजह है, उनकी पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार का सख्त रुख. अमनीत अपने पति की मौत को आत्महत्या नहीं, बल्कि ‘साजिशन हत्या’ बता रही हैं. वह तब तक पोस्टमार्टम की इजाजत देने को तैयार नहीं हैं, जब तक हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती.
आत्महत्या या साजिश?
बीती 7 अक्टूबर को आईपीएस वाई पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में स्थित अपने सरकारी आवास में खुद को गोली मार ली थी. उस वक्त उनकी पत्नी अमनीत जापान में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ दौरे पर थीं. जैसे ही उन्हें घटना की खबर मिली, वे तुरंत वापस लौटीं. बताया जाता है कि पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी समेत 15 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लिखे थे, जिन पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप है.
परिवार की जिद से जांच ठप
वाई पूरन कुमार के परिवार की ओर से पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं मिलने के कारण पुलिस जांच की दिशा रुक गई है. चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी को अबतक न तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली है और न ही वह लैपटॉप, जिसमें सुसाइड नोट टाइप किया गया था. परिवार ने वह लैपटॉप अपने पास ही रखा हुआ है. जांच एजेंसी का कहना है कि लैपटॉप के फिंगरप्रिंट और ईमेल ट्रेल से मौत के हालातों की पुष्टि हो सकती है.
अमनीत के साथ खड़े नेता और अफसर
आईपीएस पूरन कुमार के घर पर राजनीतिक दलों और ब्यूरोक्रेट्स का तांता लगा हुआ है. सोमवार को तेलंगाना के डिप्टी सीएम मल्लू भट्टी विक्रमार्का और झारखंड कांग्रेस प्रभारी के. राजू अमनीत से मिलने पहुंचे. इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और इनेलो नेता अभय चौटाला भी संवेदना प्रकट कर चुके हैं. कई वरिष्ठ अफसर भी निजी तौर पर अमनीत के समर्थन में खड़े हैं, जिससे मामला और राजनीतिक रंग लेता जा रहा है.
SIT की जांच पोस्टमार्टम पर टिकी
चंडीगढ़ पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने स्पष्ट किया है कि जांच फिलहाल तब तक आगे नहीं बढ़ सकती, जब तक पोस्टमार्टम नहीं हो जाता. एसआईटी का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट के बिना न तो मौत का कारण तय किया जा सकता है और न ही सुसाइड नोट की पुष्टि. हालांकि, अगर परिवार सहमति नहीं देता, तो पुलिस मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कानूनी रूप से पोस्टमार्टम करा सकती है ताकि सबूत नष्ट न हों.
गनपाउडर और बैलिस्टिक सबूत
छह दिन बीत जाने के बाद अब गनपाउडर अवशेष और बैलिस्टिक साक्ष्य मिलने की संभावना कम होती जा रही है. जांच टीम ने इस आशंका को भी जताया है कि देर से पोस्टमार्टम होने के कारण गोली और हथियार की जांच पर असर पड़ सकता है. इसीलिए पुलिस चाहती है कि PGI चंडीगढ़ की विशेषज्ञ टीम, बैलिस्टिक एक्सपर्ट और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में जल्द से जल्द पोस्टमार्टम कराया जाए.
कॉल डिटेल्स में मिले नए सुराग
पुलिस को आईपीएस वाई पूरन कुमार के कॉल डिटेल रिकॉर्ड से कई अहम सुराग मिले हैं. घटना से कुछ घंटे पहले उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों, एक वकील और अपने कुछ परिचितों से बात की थी. एसआईटी अब इन सभी से पूछताछ की तैयारी में है ताकि यह समझा जा सके कि आखिर किन हालातों में उन्होंने यह कदम उठाया. जांच एजेंसी इस बात पर भी फोकस कर रही है कि क्या उन्हें किसी से धमकी या दबाव झेलना पड़ा था?
अब तक पांच लोगों से पूछताछ
अब तक पुलिस ने घर के नौकरों और कुछ करीबी लोगों सहित पांच लोगों से पूछताछ की है. अगला कदम पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार से पूछताछ का है, जो फिलहाल एक रंगदारी केस में जेल में बंद है. पुलिस को शक है कि गनमैन से घटना से पहले हुई बातचीत कई रहस्यों से पर्दा उठा सकती है. मगर परिवार की जिद के चलते, फिलहाल जांच उसी मोड़ पर अटकी हुई है, जहां से शुरू हुई थी.
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