0

बिहार में भाजपा चाहे जितनी बड़ी हो जाए, क्‍यों नीतीश कुमार का विकल्‍प नहीं है – Why nda has no alternative of nitish kumar in Bihar election for cm post opns2


बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक ऐसा नाम है, जो पिछले दो दशकों से सत्ता के केंद्र में रहा है. 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले NDA ने 12 अक्टूबर को सीट-बंटवारा फाइनल किया है. JD(U) और BJP को 101-101 सीटें, LJP(RV) को 29, HAM और RLM को 6-6 सीटे मिली हैं. इस सीट बंटवारें में कोई खास बात नहीं है सिवाय इसके कि बीजेपी और जेडीयू को बराबर-बराबर सीटें मिल रही हैं. अब तक प्रतीकात्मक ही सही जेडीयू की सीटें बीजेपी से अधिक रहतीं रहीं हैं.  

यही कारण है सोशल मीडिया पर आम जनता यह आंकलन कर रही है कि अब बिहार में जनता दल या नीतीश कुमार की बढ़े भाई की भूमिका का अंत आ गया है. लोगों का कहना है कि बीजेपी ने अपने हिसाब से एनडीए के लोगों को टिकट दे दिया है. जाहिर है कि बिहार विधानसभा चुनावों परिणामों के बाद जेडीयू बीजेपी की पिछलग्गू पार्टी बनकर रह जाएगी. पर यह इतना आसान नहीं है. अगर नीतीश कुमार स्वस्थ रहते हैं तो उनकी कुर्सी को चैलेंज करने वाला न कोई एनडीए में है और न ही कोई महागठबंधन में है.जाहिर है कि विधानसभा चुनावों में अगर एनडीए को बहुमत मिलता है तो नीतीश कुमार की कुर्सी सुरक्षित कही जा सकती है.

1-नीतीश कुमार के कोर वोट को बीजेपी में हमेशा के लिए ट्रांसफर कराना 

नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक- कुर्मी (4%), कोइरी (6%), और अन्य EBC (27%) -बिहार की सियासत में NDA की रीढ़ है. 2020 में JD(U) ने 43 सीटें जीतीं, लेकिन उनका वोट शेयर (15%) NDA की कुल 37% वोट हिस्सेदारी का अहम हिस्सा था. BJP का अपना वोट (23%) अपर कास्ट और शहरी मध्यम वर्ग तक सीमित है. 

नीतीश कुमार की उम्र पर अगर ध्यान दें तो ये उनकी अंतिम राजनीतिक पारी हो सकती है. बीजेपी जानती है कि जब तक नीतीश कुमार मजबूत हैं तब तक जेडीयू का अस्तित्व है. नीतीश कुमार अगर स्वास्थ्य कारणों से पार्टी के रोजमर्रा की राजनीति से दूर होते हैं तो पार्टी बिखर जाएगी. ऐसे में उनके कोर वोटर्स जैसे EBC और महादलित वोटर महागठबंधन (RJD+कांग्रेस) या प्रशांत किशोर की जन सुराज की ओर खिसक सकते हैं. जाहिर है कि बीजेपी के लिए फिर बिहार को फतह करना हमेशा के लिए मुश्किल हो जाएगा. यही कारण है कि बीजेपी नीतीश कुमार का साथ कभी नहीं छोड़ेगी. 

2. यूपी और झारखंड आदि में BJP की सहयोगी दलों के बीच विश्वसनीयता कम होने का सवाल 

BJP का सहयोगी दलों के साथ रिश्तों में विश्वसनीयता का सवाल बिहार में नीतीश की स्थिति को और मजबूत करता है. यूपी में 2022 में BJP ने अपना दल और निषाद पार्टी को कम सीटें देकर उनके साथ तनाव पैदा किया. झारखंड में AJSU और JMM के साथ गठबंधन टूटने से BJP को 2019 में नुकसान हुआ. बिहार में नीतीश के साथ ऐसा जोखिम BJP नहीं ले सकती.

अगर चुनाव जीतने के बाद BJP नीतीश को CM पद से हटाने की कोशिश करती है तो इसका संदेश यूपी और झारखंड जैसे राज्यों में सहयोगी दलों के साथ ईबीसी वोटों पर भी पड़ेगा. बीजेपी को पहले से ही उसके सहयोगी दल शंका की दृष्टि से देखते रहे हैं. अगर नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनाया जाता है तो यह संदेश जाएगा कि बीजेपी ने बिहार में धोखा किया है. नीतीश को CM बनाकर BJP सहयोगियों को संदेश देना चाहेगी कि वह ‘गठबंधन धर्म’ निभाती है. 2020 में JD(U) की 43 सीटों के बावजूद नीतीश को CM बनाया गया, क्योंकि BJP को नीतीश की जरूरत थी. 2025 में भी यही रणनीति रहेगी.

3. कम सीटें, पर नीतीश ही NDA का ‘संतुलन बिंदु’ 

नीतीश कुमार NDA के लिए ‘संतुलन बिंदु’ हैं. बिहार की सियासत में जातिगत समीकरण और सामाजिक गठजोड़ अहम हैं. नीतीश का कुर्मी-EBC-महादलित वोट बैंक NDA को वह संतुलन देता है, जो BJP अकेले नहीं हासिल कर सकती. 2020 में JD(U) की 43 सीटें थीं, लेकिन नीतीश की साख ने NDA को 125 सीटें दिलाईं. अगर JD(U) की सीटें कम हुईं, तो भी नीतीश की साख और गठबंधन में उनकी भूमिका NDA को बहुमत दिलाएगी. HAM के जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश के बिना NDA का संतुलन बिगड़ेगा. नीतीश की कम सीटें BJP को दबाव में ला सकती हैं, लेकिन उनकी जगह कोई और CM लाना NDA को अस्थिर करेगा.

4. बिहार BJP में कोई भी मुख्यमंत्री बनने लायक चेहरा नहीं 

बिहार BJP में कोई ऐसा चेहरा नहीं, जो नीतीश की जगह ले सके. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के पास न तो नीतीश जैसी व्यापक स्वीकार्यता है, न ही EBC-महादलित वोट खींचने की क्षमता. BJP का वोट बैंक (23%) अपर कास्ट (भूमिहार, राजपूत) और शहरी मध्यम वर्ग तक सीमित है. नीतीश की तरह कोई BJP नेता पूरे बिहार में स्वीकार्य नहीं है.

कुछ लोग महाराष्ट्र का उदाहरण दे रहे हैं . कहा जा रहा है कि जिस तरह एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बना कर  देवेंद्र फडणवीस को सीएम बना दिया गया ऐसा ही कुछ बिहार में हो सकता है. पर नीतीश कुमार न एकनाथ शिंदे हैं और न ही बीजेपी के पास बिहार में कोई देवेंद्र फडणवीस है. 

X पर एक यूजर ने एक पोल में पूछा, नीतीश के बाद BJP का CM कौन? 60% ने कहा, कोई नहीं. अगर BJP नीतीश कुमार को हटाकर अपना CM लाती है, तो EBC और महिला वोटर (50%) छिटक सकते हैं. 2024 लोकसभा में एनडीए की 30/40 सीटें नीतीश की मदद से आईं. नीतीश की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव की ‘युवा’ इमेज और ‘नौकरी’ नारा NDA को नुकसान पहुंचा सकता है. 

5. नीतीश की पलटीमार हिस्ट्री का डर

नीतीश की ‘पलटीमार’ हिस्ट्री बीजेपी को डराती है. 2013 (BJP से अलग), 2015 (RJD के साथ), 2017 (NDA में वापस), 2022 (महागठबंधन के साथ). 2024 में नीतीश फिर NDA में लौटे, और कई बार बोल चुके हैं कि अब कोई पलटी नहीं. लेकिन BJP जानती है कि अगर नीतीश को CM पद न मिला, तो वह महागठबंधन के साथ जा सकते हैं. और महागठबंधन इसके लिए सहर्ष तैयार भी हो जाएगा.

इसके पहले भी महागठबंधन ने नीतीश कुमार के पास कम विधायक होने के बावजूद उनको मुख्यमंत्री बनाया था. X पर एक यूजर लिखता है कि नीतीश की पलटी का डर BJP को नीतीश को CM बनाए रखने पर मजबूर करता है. 2022 में नीतीश ने महागठबंधन जॉइन कर BJP को झटका दिया था. इसके साथ ही अगर JD(U) की सीटें 20-30 तक सिमटीं, और BJP ने नीतीश को CM न बनाया तो वह गठबंधन तोड़ भी सकते हैं.
 

—- समाप्त —-