भारत में अहमदाबाद एअर इंडिया हादसे के बाद हवाई सफ़र के दौरान सुरक्षा को लेकर चर्चा तेज हो गई है. हो भी क्यों न. हर कुछ दिनों में खबरें सामने आती हैं कि कभी इस कंपनी के विमान को कभी उस कंपनी के विमान में सफ़र के दौरान गड़बड़ी आई है. इसका खामियाजा यात्री चुकाते हैं.
शुक्रवार को भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला. इंडिगो की फ्लाइट 6ई-7253 में उड़ाने के दौरान कॉकपिट यानि फ्रंट ग्लास में दरार आ गई. उस वक्त फ्लाइट में कुल 76 यात्री सवार थे.
सूत्रों के अनुसार, 76 यात्रियों के साथ रात 11 बजकर 12 मिनट पर लैंडिंग के समय पायलट को पता चला कि विमान का ग्लास टूटा है. फिर पायलट ने एटीसी को जानकारी दी और सुरक्षा व्यवस्था की गई. सभी यात्री सुरक्षित उतारे गए और विमान को बे नंबर 95 में भेजा गया. अब कांच बदलने की व्यवस्था हो रही है.
सवाल यह है कि उड़ान से पहले की जांच में यह कैसे छूट गया? या फिर हमारे ‘अत्याधुनिक’ विमानों की यही गुणवत्ता है कि हवा में उड़ते समय ही पार्ट्स टूटने लगते हैं. क्या हमारी एयरलाइन्स यात्री सुरक्षा को गंभीरता से लेती हैं या फिर यह सिर्फ “चलता है” की मानसिकता का नतीजा है. यात्रियों को तो पता भी नहीं चला होगा कि वे एक ‘फॉल्टी’ विमान में बैठकर उड़ रहे थे.
एयरलाइन कंपनियां हमेशा कहती हैं कि यात्री सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है. लेकिन असलियत में वे सिर्फ टिकट बेचने और ज्यादा से ज्यादा उड़ानें भरने में व्यस्त रहती हैं.
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