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‘भारत में नेपाल जैसे हालात’, बोले कांग्रेस नेता उदित राज, बीजेपी ने किया पलटवार – india nepal like situation congress udit raj bjp response ntc


भाजपा ने कांग्रेस नेता उदित राज की उस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने भारत के हालात की तुलना हाल ही में नेपाल में हुई उथल-पुथल से की थी, भाजपा ने इसे खतरनाक और राष्ट्र-विरोधी करार दिया है.

कांग्रेस नेता उदित राज ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि लोग भारत की स्थिति की तुलना नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में हुई उथल-पुथल से कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार कुछ मामलों में ज्यादा हैं, लेकिन भारत के लोकतंत्र की जड़ें कांग्रेस ने बहुत गहरी कर दी हैं, जिससे ऐसी अशांति की आशंका कम है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में जनता ने किस तरह सत्ता को उखाड़ फेंका है. क्या भारत में ऐसा कुछ नहीं हो सकता? कुछ लोग तो इसकी आशंका भी जता रहे हैं. दरअसल, हालात बिल्कुल वैसे ही हैं, और कुछ मामलों में तो और भी ज़्यादा, लेकिन हमारा संविधान हमें ऐसा करने से रोकता है. हमारे लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं, जिन्हें कांग्रेस ने ही स्थापित किया है.

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए उदित राज ने कहा कि भाजपा संविधान बदलना चाहती थी, लेकिन संवैधानिक संस्थाएं मज़बूत हैं, इसलिए वह इसमें कामयाब नहीं हो पाई. उन्होंने कहा, अन्यथा, यहां भी नेपाल जैसी स्थिति हो जाती.

वहीं, भाजपा ने उदित राज की टिप्पणियों की निंदा की. बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवन ने उन्हें ख़तरनाक बताया और कांग्रेस पर अशांति भड़काने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ये टिप्पणियां उसी  आपातकालीन मानसिकता को दर्शाती हैं, जिसके कारण 1975 में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हुआ था.

भाजपा नेता सीआर केसवन ने कहा कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की ये ख़तरनाक टिप्पणियां स्पष्ट रूप से राष्ट्र-विरोधी हैं और जानबूझकर अशांति भड़काने वाली हैं. कांग्रेस का अतीत और वर्तमान नेतृत्व, दोनों ही डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के लिए हमेशा सबसे बड़ा ख़तरा रहा है. 1975 में कांग्रेस पार्टी ने हमारे संविधान की हत्या की और हमारे लोकतंत्र का कत्लेआम किया.

उदित राज की ये टिप्पणी नेपाल में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच आई है, जहां सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ गुस्से ने देशव्यापी अराजकता का रूप ले लिया. संसद में आग लगा दी गई. नेपाल की अलग-अलग जेलों से 13500 से ज़्यादा कैदी भाग गए और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद से सेना ने काठमांडू पर कब्ज़ा कर लिया है, कर्फ्यू लगा दिया है. नेपाल में अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर आम सहमति बनाने के लिए प्रदर्शनकारी नेताओं के साथ बातचीत जारी है. 

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