शांति के नोबेल पुरस्कार की विजेता वेनेजुएला की मुख्य विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो (Maria Corina Machado) है. इससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मायूसी हाथ लगी है. लेकिन मारिया और ट्रंप के बीच एक चीज कॉमन है.
मारिया कोरिना वेनेजुएला की मानवाधिकार कार्यकर्ता है. उनमें और ट्रंप के बीच एक समानता यह है कि दोनों का दुश्मन एक ही है- वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो.
मादुरो की वजह से ही मचाडो पिछले लगभग 14 महीनों से छिपकर रहने को मजबूर है. उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं. मादुरो दरअसल मचाडो को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. मचाडो उनकी तानाशाही के खिलाफ कई वर्षों से आवाज बुलंद किए हुए है. इस साल जनवरी में कराकस में हुए प्रोटेस्ट के दौरान उन्हें कुछ देर के लिए डिटेन भी किया गया था. लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया गया.
मचाडो और ट्रंप का एक ही दुश्मन मादुरो
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं. ट्रंप ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन को उखाड़ फेंकने की दिशा में कदम उठाए हैं. यह साफ-साफ सैन्य हस्तक्षेप की धमकी, नौसेना के जहाजों की तैनाती और ड्रग कार्टेल्स पर हमलों के रूप में दिख रहा है.
ट्रंप प्रशासन मादुरो को नार्कोटेरेरिस्ट मानता है. अमेरिकी न्याय विभाग ने 2020 में ट्रंप के पहले कार्यकाल में मादुरो पर कोकीन तस्करी के आरोप लगाए, जिसमें कोलंबियन FARC गुट और कार्टेल डे लॉस सोल्स शामिल हैं. 2025 में इनाम पांच करोड़ डॉलर तक बढ़ा दिया गया. ट्रंप का कहना है कि मादुरो की वजह से वेनेजुएला के जरिए अमेरिका में अवैध रूप से ड्रग्स की तस्करी हो रही है, जिसका अमेरिका युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है. साथ ही इससे अमेरिका में अपराध भी बढ़ा है.
बता दें कि नॉर्वे की नोबेल समिति ने 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्ष की नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को देने का ऐलान किया. मारिया बीते 20 वर्षों से वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
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