पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में शुक्रवार को अराजकता फैल गई. सुरक्षा बलों ने राजधानी की ओर जाने वाली मुख्य सड़कों को शिपिंग कंटेनरों से बंद कर दिया है. इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं. इस बवाल के पीछे है टीएलपी यानी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान. कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के लाखों कार्यकर्ता गुरुवार को गाजा में हो रही हत्याओं के विरोध में अमेरिकी दूतावास की ओर मार्च करने निकले थे. पुलिस ने उन्हें लाहौर में रोक दिया, जिससे हिंसक झड़पें हुईं. इसमें कई लोग घायल हुए और दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.
लाहौर में पुलिस कार्रवाई के बाद TLP ने अपनी ‘फाइनल कॉल’ मार्च की घोषणा की और बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद की सीमाओं तक पहुंच गए. राजधानी के रेड जोन को किले में तब्दील कर दिया गया है और आसपास के कई होटलों को खाली कराया गया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस्लामाबाद और रावलपिंडी में इंटरनेट बंद कर दिया गया है, ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच संपर्क न हो सके. फैज़ाबाद इंटरचेंज, जो पहले भी TLP के विरोध का मुख्य केंद्र रहा है, को पूरी तरह से बैरिकेड कर दिया गया है.
‘कितने दिन चलेंगे प्रदर्शन… कहना मुश्किल’
इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास और लाहौर, कराची व पेशावर में मौजूद अमेरिकी दूतावासों ने अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे ‘बड़ी भीड़ से दूर रहें और सतर्क रहें’. दूतावास ने कहा, ‘इन प्रदर्शनों की वजह से ट्रैफिक रुक सकता है या रास्ते बंद हो सकते हैं. यह नहीं कहा जा सकता कि प्रदर्शन कितने दिन चलेंगे.’ पाकिस्तानी गृह राज्यमंत्री तालाल चौधरी ने कहा कि TLP गाजा के नाम पर देश में अशांति फैलाना चाहती है. उन्होंने दावा किया कि कई गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के पास लाठियां, केमिकल, कांच की गोलियां, आंसू गैस के गोले और हथियार मिले हैं.
चौधरी ने कहा, ‘ये लोग प्रदर्शन करने आए थे या हिंसा की योजना बना रहे थे?’ उन्होंने TLP पर झूठी खबरें फैलाने और जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. लाहौर में मुल्तान रोड पर TLP कार्यकर्ताओं ने कब्जा कर लिया, सड़कें बंद कीं और पुलिस पर हमला किया. झड़पों में कई गाड़ियां और दुकानें क्षतिग्रस्त हुईं. पुलिस ने सैकड़ों TLP कार्यकर्ताओं, जिनमें पार्टी प्रमुख साद रिजवी भी शामिल हैं, पर आतंकवाद निरोधक कानूनों के तहत केस दर्ज किए हैं.
आखिर किस बला का नाम है टीएलपी?
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) एक कट्टर इस्लामी राजनीतिक दल है, जिसकी स्थापना 2015 में बरेलवी मौलाना खादीम हुसैन रिजवी ने की थी. यह पार्टी पाकिस्तान के ईशनिंदा (ब्लास्फेमी) कानून में किसी भी बदलाव के खिलाफ बार-बार सड़कों पर उतरती रही है. खादीम रिजवी की 2020 में मृत्यु के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने इसका नेतृत्व संभाला.
टीएलपी 2018 के चुनावों में 22 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर पाकिस्तान की पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई थी. संगठन ने 2020-21 में फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किए थे. 2021 में हिंसा के बाद इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद एक गुप्त समझौते के तहत सरकार ने प्रतिबंध हटा दिया.
कौन है टीएलपी का लीडर?
वर्तमान में टीएलपी की कमान मौलाना साद रिजवी के हाथों में है. साद रिजवी अपने पिता खादिम हुसैन रिजवी की मौत के बाद पार्टी का लीडर बना था. वह अक्सर ईशनिंदा कानून खत्म न करने को लेकर सरकार पर दबाव बनाता रहता है. फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के खिलाफ उसने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया था. टीएलपी के इस प्रोटेस्ट में लाखों लोग शामिल हुए थे. इसके बाद साद रिजवी ने फ्रांस का सामान बहिष्कार करने और फ्रांसीसी राजदूत को देश से बाहर निकालने की मांग की थी.
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